जयपुर: ऐसा पहली बार है जब राज्य की विधानसभा ने अपने अधिकारियों को नई संसदीय विधाओं से अवगत कराने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया. मकसद है विधानसभा की समितियों को पावरफुल बनाना. स्पीकर देवनानी ने कहा कि कानून निर्माण की प्रक्रियाओं में हो रहे बदलावों के प्रति जागरूक रहना. पीडीटी आचार्य, मानस गुब्बी ने कार्यक्रम को संबोधित किया.
प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा को लेकर आम जन की आकांक्षाएं होती है. यहीं पर नियम और कानूनों का निर्माण होता है. इन्हीं नियम और कानूनों के बदलाव की प्रक्रिया की जानकारी विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों को होनी चाहिए. इसी सिलसिले में आज राजस्थान विधानसभा अधिकारियों का अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया. दो दिवसीय कार्यक्रम का आगाज किया स्पीकर वासुदेव देवनानी ने देवनानी ने इस अवसर पर कहा कि अधिकारियों का दायित्व है कि वे कानून निर्माण प्रक्रिया में बदलाव का ध्यान रखे,देश व अन्य राज्यों में हुए परिवर्तनों का भी ध्यान रखें..देवनानी ने कहा कि अधिकारीगण, किसी भी संस्थान के रीड़ की हड्डी होते हैं, उन्होंने कहा कि अधिकारियों को नई सोच और नये तरीकों से अपने कार्यों को श्रेष्ठ बनाना चाहिए.
संसदीय विषयों के जानकार लोकसभा सचिवालय के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा कि लोकतंत्र में जबाबदेही आवश्यक होती है,विधानसभा समितियों में मुद्दों का निष्पक्ष विश्लेषण होना चाहिए,विधानसभा के प्रमुख सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने विशेष प्रशिक्षण कार्यकम के उद्देश्यों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ऐसे संवाद कार्यक्रमों से संस्थानों में नवाचारों की संभावनाएं प्रबल होती है.
पी आर एस लेजिस्लेटिव रिसर्च के प्रमुख मानस गुब्बी ने संवेधानिक प्रावधानों और संसदीय परम्पराओं के अनुसार कानून का मसौदा तैयार करने व पारित कराने में विधानसभा के योगदान और बजट व उसके प्रावधानो और राज्य वित्त की जांच, अनुमोदन और अनुपालन में विधानसभा की मौलिक भूमिका के बारे में बताया, गुब्बी ने कहा कि विधायी लेखन की भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए. इस दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में सोमवार को विधानसभा के सभी अधिकारियों ने भाग लिया, अधिकारियो ने प्रश्न पूछ कर विधायी कार्यों के विभिन्न पहलुओं पर हो रही चर्चा को जीवंत बना दिया. उल्लेखनीय है कि राज्य की विधानसभा का गौरवशाली इतिहास रहा है. यहां के सदन ने विख्यात कानूनों का निर्माण भी किया जो देश में नजीर भी बने.