झालावाड़ में 7 समंदर पार करके आये प्रवासी पक्षियों ने डाला डेरा, अठखेलियां कर पक्षी प्रेमियों को किया आकर्षित

झालावाड़: राजस्थान के झालावाड़ जिले में शीत ऋतु के शुरू होते ही प्रवासी पक्षियों का आवागमन शुरू हो जाता है. झालावाड़ जिले के विभिन्न जलाशयों में लगभग 150 तरह के विदेशी प्रवासी पक्षियों की अठखेलियोे को देखा जा सकता है, जिनकी संख्या लगभग जिले के सभी तालाबों में 10 हजार से ज्यादा है. जिनमें वेडर्स प्रजाति के मार्श ग्रीन, वुडकामन,
सेडपाइपर,टैमेनिक स्टिटं, लिटिल रिच्ड, पुलोवर ,स्पोडेट, रेड शाक,ग्रीन शाक एवं बतख प्रजाति के रिग पुलोवर, नार्डन शावल कामन, पोचर्ड एवं जलमुर्गी प्रजाति में स्थानीय प्रवासी कुट, रेप्टर्स में युरेशियन मार्ग हेरियन, आंसप्रे आदि दिखाई दे रहे हैं.

साथ ही स्थानीय पक्षी भी काफी तादाद में पाये जाते हैं. जिनमें सरस क्रेन, हेरोन, पर्पल हेरोन,येलो फुटेज आदि एवं दुर्लभ पक्षियों में पेटेड स्परफाइल व पेटेड सेड ग्राऊज सहित कई स्थानिय प्रजाति पाई जाती है. इस प्रकार हमारे द्वारा झालावाड जिले के विभिन्न जलाशयो में विदेशी प्रवासी पक्षियों एवं देशी प्रवासी छोटे एवं बड़े पक्षियों का भ्रमण करते हुए देखा जा सकता है.

हिमालय यूरोप और अन्य देशों से यह पक्षी 5 हजार से 10 हजार किलोमीटर तक का सफर कर भारत में आते है और राजस्थान के झालावाड़ में भी इन पक्षियों ने अपना  डेरा जमा रखा है. इनकीं अठखेलियां देख पक्षी प्रेमियों में खासा उत्साह भी है. यहां कई पक्षी प्रेमी भी यहां आकर इनको अपने कैमरे में कैद कर रहे है. साथ ही स्कूली बच्चों को भी इनकीं जानकारी दे रहे है, जिससे बच्चों को विदेशी पक्षियों की जानकारी भी मिल रही है 3 से 4 माह तक यह पक्षी झालावाड़ के अलग अलग तालाबों में प्रवास करते है फिर अपने अपने देश लौट जाते है. इन पक्षियों को झालावाड़ रास आने लगा है