नई दिल्लीः भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 7 जुलाई से शुरू होगी. ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का भव्य और बड़े स्तर पर आयोजन किया जाता है. यात्रा में हर साल लाखों भक्त भाग लेते है. और भगवान के रथ को खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते है. भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे. तीन अलग-अलग विशाल रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर के लिए निकलेंगे. गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है.
जगन्नाथ रथ की लकड़ी "विशेष" होती है. रथों की सजावट काफी मनमोहक होती है. भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम 'नंदीघोष' है. इसमें 16 पहिए होते है. बलभद्र के रथ का नाम 'तालध्वज' है. इसमें 14 पहिए होते है. जबकि सुभद्रा के रथ का नाम 'दर्पदलन' है. इसमें 12 पहिए होते है.
बता दें कि रथ को अक्षय तृतीया से बनाना शुरू किया जाता है. रथ का निर्माण नीम के पेड़ की लकड़ी से किया जाता है. यात्रा के बाद रथों की लकड़ी का उपयोग भगवान का प्रसाद बनाने में होता है. तीनों रथों के पहियों को भक्तों को दिया जाता है. क्योंकि इसकी खास बात ये होती है कि रथ के पहियों को अपने घरों में रखना शुभ और पवित्र माना जाता है.