सांसदों को संसद में विचार व्यक्त करने का निर्बाध अधिकार है- Om Birla

नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि सभी सांसदों को संसद में अपने विचार व्यक्त करने का ‘‘निर्बाध अधिकार’’ है. बिरला का यह बयान कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस दावे के कुछ दिनों बाद आया है जिसमें उन्हों कहा था कि सदन में विपक्षी दलों के सांसदों को अपनी बात रखने की अनुमति नहीं दी जाती.

बिरला ने बहरीन के मनामा में अंतर-संसदीय संघ की 146वीं सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत में एक मजबूत सहभागी लोकतंत्र और एक जीवंत बहुदलीय प्रणाली है जहां लोगों की आशाएं और आकांक्षाएं निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं और लोकसभा में सभी सदस्य अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं.’ गांधी ने लंदन में एक समारोह के दौरान आरोप लगाया था कि संसद में विपक्षी नेताओं की आवाज दबाई गई. बिरला ने कहा कि भारत की संसद ने जलवायु परिवर्तन, लैंगिक समानता, सतत विकास और कोविड-19 महामारी जैसी समकालीन वैश्विक चुनौतियों पर हमेशा व्यापक और सार्थक वाद-विवाद एवं विचार-विमर्श किया है.

वास्तविकताओं को प्रतिबिम्बित कर सकें:
लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि शांति, सद्भाव और न्याय का प्रसार करने वाली वैश्विक संस्थाएं शांति, समृद्धि, स्थिरता और न्यायोचित वैश्विक व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं. इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधार लाने को लेकर कई देशों के बीच व्यापक सहमति है ताकि ये संस्थाएं तेजी से बदलती वैश्विक व्यवस्था की वास्तविकताओं को प्रतिबिम्बित कर सकें.

चुनौतियों से निपटने में अधिक से अधिक योगदान दे सकें: 
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार में और देरी नहीं की जा सकती. लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस विषय को भविष्य के वैश्विक एजेंडे में शामिल किया जाना अहम है ताकि हम जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, गरीबी, लैंगिक समानता और आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने में अधिक से अधिक योगदान दे सकें.वैश्विक दायित्वों को पूरा करने में भारत की तत्परता पर प्रकाश डालते हुए बिरला ने कहा कि देश ने अपने नागरिकों के लिए कोविड-19 के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चलाया और साथ ही उसने ‘वैक्सीन मैत्री’ के तहत चिकित्सकीय उपकरण और टीके मुहैया कराके वैश्विक महामारी से लड़ने में दुनिया के अन्य देशों की भी मदद की. सोर्स-भाषा