जयपुर: राजस्थान की एकमात्र वेटरनरी यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसरों की भर्ती गले की फांस बनी हुई है. विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गलत रोस्टर अपनाकर की जा रही इस भर्ती को पशुपालन विभाग ने रोक दिया है. जबकि भर्ती में इंटरव्यू भी कर लिए गए हैं. बेरोजगार नौकरी की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन जांच कमेटी ने प्रथम दृष्टया जांच में इसमें गड़बड़ियां मानी हैं. अब इस मामले में कार्मिक विभाग उच्च स्तरीय जांच के लिए कमेटी गठित करेगा. बीकानेर की राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय यानी राजुवास यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसरों की भर्ती की प्रथम दृष्टया हुई जांच में गड़बड़ियां पाई गई हैं.
इसी आधार पर पशुपालन विभाग ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाए जाने के आदेश जारी किए हैं. दरअसल विश्वविद्यालय प्रशासन ने 23 जून 2022 को सहायक प्रोफेसर के 72 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी. इसके लिए 23 जून से लेकर 18 जुलाई तक अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए थे. विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसरों के पदों की इस भर्ती में गड़बड़ियां किए जाने को लेकर पशुपालन विभाग को शिकायत की गई थी. इसके बाद पशुपालन विभाग की उप सचिव की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई गई. कमेटी ने शिकायतों को सही पाया और प्रथम दृष्टया जांच में भर्ती में अनियमितताएं और रोस्टर में गड़बड़ी मानी. इसके बाद पशुपालन विभाग ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.
जानिए, क्या हो रहा वेटरनरी यूनिवर्सिटी भर्ती में:
- पशुपालन विभाग ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाने की अनुशंसा की
- उच्च स्तरीय कमेटी के गठन से पूर्व पशुपालन मंत्री ने किया अनुमोदन
- मंत्री लालचंद कटारिया ने कार्मिक विभाग से मांगी राय
- अब डीओपी की अनुशंसा के बाद उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनेगी
- पशुपालन विभाग की जांच में गड़बड़ियां पाई गई हैं
- पशुपालन सचिव कृष्ण कुणाल बोले, जल्द उच्च स्तरीय कमेटी जांच करेगी
इस भर्ती प्रक्रिया में रोचक बात यह है कि सहायक प्रोफेसर पदों के लिए अभ्यर्थियों के इंटरव्यू भी कर लिए गए हैं. हालांकि कुछ अभ्यर्थियों ने एससी-एसटी के बैकलाॅग के पद कम करने और रोस्टर में गड़बड़ियां होने की शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन को पहले ही कर दी थी. राजस्थान यूथ बोर्ड के सदस्य सुनील शर्मा ने गड़बड़ियों को लेकर सबसे पहले शिकायत की थी. इसके बाद विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा, घनश्याम मेहर, गोपाल मीणा, रामकेश मीणा ने भी सीएम गहलोत को पत्र लिखे थे, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन सभी शिकायतों को अनदेखा करते हुए भर्ती प्रक्रिया जारी रखी. फर्स्ट इंडिया न्यूज ने 16 जनवरी 2023 को इस भर्ती में गड़बड़ियों को लेकर भर्ती या बवाल शीर्षक से प्रमुखता से खबर प्रसारित की थी.
हालांकि इस पूरे मामले में रोचक बात यह है कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय राजभवन के अधीन आते हैं. राजभवन ने भर्ती रोके जाने के मामले में पशुपालन विभाग से जांच रिपोर्ट तो मांगी है, लेकिन राजभवन के स्तर पर अभी तक कोई जांच कमेटी गठित नहीं की गई है. जरूरत इस बात की है कि कार्मिक विभाग और राजभवन जल्द निर्णय करें, जिससे यदि भर्ती प्रक्रिया सही हो तो अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिल सके और यदि भर्ती में गड़बड़ियां हो तो इसे निरस्त कर नए सिरे से भर्ती की जा सके.