पिछड़ नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था, 2023-24 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी- संजीव सान्याल

नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष (2023-24) में लगभग 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल ने यह अनुमान व्यक्त किया है. सान्याल ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में यह राय ऐसे समय जताई है जबकि कई बहुपक्षीय ऋण एजेंसियों ने भारत के वृद्धि दर के अनुमान में मामूली कटौती की है.

सान्याल ने पीटीआई-भाषा से कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितताओं को देखते हुए भारत का प्रदर्शन स्पष्ट रूप से अन्य देशों की तुलना में कहीं बेहतर है. उन्होंने कहा कि एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और विश्व बैंक ने इस साल के लिए वृद्धि दर के अनुमान को मामूली रूप से कम किया है. चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिस्थितियों और उपभोग में सुस्ती के बीच विश्व बैंक और एडीबी ने हाल में चालू साल के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को मामूली रूप से घटाकर 6.3 से 6.4 प्रतिशत के बीच कर दिया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया है.

आठ प्रतिशत की वृद्धि दर के लिए सक्षम हो चुका:
सान्याल के मुताबिक यह कहना सही नहीं है कि हम पिछड़ रहे हैं, मेरा अपना आकलन इस साल की शुरुआत में प्रकाशित आर्थिक समीक्षा के अनुरूप है कि आर्थिक वृद्धि साढ़े छह प्रतिशत के आसपास होगी. मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यह अच्छा प्रदर्शन है. यह पूछे जाने पर कि क्या भारत आठ-नौ प्रतिशत सालाना की वृद्धि दर हासिल कर सकता है, सान्याल ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बड़ी संख्या में किए गए सुधारों की वजह से देश का आपूर्ति पक्ष अब आठ प्रतिशत की वृद्धि दर के लिए सक्षम हो चुका है.

मौजूदा स्तर से बहुत आगे नहीं बढ़ा पाएंगे: 
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे समय जबकि शेष विश्व की अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त पड़ रही है, हम वृद्धि को साढ़े छह प्रतिशत के मौजूदा स्तर से बहुत आगे नहीं बढ़ा पाएंगे. इसकी वजह यह है कि आठ प्रतिशत की वृद्धि का मतलब होगा कि हमारा आयात नाटकीय रूप से बढ़ जाएगा, जबकि निर्यात को बढ़ावा देने की हमारी क्षमता वैश्विक मांग से बाधित होगी. ऐसे में सान्याल ने तर्क दिया कि व्यापक आर्थिक स्थिरता के दृष्टिकोण से भारत को इस समय अपनी अपेक्षाओं पर संयम रखना होगा.

वित्तीय क्षेत्र पर इसका कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा: 
उन्होंने कहा कि हालांकि, अगर वैश्विक स्तर पर परिस्थितियां अनुकूल होती हैं, जो अंतत: होना है, तो भारत आसानी से अपने वृद्धि के प्रदर्शन में सुधार कर पाएगा.’’ भारत के वित्तीय क्षेत्र पर अमेरिका और यूरोपीय बैंकिंग संकट के प्रभाव के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत के वित्तीय क्षेत्र पर इसका कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि देश ने अपने बैंकों को साफ-सुथरा करने के लिए कदम उठाए हैं और साथ ही पूंजी डालकर और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता के जरिये गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) को हटाया है. सोर्स-भाषा