पतंगबाजी पड़ी परवाज पर भारी, राजधानी में 400 से अधिक पक्षी हुए घायल

जयपुर: मकर सक्रांति पर पतंगबाजी की दौर ने कई बेजुबान पक्षियों के पर काट दिए. पतंग की डोर में फंसकर आज करीब 400 बेजुबान पक्षी घायल हो गए. करीब 50 से ज्यादा पक्षियों की मौत हो गई. घायल पक्षियों के इलाज के लिए वन विभाग ने स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से जयपुर में कई जगहो पर पक्षी उपचार केंद्र बनाये. 13 जनवरी से 15 जनवरी तक के लिए जयपुर शहर में पक्षी उपचार शिविर लगाए गए है. 

होप एंड बियोंड संस्था एवं एंजल आइज फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में हो रहे निशुल्क पक्षी चिकित्सा शिविर में आज 80 कबूतर, तीन चील, एक उल्लू, एक टिटहेड़ी, एक ग्रीन बी ईटर एवं एक चमगादड़ घायल अवस्था में लाई गई. इन सभी पक्षियों का इलाज यहां मौजूद डॉक्टर्स ने किया किया. इसी तरह रक्षा संस्थान के मालवीय नगर और रामनिवास बाग के गेट पर लगाए शिविर में देर शाम तक 173 घायल पक्षियों को लाया गया जिनमें कबूतरों की संख्या सर्वाधिक थी. 

मासूम केयर फाउंडेशन के शिविर में एक चील और 64 कबूतरों सहित कुल 65 घायल पक्षियों का उपचार किया गया. अशोक विहार में वन विभाग के शिविर में 52 घायल पक्षियों को लाकर उनका उपचार शुरू किया गया. इनमें कबूतर, चील, उल्लू, तोता और मोर शामिल हैं. कल भी शिविर जारी रहेंगे. पिछले वर्षों में भी पक्षियों के उपचार के लिए 50 से अधिक शिविर जयपुर शहर में लगाया जाते रहे हैं. 

वन विभाग, रक्षा संस्थान, होप एंड बियोंड, मासूम फाउंडेशन सहित विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों ने पक्षी चिकित्सा शिविर लगाए हैं. उपवन संरक्षक संग्राम सिंह कटियार ने बताया कि सावधानीपूर्वक पक्षियों को रेस्क्यू करने के लिए निर्देशित किया गया है. आमजन से अपील की गई है कि किसी को भी कोई घायल पक्षी मिले तो तुरंत वन विभाग को सूचना दे. 

पक्षी को छायादार स्थान पर रखे और इसके बाद जहां से ब्लड लॉस हो रहा है. वह जगह पर एंटीसेप्टिक लगाकर उस ब्लड को रोकने का प्रयास करे. घायल पक्षियों को तुरंत खाने पीने की वस्तु नहीं दे. पक्षी का जितना ब्लड कम लॉस होगा, उतनी ही बचने की संभावना ज्यादा होगी. इसके साथ ही सभी जयपुर वासियों से यह भी अपील है कि सुबह और शाम को पतंगबाजी नहीं करें. क्योंकि सुबह शाम को ही पक्षियों का स्वच्छंद विचरण रहता है.