झालावाड़ (आरिफ मंसूरी) : राजस्थान के झालावाड़ जिले में (काला सोना) अफीम की खेती परवान पर है. अब कुछ वक्त बाद इसमें चीरा लगाना शुरू होगा मगर किसान इन दिनों काफी परेशान है. उनके सामने कई मुसीबतें है. इसका हल उनके पास नहीं, अब किसान करें क्या सुनने में आपको बड़ा अजीब लगेगा की आजकल किसान अपने पूरे परिवार के साथ तोते उड़ाने में लगे है. इसके लिए उन्हे सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक खेतों के चारों तरफ खड़े रहकर तोतों को उड़ाना का काम ने इनको परेशान कर दिया है.
झालावाड़ जिले में खेतों में अफीम के डोडे पूरे परवान पर है और जल्द चीरा भी लगने लगेगा, जिसके बाद डोडो में दूध आता है, जो अफीम के रूप में निकलता है. जिसको इकठ्ठा किया जाता है. और इसको इकठ्ठा कर सरकार को दी जाती है. अफीम की जब तक तुलाई नहीं हो जाती उनकी मुसीबत कम नहीं होती है. किसानों ने 24 घन्टे खेतों पर परिवार समेत डेरा डाल रखा है जो 24 घण्टे निगरानी कर रहे है. रात्रि को चोरों का खतरा ,जानवरों का खतरा, सबसे बड़ा खतरा नशेड़ी तोतो से है जो बड़ी संख्या में आते है और पलक झपकते ही पूरा डोडा ले जाते है.
जब तोते अफीम के डोडे को चट कर जाते है तो 1 बार जब तोतो को ऑफिम का नशा चढ़ जाता है वो नशेड़ी हो जाते है और लगातार अफीम के खेतों में हमला करते है और डोडो को ले जाते है और फिर आराम से 1 जगह बैठकर डोडो को चट कर जाते है और वहीं जंगलों में नशे में मस्त रहते है जिससे किसान की मेहनत पर पानी फिरने लगा है. इसके लिए अपने परिवार के साथ रात दिन खेतों में रहकर दिन रात पसीना बहा रहे है. कोई जाली लगा रहा है तो कोई गोफन के द्वारा इनको भगाने में लगा है कह सकते है कि अफीम की पैदावार किसानों के लिए जहां वरदान है वहीं मुसीबत भी कम नही है बच्चों की तरह इन फसल को तैयार करना पड़ता है जरा सी चूक भी भारी पड़ जाती है.