VIDEO: जयपुर में 5 महीने से रोड सेफ्टी इंस्टीट्यूट बंद, हादसों पर कैसे लगेगी लगाम, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: प्रदेश में लगातार बढ़ते सड़क हादसों को रोकने और सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से परिवहन विभाग ने जिस रोड सेफ्टी इंस्टिट्यूट की शुरुआत की थी, वह अब विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ गया है. 11 जनवरी 2023 को जयपुर में शुरू हुआ यह इंस्टिट्यूट फिलहाल पिछले पांच महीने से बंद पड़ा है.

रोड सेफ्टी इंस्टिट्यूट की स्थापना बजट घोषणा के बाद की गई थी. परिवहन विभाग ने इसके लिए रीपा से MOU भी किया था और तत्कालीन परिवहन मंत्री बृजेंद्र ओला ने विधिवत इसका शुभारंभ किया था. उद्देश्य था सड़क सुरक्षा से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना, ड्राइविंग से जुड़े आधुनिक तकनीकी ज्ञान उपलब्ध कराना और यातायात नियमों की समझ विकसित करना.प्रदेश में हर साल हजारों लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं. 

विशेषज्ञों का मानना है कि ड्राइवरों की ट्रेनिंग, जागरूकता और अनुशासित ट्रैफिक ही इन हादसों को कम करने का सबसे बड़ा हथियार है. इसी सोच के साथ इंस्टिट्यूट को शुरू किया गया था. यहां वाहन चालकों को बेहतर ड्राइविंग, यातायात नियमों की जानकारी और सड़क सुरक्षा से जुड़ी बारीकियां सिखाई जानी थीं. लेकिन अब हालात यह हैं कि पिछले पांच महीनों से इंस्टिट्यूट में कोई गतिविधि नहीं हो रही है. विभाग की ओर से ट्रेनिंग प्रोग्राम बंद हैं और स्टाफ की कमी व लापरवाही के चलते भवन पर ताले जड़ दिए गए हैं. न तो ड्राइवरों को प्रशिक्षण मिल रहा है और न ही सड़क सुरक्षा से जुड़े नए कोर्स शुरू हो पाए हैं. इससे आमजन के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या विभाग वाकई हादसे कम करने के लिए गंभीर है.

प्रदेश में आए दिन सड़क हादसों में हो रही मौतों को देखते हुए लोगों ने इस पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क सुरक्षा के लिए सिर्फ नियम बनाना काफी नहीं है, बल्कि उन्हें अमल में लाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे. यदि इस तरह के संस्थान ही बंद हो जाएंगे तो हादसों पर लगाम कैसे लगेगी अभी तक यह साफ नहीं है कि रोड सेफ्टी इंस्टिट्यूट को दोबारा कब शुरू किया जाएगा. आमजन और सड़क सुरक्षा से जुड़े सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि इंस्टिट्यूट को तुरंत चालू किया जाए और सड़क सुरक्षा को लेकर शुरू किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाए.रोड सेफ्टी इंस्टिट्यूट का बंद होना न केवल विभागीय लापरवाही का उदाहरण है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या इस तरह सड़क हादसे कम होंगे? जब तक प्रशिक्षण और जागरूकता का काम जमीन पर नहीं उतरेगा, तब तक सड़क पर सुरक्षित सफर का सपना अधूरा ही रहेगा.