जोधपुर: भ्रष्टाचार के संबंध में दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के एक लोकप्रिय बयान का जिक्र करते हुये रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि वह किसी भी प्रधानमंत्री की आलोचना नहीं करते क्योंकि उनका मानना है कि प्रधानमंत्री एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था होते हैं चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल के क्यों न हों . सिंह ने कहा कि मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं. राजीव गांधी हमारे भारत के प्रधानमंत्री थे. उन्होंने एक बार ईमानदारी के साथ चिंता व्यक्त करते हुए कहा था.. लाचारी व्यक्त करते हुए कहा था.. ‘‘क्या करें? देश में भ्रष्टाचार इतना अधिक है कि मैं ऊपर से 100 पैसे भेजता हूं लेकिन लोगों की जेब तक केवल 15 पैसे पहुंच पाते हैं और 85 पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं.’’
उन्होंने कहा कि लेकिन हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसको भी चुनौती के रूप में स्वीकार किया. राजीव गांधी ने जो मजबूरी व्यक्त की थी, उसे प्रधानमंत्री ने चुनौती के रूप में लिया . आज 100 पैसा यदि दिल्ली से चलता है, तो 100 का 100 पैसा आपकी जेब में पहुंचता है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से यह आपको देखने को मिला होगा. राजनाथ ने कहा, ‘‘मैं राजीव गांधी की आलोचना नहीं कर रहा.. मैं किसी प्रधानमंत्री की आलोचना नहीं करता हूं चाहे वह किसी भी राजनीतिक पार्टी के हों क्योंकि मैं मानता हूं प्रधानमंत्री व्यक्ति नहीं होता है बल्कि संस्था होता है. चाहे वह किसी भी दल का प्रधानमंत्री क्यों ना हो, उनका सम्मान किया जाना चाहिए. राजनाथ ने यहां एक रैली को संबोधित करते हुए जोर देकर कहा, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार को कम करने की कोशिश की है. यही कारण है कि मोदी सरकार के नौ वर्षों में कोई भी, उनके किसी भी कैबिनेट सहयोगी के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा सका.’’
प्रधानमंत्री मोदी के भोपाल में पिछले दिनों दिए गए एक भाषण के संदर्भ में रक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्र, देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात करता है तो राजनीतिक विरोधी इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करने लग जाते हैं. उन्होंने कहा कि समाज को बांटकर राजनीति नहीं करनी चाहिए, बल्कि समाज और देश को एक साथ लेकर राजनीति करनी चाहिए. जोधपुर के शेरगढ़ में एक रैली को संबोंधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा "हम जो करने जा रहे हैं, वह भारतीय संविधान में नीति निर्धारकों ने लिखा है. हम उन्हीं के वचन को पूरा करने जा रहे है. राजनाथ सिंह ने सवालिया अंदाज में कहा, ‘‘ क्या एक देश, एक विधान देश में नहीं होना चाहिए.. एक कानून नहीं होना चाहिए?’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘ अगर कोई यह चाहता है कि उसे जितनी मर्जी हो, उतनी शादियां करने की आजादी मिल जाये.... तो यह भारत में नहीं होगा .’ सिंह ने कहा कि महिलाओं का सम्मान हमारी प्रतिबद्धता है, चाहे वो किसी भी जाति पंथ या धर्म की हों. तीन तलाक बोलकर कोई अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता. उन्होंने सवाल किया, "हम क्या गलत कर रहे हैं ? हम माताओं बहनों को सम्मान दे रहे हैं. हमने अपने घोषणापत्र में भी कहा था, तो फिर क्यों विरोध किया जा रहा है? हर चीज को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जाती है, हम देश ऐसे नहीं चलने देंगे. रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत को पहले "कमजोर" और "गरीबों की भूमि" के रूप में देखा जाता था, जबकि अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब भारत बोलता है, तो लोग ध्यान लगाकर सुनते हैं. सोर्स- भाषा