नई दिल्ली: नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के पावन अवसर पर पूरा देश उन्हें श्रद्धापूर्वक याद कर रहा है. मैं नेताजी सुभाष बाबू को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. इस वर्ष नेताजी की जन्मस्थली पर पराक्रम दिवस का भव्य आयोजन हो रहा है. इसके लिए मैं ओडिशा की जनता और ओडिशा सरकार को बधाई देता हूं.
कटक में नेताजी के जीवन से जुड़ी एक विशाल प्रदर्शनी भी लगाई गई है. इस प्रदर्शनी में नेताजी के जीवन से जुड़ी अनेक धरोहरों को एक साथ संजोया गया है. कई चित्रकारों ने नेताजी के जीवन की घटनाओं के चित्रों को कैनवास पर उकेरा है. आज जब हमारा देश विकसित भारत के संकल्प को प्राप्त करने में लगा हुआ है, तो हमें नेताजी सुभाष के जीवन से निरंतर प्रेरणा मिलती है.
नेताजी के जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य 'आजाद हिंद' था. अपने संकल्प को प्राप्त करने के लिए उन्होंने अपने निर्णय को केवल एक कसौटी पर रखा. नेताजी का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था. उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की. वे चाहते तो ब्रिटिश शासन में एक वरिष्ठ अधिकारी बनकर आराम की जिंदगी जी सकते थे, नेताजी चाहते तो अमेरिका में आराम से जीवन व्यतीत कर सकते थे.
लेकिन आजादी के लिए उन्होंने कठिनाइयों को चुना. चुनौतियों को चुना और देश-विदेश में भटकना पसंद किया.नेताजी कंफर्ट जोन में बंधे नहीं थे. उसी तरह आज हम सभी को विकसित भारत के निर्माण के लिए अपने कंफर्ट जोन से बाहर आना होगा. हमें खुद को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा, हमें उत्कृष्टता को चुनना होगा, हमें दक्षता पर ध्यान देना होगा. नेताजी ने देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया.
इसमें देश के हर क्षेत्र और हर वर्ग के नायक और नायिकाएं शामिल थीं. सबकी भाषाएं अलग-अलग थीं, लेकिन भावना एक थी- देश की आजादी. यह एकता आज विकसित भारत के लिए बहुत बड़ी सीख है. तब हमें स्वराज के लिए एक होना पड़ा था, आज हमें विकसित भारत के लिए एक रहना है, आज हमें विकसित भारत के लिए एक रहना है. आज हमारा देश विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में लगा है. हमें विकसित भारत के लिए कंफर्ट जोन से बाहर निकलना है.