VIDEO: अवैध खनन पर 548 करोड़ का जुर्माना, वसूली सिर्फ 20 करोड़- महाअभियान में सख्ती भी दिखी, सुस्ती भी उजागर, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : मुख्यमंत्री व खान मंत्री भजनलाल शर्मा के स्पष्ट निर्देशों पर राजस्थान में 2 अप्रैल से अवैध खनन, खनिज निर्गमन और अवैध भंडारण के खिलाफ महाअभियान चलाया गया. प्रमुख सचिव टी. रविकांत और निदेशक दीपक तंवर के नेतृत्व में 90 दिन से चल रहे इस अभियान में रिकॉर्ड स्तर की कार्रवाई हुई — 3206 प्रकरण दर्ज, 73.73 लाख टन खनिज जप्त, और 548.53 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया. लेकिन विडंबना यह रही कि इतनी बड़ी कार्रवाई के बावजूद जुर्माने की वसूली महज 19.78 करोड़ रुपये ही हो सकी.

अभियान के दौरान खनन माफिया पर सीधी चोट की गई. 389 एफआईआर दर्ज हुईं, 201 लोगों को गिरफ्तार किया गया और कुल 2884 वाहन तथा 164 मशीनें जब्त की गईं. खान विभाग के साथ संयुक्त टीमों ने लगातार दबिशें दीं और खनन क्षेत्रों में खौफ का माहौल बना. अतिरिक्त निदेशक पीआर आमेटा और प्रमुख सचिव स्तर तक अभियान की निगरानी ने इसे प्रशासनिक प्राथमिकता में शीर्ष पर बनाए रखा. हालांकि जब 548 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया, तो अपेक्षा थी कि राजस्व वसूली में भी यह अभियान मजबूत प्रदर्शन करेगा, लेकिन महज 20 करोड़ से भी कम की वसूली इस प्रयास की बड़ी कमजोरी बन गई. इससे भी अधिक चिंताजनक पहलू यह रहा कि कई सर्किलों ने शिकायतें होते हुए भी संतोषजनक कार्रवाई नहीं की. जिन 12 सर्किलों की निष्क्रियता सामने आई, उनमें शामिल हैं-

-ME सीकर
-ME मकराना
-AME सावर
-AME बालेसर
-AME ऋषभदेव
-SME उदयपुर
-AME सलूम्बर
-ME प्रतापगढ़
-AME निम्बाहेड़ा
-ME-1 राजसमंद
-ME रामगंज मंडी
-AME झालावाड़

इन सर्किलों में दर्जनों शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न के बराबर रही. विभाग अब ‘पुअर परफॉर्मर’ अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी में है और कुछ को फील्ड से हटाने पर भी विचार हो रहा है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश सरकार अवैध खनन के विरुद्ध "जीरो टॉलरेंस" की नीति अपना रही है. यही कारण है कि इस महाअभियान को सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय और खान विभाग के शीर्ष अधिकारियों की निगरानी में चलाया गया. 90 दिन के भीतर जिस प्रकार की तेज कार्रवाई हुई. 

उसने यह साबित किया कि सरकार की इच्छाशक्ति मज़बूत है. लेकिन राजस्व वसूली की कमजोरी और सर्किलवार निष्क्रियता ने अभियान की प्रभावशीलता को आंशिक रूप से सीमित कर दिया. आने वाले दिनों में सरकार यदि वसूली पर फोकस बढ़ाए और निष्क्रिय अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करे, तभी यह महाअभियान वांछित सफलता की दिशा में सार्थक माना जा सकेगा.