वाशिंगटन: अमेरिकी ऊर्जा मंत्रालय की ‘लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी’ के एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत 2047 तक ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकता है.
भारत 2047 में देश की स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा. ‘पाथवेज टू आत्मनिर्भर भारत’ (आत्मनिर्भर भारत की राह) शीर्षक वाले अध्ययन के अनुसार, भारत के ऊर्जा बुनियादी ढांचे को आने वाले दशकों में तीन हजार अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी.
पहले शुद्ध शून्य का लक्ष्य हासिल कर लेगा:
अध्ययन में कहा गया है कि उसे यकीन है कि ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने से भारत को महत्वपूर्ण आर्थिक, पर्यावरणीय एवं ऊर्जा लाभ हासिल होंगे, जिससे 2047 तक 2500 अरब डॉलर की उपभोक्ता बचत होगी, जीवाश्म ईंधन आयात व्यय 90 प्रतिशत तक या 240 अरब डॉलर प्रति वर्ष कम होगा, वैश्विक स्तर पर भारत की औद्योगिक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और वह निर्धारित समय से पहले शुद्ध शून्य का लक्ष्य हासिल कर लेगा.
दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं:
ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में बर्कले लैब स्टाफ के वैज्ञानिक एवं सह-लेखक अमोल फड़के ने कहा कि भारत के ऊर्जा बुनियादी ढांचे को आने वाले दशकों में तीन खरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी और हमारे अध्ययन से पता चलता है कि नई ऊर्जा संपत्तियों (जो लागत प्रभावी एवं स्वच्छ हैं) को प्राथमिकता देना दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं. अध्ययन के अनुसार भारत के ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की राह में 2030 तक 500 गीगावॉट से अधिक गैर-जीवाश्म बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करने वाला बिजली क्षेत्र, सरकार द्वारा पहले ही घोषित लक्ष्य शामिल होंगे, जिससे वह 2040 तक 80 प्रतिशत और 2047 तक 90 प्रतिशत स्वच्छ ग्रिड हासिल करेगा.
मौजूदा नीतिगत ढांचे का लाभ उठा सकता है:
अध्ययन के अनुसार, 2035 तक जिन नए वाहनों की बिक्री की जाएगी, उनके करीब 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक होने की संभावना है और भारी औद्योगिक उत्पादन मुख्य रूप से हरित हाइड्रोजन और विद्युतीकरण में स्थानांतरित हो सकता है. फड़के ने कहा कि भारत स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल का विस्तार करने के लिए मौजूदा नीतिगत ढांचे का लाभ उठा सकता है. सोर्स-भाषा