जयपुर: 7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा की रात पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा. चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है. ये ग्रहण भारत में दिखाई देगा. 2025 में भारत में दिखाई देने वाले ये एक मात्र ग्रहण है. इसके बाद 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण होगा, जो कि भारत में नहीं दिखेगा. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को लगेगा. यह चंद्र ग्रहण पितृ पक्ष की शुरुआत में लगेगा और यह भारत में दिखाई देगा, जिससे इसका सूतक काल मान्य होगा. जिन जगहों पर ग्रहण दिखाई देता है, वहां-वहां चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है. चंद्र ग्रहण के सूतक के समय में पूजा-पाठ नहीं किए जाते हैं. साल की शुरुआत में मार्च माह में एक बार चंद्र ग्रहण लग चुका है. लेकिन सितंबर महीने में साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. बड़ी बात यह है कि इसे भारत में देखा जा सकेगा. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य एवं चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है. इस दौरान शुभ कार्य और पूजा-पाठ करने की मनाही होती है. लापरवाही करने या बरतने से शारीरिक और मानसिक सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. मंदिर बंद रहते हैं. ग्रहण खत्म होने के बाद सूतक खत्म होता है. मंदिरों का शुद्धिकरण होता है और फिर पूजा-पाठ आदि धर्म-कर्म किए जाते हैं.
ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन लगेगा. यह रात्रि 21:57 बजे शुरू होकर 1:26 बजे तक प्रभावी रहेगा और भारत समेत संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी क्षेत्रों में दिखाई देगा. यह चंद्र ग्रहण भारत में भी नजर आएगा इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा और धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व होगा. इस ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से आरंभ होगा और ग्रहण की समाप्ति तक रहेगा. यह ग्रहण अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलेशिया, एशिया, हिंद महासागर, युरोप पूर्वी अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा. रुस और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में चन्द्रास्त के समय उपच्छाया का प्रारम्भ दिखाई देगा. आइसलैंड, अफ्रीका के पश्चिमी हिस्से और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में उपच्छाया का अन्त चन्द्रोदय के समय दिखाई देगा.
7 सितंबर को दूसरा चंद्र ग्रहण ( पूर्ण चंद्र ग्रहण )
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन लगेगा. यह रात्रि 21:57 बजे शुरू होकर 1:26 बजे तक प्रभावी रहेगा और भारत समेत संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी क्षेत्रों में दिखाई देगा. यह चंद्र ग्रहण भारत में भी नजर आएगा इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा और धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व होगा. इस ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से आरंभ होगा और ग्रहण की समाप्ति तक रहेगा. यह पूर्ण चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा, जिसमें चंद्रमा के साथ राहु और सप्तम भाव में सूर्य, केतु और बुध विराजमान होंगे. इस संयोजन का कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों पर विशेष प्रभाव पड़ सकता है. इन जातकों को सावधानी बरतने का आवश्यकता रहेगी.
उपच्छाया प्रवेश रात्रि 08:57,
ग्रहण प्रारम्भ (स्पर्श) :- रात्रि 09:57,
पूर्णता प्रारम्भ : मध्यरात्रि 11:00,
ग्रहण मध्य: मध्यरात्रि 11:41,
पूर्णता समाप्त मध्यरात्रि 12:23,
ग्रहण समाप्त (मोक्ष):-मध्यरात्रि 01:27,
उपच्छाया अन्त: मध्यरात्रि 02:27,
ग्रहण की अवधि:- 03 घंटे 30 मिनट,
पूर्णता की अवधि:- 01 घंटे 23 मिनट
भारत में दिखाई देगा चंद्र ग्रहण
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि यह चंद्र ग्रहण मुख्य रूप से भारत सहित एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अफ्रीका, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका तथा दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी देखा जा सकेगा. यह पूर्ण चंद्रग्रहण भारत के सभी हिस्सों से दिखाई देगा. पूरे देश में ग्रहण की शुरुआत से लेकर अंत तक उपच्छाया सहित ग्रहण के सभी चरण दिखेंगे.
सूतक काल
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले हमेशा सूतक काल लगाता है. ऐसे में 7 सितंबर 2025 को लगने वाला चंद्र ग्रहण रात 9:57 मिनट से शुरू होगा. इसलिए इससे 9 घंटे पहले से सूतक काल लग जाएगा. इसका सुतक दोपहर 12:57 पर प्रारम्भ हो जायेगा.
ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है. इस बार चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 12.56 बजे से शुरू होगा और ग्रहण खत्म होने के साथ ही खत्म होगा. सूतक के समय में भगवान की पूजा नहीं की जाती है, इसलिए मंदिरों के पट बंद रहते हैं. ग्रहण के सूतक के समय में मंत्रों का मानसिक जप करना चाहिए. मानसिक जप यानी मन ही मन मंत्रों का जप करें. मंत्र बोलना नहीं है. इस समय में दान-पुण्य करना चाहिए. गायों को हरी घास खिलाएं. चंद्र ग्रहण के बाद मंदिरों में सफाई होती है और फिर मंदिर के पट भक्तों के लिए खोले जाते हैं.
न करें ये काम
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ग्रहण लगने पर मंदिरों में मूर्तियों को स्पर्श करने से बचें. कैंची, सुई-धागे और धारदार वस्तुओं का उपयोग न करें. यात्रा करने से बचें. ग्रहण को देखने की भूल न करें. महिलाएं ग्रहण के दौरान श्रृंगार न करें. गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण के दौरान घर के अंदर रहना चाहिए. ग्रहण समाप्त होने के बाद ही ताजा बना हुआ भोजन करें.
करें पूजा-पाठ और दान
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ग्रहण के अशुभ असर से बचने के लिए हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए. हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें. भगवान शिव और माता दुर्गा की आराधना करनी चाहिए. महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए.
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास बता रहे हैं चंद्र ग्रहण का राशि अनुसार प्रभाव.
मेष : सुखद लाभ देखने को मिलेगा.
वृषभ : सुखप्रद रहेगा.
मिथुन : कष्टप्रद रहेगा.
कर्क : पीड़ादायक रहेगा.
सिंह : मानसिक चिंता रहेगी.
कन्या : विकासप्रद सुखद रहेगा.
तुला : प्रवास चिंतन, चिंता कारक रहेगा.
वृश्चिक : चिंता, कष्टप्रद रहेगा.
धनु : धनलाभ रहेगा.
मकर : अपव्यय धन हानि की संभावना है.
कुंभ : हानिकारक की संभावना है.
मीन : आर्थिक नुकसान होने के योग है.