सैलानियों से गुलजार जैसलमेर, पर्यटन व्यवसायियों के चेहरे पर खुशी की लहर,दिवाली पर पर्यटकों से आबाद हुई स्वर्णनगरी

सैलानियों से गुलजार जैसलमेर, पर्यटन व्यवसायियों के चेहरे पर खुशी की लहर,दिवाली पर पर्यटकों से आबाद हुई स्वर्णनगरी

जैसलमेर(सूर्यवीर सिंह तंवर) : दीपावली के त्यौहार के साथ ही वेकेशन पर आए गुजरातियों से गोल्डन सिटी गुलजार हो गई है. दीपावली तक जैसलमेर सुनसान था, लेकिन दीपावली खत्म होने के बाद गुजरात, मध्कादेश, हरियाणा से सैलानियों की आवक शुरू हो गई है. सबसे ज्यादा संख्या गुजरात के सैलानियों की है. हर तरफ टूरिस्ट ही नजर आ रहे हैं. टूरिज्म से जुड़े कारोबारियों के चेहरे खिल उठे हैं. ज्यादातर सैलानी गुजरात से जैसलमेर गुजरातियों से से आबाद हो गया है. भीड़ इतनी हो गई है कि पर्यटन स्थलों पर जाम सा लग गया है. सोनार किले में जाने वाला रास्ता ही जाम हो गया.

जैसलमेर के पर्यटन स्थलों पर इन दिनों सैलानियों की भीड़ है. सबसे ज्यादा गुजरात से टूरिस्ट आ रहे रहे हैं. सोनार किला, गड़ीसर सरोवर व पटवा हवेली सहित विभिन्न पर्यटन स्थलों पर अच्छी-खासी भीड़ देखी जा रही है. भीड़ इतनी है कि पर्यटन स्थलों पर जाम लग गया है. सोनार दुर्ग जाने वाला रास्ता तो हर सुबह जाम हो ही जाता है. हजारों की संख्या में हर साल गुजराती जैसलमेर आते हैं और इस साल भी सैलानियों के आने से जैसलमेर गुलजार हो गई हैं. दीपावली के बादसे से ही गुजराती पर्यटकों का फ्लो बढ़ गया हैं. गुजरात से आए सैलानियों का कहना है कि दीपावली से गुजरात में छुट्टियां हो जाती हैं.

लाभ पंचमी तक हम लोग घूमने निकल जाते हैं. जैसलमेर को इंडिया का नंबर वन टूरिस्ट रिस्ट प्लेस मानते हैं. ऐतिहासिक शहर के पीले पीले पत्थर पत्थर और उनसे बनी हवेलियां और किले सबको अपनी ओर खींचते हैं. सैलानियों ने बताया कि जैसलमेर जैसी शांत और प्यारी जगह कहीं नहीं देखी. सोने जैसी पीली नगरी और इसकी रेत यहां खींच लाई है. हम यहां रेत के टीलों पर कैमल राइडिंग करेंगे. साथ ही भारत-पाकिस्तान बॉर्डर स्थित तनोट माता मंदिर के दर्शन करेंगे. उनके परिवार की इच्छा है कि वे के भारत-पाकिस्तान बॉर्डर भी देखें.

दरअसल दीपावली सीजन में लंबे वेकेशन मिलने पर गुजराती घूमने निकल पड़ते हैं और गोल्डन सिटी को आबाद करते हैं. गुजरातियों की आवक से जैसलमेर के टूरिस्ट बिजनेस से जुड़े लोगों के साथ स्थानीय निवासी भी बेहद खुश हैं. जैसलमेर में हर साल सैलानियों की आवक होती थी, लेकिन पहले की तुलना में अब देशी सैलानियों की आवक में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. कोरोना से पहले जैसलमेर विदेशी सैलानियों की पसंद था, लेकिन बाद में आवक बेहद कम हो गई है.