जयपुरः संस्कृत भाषा में शपथ ग्रहण करने वाले विधायकों का सम्मान किया गया. विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत भाषा बहुत पुरानी है. आज के युवाओं को ये विज्ञान वाणी जाननी होगी. संस्कृत और संस्कृति एक दूसरे के पूरक है. आज संस्कृति को बचाने की जरूरत है और वह तभी बच सकती है. जब संस्कृत को व्यवहार में लेकर आए. आजादी के बाद संस्कृत को बढ़ावा नहीं मिला. अगर ऐसा होता तो आज राष्ट्रभाषा के बराबर दर्जा होता. शिक्षा मंत्री रहते हुए मैंने संस्कृत को बढ़ावा दिया. संस्कृत विद्यालय खोलेए वेद विद्यालय खोले गए.
नई पीढ़ी के सामने विज्ञान वाणी के रूप में इसे पेश करें. आओ हम सब मिलकर इसको आगे बढ़ाने में योगदान दें. आपको बता दें कि संस्कृत भाषा में शपथ ग्रहण करने वाले विधायकों का सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. त्रिवेणी नगर स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सभागार में कार्यक्रम आयोजित हुआ . विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का सम्मान किया गया. साफा पहनाकर और दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया गया. श्रीफल, प्रशस्ति पत्र और संस्कृत की पुस्तक भेंटकर सम्मान किया.
मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, विधायक गोपाल शर्मा, विधायक कैलाश चंद्र मीणा, हरि सिंह रावत, जेठानंद व्यास, विधायक छगन सिंह राजपुरोहित, महंत प्रताप पुरी, विधायक यूनुस खान और शंकर लाल डेचा का सम्मान किया गया. साफा पहनाकर और दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया गया. श्रीफल प्रशस्ति पत्र और संस्कृत की पुस्तक भेंटकर सम्मान किया. विधायक उदयलाल भड़ाना, महंत बालमुकुंदाचार्य का सम्मान किया गया. विधायक हरि सिंह रावत और विधायक शंकर लाल डेचा का स्वागत किया गया.
साफा पहनाकर और दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया गया. श्रीफल, प्रशस्ति पत्र और संस्कृत की पुस्तक भेंटकर सम्मान किया. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अपने संबोधन में कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि आज मैं संस्कृत के विद्वानों के बीच हूं. मैं उन सभी विधायकों को भी बधाई देता हूं जिन्होंने संस्कृत में शपथ ली और उन सभी लोगों को बधाई देता हूं जिन्होंने यह कार्यक्रम किया है. अभी तक जितना शोध हुआ है उससे भी ज्यादा शोध हो सकता है. संस्कृत के ग्रंथों का शोध करके अभी और भी कुछ निकला जा सकता है.