जयपुर: नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क वन्यजीवों के बड़े ब्रीडिंग सेंटर के तौर पर उभर रहा है. यहां 28 प्रजाति के वन्यजीव हैं और इनमें लेपर्ड को छोड़कर सभी के द्वारा प्रजनन किया गया है. लेपर्ड के प्रजनन पर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की रोक है. दो रानी पिछले 15 दिन में यहां बच्चों को जन्म दे चुकी हैं और अब तारा जल्द खुशखबरी दे सकती है.
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में 28 प्रजाति के वन्यजीवों का रहवास है. इनमें बाघ, शेर और लेपर्ड बिग कैट फैमेली से हैं और शेष वन्यजीवों में भालू, हिप्पो, जरख, भेड़िया, गीदड़, लोमड़ी, घडियाल और हिरण फैमली के साथ ही दूसरे वन्यजीव भी हैं. यहां केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की रोक के चलते लेपर्ड की ब्रीडिंग नहीं करवाई जाती शेष सभी वन्यजीव यहां प्रजनन कर रहे हैं. पिछले दिनों की बात करें तो यहां 10 मई को रानी नाम की बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया इनमें दो गोल्डन और एक सफेद शावक शामिल है. फिर 26 मई को रानी नाम की मादा हिप्पो ने भी एक बच्चे को जन्म दिया. अब नाहरगढ़ लॉयन सफारी के लोकप्रिय जोड़े एशियाटिक शेर शक्ति और शेरनी तारा की सफल मेटिंग के बाद तारा की शारीरिक संरचना में बदलाव दिख रहा है. ऐसे में तारा भी जल्द खुशबरी दे सकती है. डीसीएफ जगदीश गुप्ता और रेंजर जगदीश शर्मा, वनपाल माधव, वनरक्षक श्रीराम चौधरी, सरिता चौधरी सहित तमाम स्टाफ पूरी सजगता से नवजात शावकों के साथ ही प्रत्येक वन्यजीव को लेकर नियमित मॉनिटरिंग में लगे हैं.
बाघिन और मादा हिप्पो द्वारा बच्चे डिलीवर करने के बाद वन विभाग की टीम पूरी मेहनत और सजगता से देखभाल कर रही है. पशु चिकित्सकों की टीम भी मुस्तैदी से तैनात है. बाघिन रानी और उसके शावकों को गर्मी से परेशानी न हो इसके लिए कूलर लगाए गए हैं, कराल को भी ग्रीन कवर किया है ताकि लू के थपेड़े से बाघिन और शावक परेशान न हो. मादा हिप्पो और उसके नवजात बच्चे के लिए नियमित पौंड में पानी भरा जाता है. भोजन और दवाओं की भी लगातार आपूर्ति से भी वन्यजीवों को राहत है.
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीव प्रबंधन अब पहले से बेहतर होने लगा है. समन्वित प्रयास और नियमित मॉनिटरिंग से वन्य जीवों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण बना है. उम्मीद की जा रही है जल्द ही यहां दूसरे वन्यजीवों को भी एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत लाया जाएगा जिससे यहां के आकर्षण में और चार चांद लग सकें.