हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उचित संतुलन के लिए भारत के साथ संबंधों में निवेश कर रहे- USA

वाशिंगटन: अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय ‘पेंटागन’ के एक शीर्ष अधिकारी ने बृहस्पतिवार को सांसदों से कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ताकत का उचित संतुलन बनाए रखने के लिए अमेरिका भारत के साथ रक्षा संबंधों में निवेश कर रहा है.

हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के रक्षा सहायक मंत्री एली रैटनर ने चीन पर कांग्रेस में चर्चा के दौरान सीनेट की विदेशी संबंधों से जुड़ी समिति से कहा कि भारत के साथ संबंधों को मजबूत करना चीन द्वारा पेश की जा रही चुनौतियों से निपटने के महत्वपूर्ण कारकों में से एक है.

सह-निर्माण के अवसरों पर गहन चर्चा शामिल:
उन्होंने कहा कि इस महीने की शुरुआत में, अमेरिका सरकार ने भारत के साथ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी पहल की शुरुआत की, जिसमें प्रमुख रक्षा मंचों के सह-निर्माण के अवसरों पर गहन चर्चा शामिल है. रैटनर ने कहा कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ताकत के उचित संतुलन को बनाए रखने के लिए भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों में महत्वपूर्ण निवेश कर रहे हैं. अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन ने कहा कि अमेरिका ने भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय समूह) साझेदारी में निवेश किया है.

विचारधारा वाले भागीदारों को एकसाथ ला रहे:
उन्होंने कहा कि हम अपने साझा हितों व मूल्यों जैसे लोकतंत्र, स्पष्टता और निष्पक्षता को मजबूत करने के लिए और पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) द्वारा पेश की जा रही चुनौतियों से निपटने के लिए दुनिया भर में समान विचारधारा वाले भागीदारों को एकसाथ ला रहे हैं. सीनेट की विदेश संबंधों से जुड़ी समिति के अध्यक्ष सीनेटर रोजर विकर ने कहा कि चीन दशकों से क्षेत्र में अपने दावों को मजबूत करने में सक्रिय है और आक्रामकता दिखा रहा है.

चीन सागर में आक्रामक क्षेत्रीय दावे करना जारी रखता है:
उन्होंने कहा कि पिछले 60 वर्षों में, चीन ने सोवियत संघ के साथ एक परमाणु संघर्ष का लगभग जोखिम उठाया, वियतनाम के साथ युद्ध लड़ा और हाल में भारत के साथ कई हिंसक झड़पें कीं ताकि अपने क्षेत्रीय दावे को मजबूत कर सके. विकर ने कहा कि वह ‘चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी’ की पहुंच बढ़ाने के नाम पर दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में आक्रामक क्षेत्रीय दावे करना जारी रखता है.

अन्य देश चीन के जासूसी गुब्बारों का निशाना:
हिंद-प्रशांत पर सदन की विदेश मामलों की उपसमिति की अध्यक्ष यंग किम ने दावा किया कि भारत और अन्य देश चीन के जासूसी गुब्बारों का निशाना हैं. किम ने कहा कि जासूसी गुब्बारे ‘चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी’ (सीसीपी) के एक बड़े अभियान का हिस्सा हैं, जिसके जरिए ताइवान, जापान, भारत और फिलीपीन जैसे हिंद-प्रशांत देशों में सैन्य संपत्ति की जानकारी एकत्र की गई. सोर्स-भाषा