नई दिल्ली: भारत का लैटिन अमेरिकी और कैरिबियाई देशों के साथ नैसर्गिक रिश्ता है तथा महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर हितों की समानता है जिसके चलते नयी दिल्ली का ध्यान इन देशों के साथ कारोबार, निवेश सहित विविध क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच सम्पर्क बढ़ाने पर रहा है.
जयशंकर ने बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों के साथ भारत का वार्षिक कारोबार 50 अरब डालर है और यह आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखें कि हमारे चार कारोबारी खाते अमेरिका, चीन, यूरोपीय संघ और आसियान 100 से 110-115 अरब डालर के बीच रहते हैं. इसलिए पहले ही लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई देश हमारे सबसे बड़े कारोबारी सहयोगियों के आधे स्तर तक पहुंच गए हैं.
मूल्य के आधार पर हमारे करीबी क्षेत्र में हैं:
विदेश मंत्री ने लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही. विदेश मंत्रालय द्वारा बृहस्पतिवार को जारी बयान के अनुसार, जयशंकर ने कहा कि भारत और लैटिन अमेरिका एवं कैरिबियाई देशों के महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर समान विचार हैं. उन्होंने कहा कि आपको यह जानकारी होगी कि वास्तव में हमने विदेशों में काफी विकास गठजोड़ किया है. स्वाभाविक तौर पर ये सभी विकासशील देशों के साथ हैं. उन्होंने कहा कि इसमें से अधिकांश संख्या एवं मूल्य के आधार पर हमारे करीबी क्षेत्र में हैं.
महत्वपूर्ण मुद्दों पर साथ काम करने की विरासत:
जयशंकर ने कहा, लेकिन जहां तक लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों का संबंध है, हमारी 40 रिण सुविधाएं (लाइन आफ क्रेडिट) हैं और मोटे तौर पर इन परियोजनाओं को लेकर 90 करोड़ डालर की प्रतिबद्धताएं हैं. उन्होंने कहा कि लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों के साथ नैसर्गिक रिश्ता है तथा महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर हितों की समानता है क्योंकि हमारे बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर साथ काम करने की विरासत है.
मेरे पास अधिकांश के व्हाट्स एप नंबर हैं:
जयशंकर ने कहा कि मैं आपको बताना चाहता हूं कि लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों के कुछ विदेश मंत्रियों को छोड़कर मैं समझता हूं कि मेरे पास अधिकांश के व्हाट्स एप नंबर हैं. और यहां तक कि कोविड के दौरान संभवत: कोई भी मंत्री (विदेश मंत्री) ऐसे नहीं होंगे जिनके साथ कम से कम एक बार बातचीत न हुई होगी. उन्होंने कहा, आप जानते हैं कि हम भारत को महत्वपूर्ण शक्ति बनाने के लक्ष्य पर बढ़ रहे हैं और अग्रणी शक्ति बनने के लिए हमें वैश्विक छाप छोड़नी होगी. उन्होंने कहा कि हम ऐसा तब तक नहीं कर सकते हैं जब तक हम सभी क्षेत्रों तक नहीं पहुंचेंगे. सोर्स-भाषा