जयपुर : प्रदेश में बच्चों में टाइप वन डायबिटीज के बढ़ते मामलों को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने "मधुहारी क्लिनिक" की राहतभरी शुरूआत की है. जिला स्तर के अस्पतालों में खोले जा रहे इन डेडिकेटेड क्लिनिक में एक तरफ जहां बच्चों और किशोर-किशोरियों को ग्लूकोमीटर, इंसुलिन व ग्लुको स्ट्रिप जैसी जरूरी दवाएं निशुल्क उपलब्ध हो रही है, वहीं दूसरी ओर जीवनशैली में बदलाव करके बीमारी की रोकथाम के बारे में उनकी काउंसलिंग भी की जा रही है. आखिर क्या है मिशन मधुहारी और मासुम बच्चों को ये क्लिनिक कितने दे रहे राहत.
एक मासूम की किलकारी गुंजते ही पूरे घर में रौनक आमबात है. लेकिन जब मासूम जन्म के साथ ही टाइप वन डायबिटीज जैसे असाध्य रोग से पीड़ित हो उस परिवार के लिए इससे बड़ा कोई झटका नहीं हो सकता. जी हां, कुछ ऐसी ही पीड़ा इन दिनों बढ़ती जा रही है. अकेले राजस्थानकी बात की जाए तो बच्चों में टाइप वन डायबिटीज के बढ़ते मामलों ने पूरे सिस्टम को चिंता में डाल दिया है. ये ही वजह है कि चिकित्सा विभाग ने इन बच्चों की स्पेशल केयर के लिए ‘मिशन मधुहारी’शुरू किया है. इस अभियान के तहत जिला अस्पतालों में डेडिकेटेड डायबिटिज क्लिनिक खोले जा रहे है. विभाग ने पहले चरण में चार जिलों के 12 अस्पतालों में मधुहारी क्लिनिक की शुरूआत की है. जिसे जल्द ही पूरे राजस्थान के जिला अस्पतालों तक ले जाया जाएगा .
कहां-कहां मिली मधुहारी क्लिनिक की सौगात
जयपुर प्रथम - उप जिला अस्पताल चौमूं, उप जिला अस्पताल शाहपुरा,
जयपुर द्वितीय - उप जिला अस्पताल चाकसू, उप जिला अस्पताल सांभर
नागौर - जिला अस्पताल नागौर, उप जिला अस्पताल डीडवाना, उप जिला अस्पताल जायल
जोधपुर - जिला अस्पताल, पीपाडसिटी, उप जिला अस्पताल औसियां, सेटेलाइट अस्पताल पावटा
उदयपुर - उप जिला अस्पताल मावली, उप जिला अस्पताल भिंडर
एक नजर में टाइप वन डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज तब होती है जब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता
भोजन में मौजूद पोषक तत्व ग्लूकोज नामक चीनी के रूप में बदल जाते हैं
इंसुलिन ग्लूकोज को रक्तप्रवाह से कोशिकाओं में ले जाने में मदद करता है
ताकि ऊर्जा के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सके.
इंसुलिन के बिना, ग्लूकोज रक्तप्रवाह में "फंस" जाता है
इससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है,जो शरीर में नुकसान पहुंचा सकता है
इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में अचानक वजन कम होने लगता है, बिस्तर पर ही यूरिन का आना
आंखों से कम दिखाई देना, भूख और प्यास लगने जैसे लक्षण देखे जाते है
विभाग की प्रमुख चिकित्सा सचिव गायत्री राठौड खुद ‘मिशन मधुहारी’का लतागार रिव्यू कर रही है. राठौड के मुताबिक छोटे बच्चे में जेनेटिक फैक्टर के कारण टाइप वन डायबिटीज बढ़ा है. ये हम सभी के लिए एक अलार्मिंग स्थिति है,जिसके बारे में गंभीरता से विचार किया गया. ऐसे बच्चों की लाइफ काफी चुनौतिपूर्ण हो सकती है, जो समाज के लिए चिंतनीय है. इन बच्चों की स्पेशल केयर के लिए जिला अस्पतालों में मधुहारी क्लिनिक का नवाचार किया गया है. इन मधुहारी क्लिनिक में न सिर्फ ट्रीटमेंट दिया जा रहा है, बल्कि मरीजों को जीवनशैली के बारे में भी बताया जा रहा है. ताकि, चिकित्सकों के मुताबिक लाइफ स्टाइल को बदलकर बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके .