जयपुरः वन पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित करने की दिशा में 1 मई से प्रदेश के जंगलात में प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. इसके साथ ही अब प्रदेश के पांचों नेशनल पार्क और 26 वाइल्ड लाइफ सेंचुरीज में अब जानलेवा प्लास्टिक की एंट्री पूरी तरह प्रतिबंधित हो जाएगी. आदेश जारी होने के बाद जंगल में प्लास्टिक ले जाने या उसके इस्तेमाल पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. एक रिपोर्ट.
राजस्थान में जंगलात 1 मई से प्लास्टिक मुक्त करने की तैयारी
प्रदेश के सभी नेशनल पार्क, वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी, प्रोटेक्ट फॉरेस्ट में प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध
मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पीके उपाध्याय जारी करेंगे आदेश
प्रदेश में हैं 5 नेशनल पार्क और 27 वाइल्ड लाइफ सेंचुरीज
करीब 10 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हैं नेशनल पार्क व सेंचुरीज
अब इन सभी में प्लास्टिक पर लग जाएगा पूर्ण प्रतिबंध
इस वर्ष की विश्व पृथ्वी दिवस की थीम भी है 'प्लैनेट बनाम प्लास्टिक'
ऐसे में वन विभाग जंगल बचाने की मुहिम में प्लास्टिक पर लगा रहा प्रतिबंध
प्रदेश में 3 जगह चल रही टाइगर सफारी, 22 जगह अन्य सफारी या पार्क भ्रमण
ऐसे में प्लास्टिक पर प्रतिबंध का फैसला साबित होगा मील का पत्थर
पर्यटक या अन्य द्वारा प्लास्टिक ले जाने पर होगी नियमानुसार कार्रवाई
वन विभाग शुरू में आमजन को जागरूक करने को लगाएगा साइन बोर्ड
स्टाफ द्वारा भी पर्यटकों को किया जाएगा 'नो प्लास्टिक' के लिए जागरूक
वन्यजीव संरक्षण की दिशा में राजस्थान की बन रही पहचान
प्रदेश में हैं 5 टाइगर रिजर्व और 36 कंजर्वेशन रिजर्व
प्रदेश में करीब 120 बाघ और 721 लेपर्ड
करीब 700 स्लॉथ बीयर और लगभग 3 हजार जरख
वर्ष 2019 की वन्य जीव गणना में वन्यजीवों की संख्या आंकी गई थी 2 लाख 52000 से अधिक
प्लास्टिक फॉरेस्ट और एनवायरमेंट की सबसे बड़ी थ्रेट है और राजस्थान ने इस थ्रेट को समाप्त करने और वन पर्यावरण को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए बड़ा फैसला किया है. प्रदेश के जंगलात में 1 मई से प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की तैयारी है. वन विभाग के पीसीसीएफ व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन कुमार उपाध्याय इसके आधिकारिक आदेश जारी करेंगे. वन विभाग की यह पहल प्रदेश के जंगल और वन्यजीवों को बचाने की दिया में मील का पत्थर साबित होगी. दरअसल राजस्थान में रणथंभौर, मुकंदरा, केवलादेव, सरिस्का और डेजर्ट नेशनल पार्क के तौर पर पांच नेशनल पार्क और कुल 27 वाइल्डलाइफ सेंचुरीज हैं जोकि करीब 10 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हैं. इनमें करीब सवा सौ बाघ, करीब 720 लेपर्ड और इतने ही स्लॉथ बीयर सहित ढाई लाख से ज्यादा वन्यजीवों का है विचरण. जंगलात में सघन वनस्पति और पेड़-पौधों के चलते ही प्रदेश में कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित किया जा रहा है. अब यदि इन वनों में प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध लग जाएगा तो निश्चित रूप से वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ ही मानव जाति भी खुद को सुरक्षित कर पाएगी. प्रदेश में टाइगर रिजर्व पांच हैं लेकिन टाइगर सफारी तीन जगह करवाई जाती है. इसी तरह 22 जगह लेपर्ड, लॉयन, हाथी सफारी व वन भ्रमण करवाया जाता है. ऐसे में प्लास्टिक प्रतिबंध के आदेश के बाद जंगल में प्लास्टिक ले जाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. शुरुआत में वन विभाग पर्यटकों व वन क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाएगा. सफारी पार्क व अन्य वन क्षेत्रों में प्रवेश द्वार पर ही प्लास्टिक सामान रखवाया जाएगा. इसके बाद भी प्लास्टिक सामग्री ले जाने पर नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी. इन आदेशों के बाद जंगल में प्लास्टिक की पानी की बोतल, गुटखा-पान मसाला, वेफर्स के पाउच व अन्य प्लास्टिक सामग्री पूरी तरह प्रतिबंधित हो जाएगी. विस्तृत आदेश जल्द जारी किए जाएंगे ताकि प्रदेश के जंगलों को जानलेवा प्लास्टिक से पूरी तरह मुक्त रखा जाए सके.
क्लोजिंग पीटीसी निर्मल तिवारी फर्स्ट इंडिया न्यूज़, जयपुर