लीडरशिप कॉन्क्लेव 2023: ओम बिरला बोले- ज्ञान हमें अनुभव की ओर प्रवृत्त करता है और नेतृत्वशील बनाता है

उदयपुर: मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंधन विभाग के मास्टर ऑफ ह्यूमन रिसोर्सेज मैनेजमेंट की ओर से आज  दो दिवसीय "लीडरशिप कॉनक्लेव-2023" का आगाज हुआ. विश्व विद्यालय के विवेकानंद सभागार में शुरू हुए कॉनक्लेव के पहले दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने विद्यार्थियों को लोकतंत्र का अर्थ समझाते हुए नेतृत्व क्षमता विकसित करने के लिए जरूरी  पक्षों पर प्रकाश डाला.

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज की ओर से दो दिवसीय लीडरशिप कॉन्क्लेव का आज आगाज हुआ.इस कॉनक्लेव में बतौर मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शिरकत की. कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए लोकसभा स्पीकर ने कहा कि जानकारी और ज्ञान में अंतर होता है. जानकारी से नेतृत्व नहीं बनता केवल सूचना प्राप्त होती है, जबकी ज्ञान हमें अनुभव की ओर प्रवृत्त करता है और नेतृत्वशील बनाता है. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और तकनीकी उन्नति के साथ ही जानकारियों का दायरा तो बढा रहा है लेकिन इस का सही सदुपयोग ही नौजवानों को नई दिशा दे पायेगा, इसीलिए आज जानकारी को ज्ञान में तब्दील करना जरूरी है.

बिरला ने कहा कि भारत के मूल स्वभाव को साथ लेकर चलना जरूरी है जिसमें ज्ञान, संस्कृति, इतिहास, चिंतन आदि का समावेश होना चाहिए. उन्होंने कहा कि नेतृत्व कोई एक दिन में बनने की चीज नहीं होती बल्कि वह हर क्षण, हर पल और हर दिन दैनिक जीवन के निर्णय से बाहर निकल कर आता है. आजादी के आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने शहीदों को याद किया, वहीं मेवाड़ की धरती को नमन करते हुए महाराणा प्रताप की नेतृत्व क्षमता का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया भर में महाराणा प्रताप को आदर और सम्मान की दृष्टि से याद किया जाता है. यह उनकी नेतृत्व क्षमता ही थी जो उनको पूरी दुनिया में पहचान दिलाती है.

इस दौरान कार्यक्रम में शिरकत कर रहे  राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने कहा कि विधायिका का काम वॉच डॉग की तरह होता है लेकिन बहुत चिंता का विषय है कि केरल को छोड़कर पूरे देश में औसत सदन 20-25 दिन ही चल पाते है. सब लोग अपेक्षा करते हैं कि हम नीतियां बनाएं, क्वालिटी ऑफ गवर्नन्स की बात करें लेकिन संसदीय लोकतंत्र में यदि हाउस पूरे दिन नहीं चलेगा तो यह कैसे तय हो पाएगा कि हम गुणवत्ता पूर्ण लोकतंत्र की कल्पना को साकार करने में समर्थ होंगे. उन्होंने कहा कि आगे की चुनौतियों को समझना बहुत जरूरी है भविष्य कैसा होगा इसके लिए राजनीतिक दलों को बहुत ध्यान चिंतन करना होगा क्योंकि अगर इन चुनौतियों को हम आज नहीं समझ पाए तो दुनिया के सामने खड़े नहीं रह पाएंगे. उन्होंने कहा कि नेतृत्व को समझने के लिए हमें भारतीय परंपराओं में चुनावों को समझना होगा. 

उन्होंने इसे सेमी पार्लियामेंट्री सिस्टम बताया और सवाल किया कि क्या कारण है कि भारत में संसदीय चुनावों में प्रधानमंत्री के चेहरे के साथ तो वोट मिल जाते हैं,  जनता उनके वोटों का पिटारा खोल देती है लेकिन वहीं दूसरी ओर यही वोट विधानसभा चुनाव में स्थानांतरित नहीं हो पाते. इस मुद्दे पर सभी  राजनीतिक दलों को सोचना होगा कि क्या कारण है कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के चेहरे पर वोट मिलते हैं लेकिन वही वोट स्थायी रहने की बजाय फ्लोटिंग वोट में तब्दील हो जाते हैं. सभी राजनीतिक पार्टियों को इसका कारण समझना पड़ेगा और खोजना भी पड़ेगा.  जोशी ने कहा कि विधान सभा का स्पीकर शपथ नहीं लेता हालांकि वह बहुमत वाली पार्टी का विधायक होता है लेकिन निष्पक्षता से हाउस चलाने की जिम्मेदारी उसके कंधों पर होती है इसलिए स्पीकर को युवाओं का रोल मॉडल बनना होगा.  

कुल मिलाकर 2 दिन तक चलने वाली इस लीडरशिप कॉनक्लेव का मकसद देश के युवाओं को भविष्य की चुनौतियों से रूबरू कराना और उनके लिए मजबूत होकर लड़ने का संदेश देना है.