नई दिल्ली: केंद्र द्वारा समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने का सुप्रींम कोर्ट में विरोध करने के एक दिन बाद, विधि एवं कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को कहा कि सरकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोगों की गतिविधियों में "हस्तक्षेप" नहीं करती है लेकिल विवाह की संस्था से जुड़ा मामला नीतिगत विषय है.
सुप्रींम कोर्ट में केंद्र के रुख से जुड़े एक सवाल के जवाब में रीजीजू ने कहा, "सरकार किसी व्यक्ति के निजी जीवन व उसकी गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं कर रही है. इसलिए कोई भ्रम नहीं होना चाहिए. जब शादी की संस्था से जुड़ा कोई मुद्दा आता है तो यह नीतिगत विषय है. उन्होंने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यक्तिगत गतिविधियों को सरकार कभी बाधित या विनियमित नहीं करती है. आपको इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए. एक स्पष्ट अंतर है.
मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं:
सुप्रींम कोर्ट में केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध से संबंधित याचिकाओं का यह कहते हुए विरोध किया कि इससे व्यक्तिगत कानूनों और स्वीकार्य सामाजिक मूल्यों का संतुलन प्रभावित होगा. भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के जरिये वैध करार दिये जाने के बावजूद, याचिकाकर्ता देश के कानूनों के तहत समलैंगिक विवाह के लिए मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं. सोर्स-भाषा