नई दिल्ली: दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शामिल बिल गेट्स का कहना है कि "अगर आप गरीब पैदा होते हैं तो यह आपकी गलती नहीं है, लेकिन आप गरीब ही मर जाते हैं तो ये आपकी गलती ज़रूर है." उत्तराखंड के राजेंद्र सिंह रावत शायद इसी बात को सच नहीं होने देना चाहते थे इसीलिए उन्होंने अपने परिवार के गरीबी के इतिहास को ही बदल डाला. एक वक़्त था जब राजेंद्र महीने भर मजदूरी करने के बाद सिर्फ पांच हजार रूपए ही कमा पाते थे.
लेकिन आज सिर्फ 23 साल की उम्र में वो 2 करोड़ से भी ज्यादा का बिजनेस कर चुके है. राजेंद्र उत्तराखंड नैनीताल के हल्द्वानी में मौजूद एक ऐसे गॉंव से हैं जो जंगलों के बीचों बीच हैं. इस गांव में सड़क, स्कूल, हॉस्पिटल, बिजली और इंटरनेट जैसी कुछ ज़रूरी और बेसिक सुविधाएँ तक मौजूद नहीं है. राजेंद्र के पिता उनके बचपन में ही गुज़र गए थे, जिसकी वजह से उनकी पढ़ाई भी पायी.
लेकिन ये मुश्किल यहीं पर ख़तम नहीं हुई, कुछ सालों बाद एक दुर्घटना में राजेंद्र की माँ आग में बुरी तरह से झुलस गयी. उनका इलाज करवाने के लिए राजेंद्र को कर्ज लेना पड़ा. उस कर्ज को चुकाने के राजेंद्र ने दिनरात मजदूरी की, लेकिन इतना करना काफी नहीं था. फिर 2020 में कुछ ऐसा हुआ कि राजेंद्र की किस्मत ही बदल गयी.
राजेंद्र को डॉ विवेक बिंद्रा के "हाउ टू स्टार्ट अ स्टार्टअप" वेबिनार के बारे में पता चला. लेकिन मजबूरी कुछ कदर थी कि वेबिनार को देखने के लिए उनके पास अच्छी इंटरनेट फैसिलिटी तक नहीं थी. लेकिन राजेंद्र ने इस प्रॉब्लम को अपनी राह का रोड़ा नहीं बनने दिया, उनके यहाँ पेड़ के ऊपरी हिस्सों पर ही इंटरनेट नेटवर्क मिलता था, इसीलिए राजेंद्र ने पेड़ के ऊपर डाल पर बैठकर ये वेबिनार अटैंड किया. जिसके बाद वो डॉ विवेक बिंद्रा के आईबीसी प्रोग्राम से जुड़ गए. आज ये 2 करोड़ से भी ज्यादा का बिजनेस कर चुके हैं, एक लग्ज़री लाइफ जी रहे हैं.
जिस तरह से एक वेबिनार ने राजेंद्र सिंह रावत की ज़िंदगी को बदल कर रख दिया वैसे ही और भी अनगिनत लोग इसी सफलता का स्वाद चख चुके हैं. ये सफलता उन्हें ना सिर्फ एक सक्सेसफुल करियर देती है बल्कि जीवन में कई तरह के खास एक्सपीरियंस भी लेकर आती है. अक्सर लोग आर्थिक रूप से मज़बूत होने के बाद बेहतर सुविधाओं के साथ घूमना फिरना, दुनिया की अलग अलग जगहों को एक्स्प्लोर करना काफी ज्यादा पसंद करते हैं.
इसीलिए डॉ विवेक बिंद्रा की तरफ से उनके साथ जुड़े इन लोगों को ऐसे कमाल के एक्सपीरियंस लेने का मौका भी मिलता रहता है. हाल ही में अपने साथ जुड़े लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्होंने एक चार दिन की ट्रिप को ऑर्गेनाइज किया, जिसमें 400 से भी ज्यादा लोगों को गोवा ले जाया गया. इतने सारे लोगों को एकसाथ ट्रिप पर लेकर जाने उद्देश्य बस इतना ही था कि इस ट्रिप दौरान दौरान सभी एक दूसरे के साथ अपने अनुभव शेयर कर सकें. एक दूसरे से कनेक्शन बना सकें, साथ ही कुछ एडवेंचर भी कर सकें ताकि ये ट्रिप उनकी लाइफ में एक तरह की उम्मीद भर सके.
गोवा ट्रिप की खास बातें -
पूल पार्टी और गाला डिनर -
कहते हैं पानी कई सारी बीमारियो का इलाज होता है, पानी बीमारियों के साथ साथ लोगों के मूड का इलाज भी कर देता है. क्योंकि सामने अगर एक पूल हो तो उसमें डुबकी लगाकर आप अपनी सारी टेंशन भुला देते हैं. इसीलिए ट्रिप के दौरान सबसे पहले एक पूल पार्टी और गाला डिनर को ऑर्गेनाइज किया गया. जिसमें सभी ने अपनी टेंशन को किनारे करके शानदार डीजे नाइट और कमाल के खाने का लुत्फ़ उठाया.
विवेक बिंद्रा ने बढ़ाया सभी का मनोबल -
एक लीडर का साथ हमेशा ही उसकी टीम का मनोबल बढ़ा कर रखता है, इसीलिए ट्रिप के दूसरे दिन खुद डॉ विवेक बिंद्रा ने ट्रिप पर गए लोगों के साथ समय बिताया. वो उनके साथ बैठे, उन्हें मोटिवेट किया और सभी के साथ उन्होंने सेल्फीज क्लिक करवाई और वीडिओज़ भी बनाये. इस शानदार मुलाकात के बाद लोगों को एक वर्ल्ड क्लास एक्सपीरियंस मिला. क्योंकि सभी को एक क्रूज पर जाया गया जहाँ जाना बहुत से लोगों का सपना होता है.
बीच एक्टिविटीज -
गोवा सबसे ज्यादा अपने बीचेज और वाटर एक्टिविटीज के लिए फेमस है, जहाँ जाकर कुछ लोग एडवेंचर करना पसंद करते हैं तो कुछ बीच पर बैठकर आराम करना. इसीलिए ट्रिप में एक दिन बीच पर समय बिताने के लिए भी रखा गया, साथ ही लोगों को गोवा के अलग अलग जगहों पर घुमाया भी गया. इन सभी एक्टिविटीज ने लोगों के अंदर एक नया उत्साह और आत्मविश्वास भर दिया, जो आगे उन्हें उनके काम में भी मदद करेगा.
गोवा बाजार घूमने का मिला मौका -
किसी भी जगह का ट्रेडिशन जाने बिना वहां से वापस नहीं आना चाहिए, इसीलिए ट्रिप के लोगों को आखिरी दिन गोवा के लोकल हेंडीक्राफ्ट मार्केट्स घूमने का भी मौका मिला. जहाँ से लोगों ने गोवा के ट्रेडिशन से जुड़ी चीज़ों को ख़रीदा.
एंटरप्रेन्योर्स के मनोबल को बढ़ाये रखने के लिए डॉ विवेक बिंद्रा इस तरह की ट्रिप्स को पहले भी ऑर्गेनाइज करवाते रहे हैं, जिनमें छोटे छोटे गांव से लेकर बड़े शहरों तक के लोगों को शामिल होने का मौका मिला है. लोगों को प्रोत्साहित करके उन्हें सफलता की तरफ अग्रसर करना ही डॉ विवेक बिंद्रा का मकसद रहा है.