कोटा: कोटा के एक कोचिंग सेन्टर के बाहर थड़ी लगाने वाले मजदूर ने अचानक से एक सपना देखा कि मेरी बेटी भी ऐसे किसी इंस्टीट्यूट में कोचिंग कर लें तो उसका भी करियर बन जाए.आनन-फानन में गांव में दादी के पास छप्पर में रह रही करीना को छत्तीसगढ से कोटा बुलाकर उसके मजदूर पिता ने कोचिंग ज्वॉइन करा दी और करीना भी गुदड़ी की लाल साबित हुई. पहले ही प्रयास में जेईई क्रेक कर दिया.
ये छत्तीसगढ के रहने वाले भरत हैं.कोटा में भाई के साथ निर्माण श्रमिक बनकर आये लेकिन कोविड में काम बंद हो गया और यहां ऐसे फंसे कि भूखा मरने की नौबत आन पड़ी. किसी दानदाता ने फूड पैकेट दे दिया तो ठीक नहीं तो कई बार भूखे सोये.परेशान होकर फलों का ठेला लगाकर ज्यूस की दुकान खोली और बगल में ही रिलायबल कोचिंग की क्लासें लगनी शुरु हुई तो रोजाना के 500-700 रुपए बचने भी लग गए. इसी बीच कोचिंग आते-जाते बच्चों को देखकर दोनों भाईयों को गांव में दादी के पास रह रही परिवार की मेधावी बेटी करीना का ख्याल आया तो उसे कोटा बुला लिया. जैसे-तैसे हाथ-पांव जोड़कर फीस कुछ कम करायी,कुछ जमा कराई और कमाल तब हुआ जब हाल में आये जेईई के परिणामों में एससी श्रेणी में 43367 वीं रैंक के साथ करीना ने एग्जाम क्रेक कर लिया.
करीना के पिता भरत और चाचा करण तो काम बंद होने के बाद कोटा छोड़कर किसी अन्य स्थान पर निर्माण कार्य में काम तलाशने जाने वाले थे, लेकिन कोविड के लॉकडाउन में कोटा फंस गए और नियति ने इसी मोड़ को करीना के करियर की नई सुबह बना डाला जब पिता-चाचा कोचिंग के बाहर थड़ी पर फल और ज्यूस बेचते हुए करीना के करियर को उड़ान देने का सपना देखने लगे और उसे कोटा बुला लिया. करीना के परिवार का जज्बा और संघर्ष देखकर मल्टीस्टोरी निर्माता ने रियायती किराये में रहने की जगह दे दी तो कोचिंग संस्थान ने भी फीस कम कर दी. इस बीच करीना पिता के काम में भी हाथ बंटाती रही और उसने अपना लक्ष्य भी हासिल किया.
स्टूडेंट्स के सुसाइड के प्रकरणों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले कोटा शहर का ये दूसरा पक्ष भी हैं.जहां करीना जैसे बीपीएल श्रेणी के कई मेधावी विद्दार्थियों का करियर भी कोटा संवार देता हैं. बहरहाल करीना की इस कामयाबी ने दूर प्रदेश के एक निर्माण श्रमिक परिवार को अनगिनत खुशियां तो दी ही, लेकिन साथ ही कोटा के हवाले से संघर्ष से भरी कई सुंदर यादें भी जीवन की गठरी में बांध डाली.फिलहाल पूरे परिवार को इन्तजार करीना के इंजीनियर बनकर लौटने का हैं.