3 अक्टूबर को मनाई जाएगी पापांकुशा एकादशी, करें इन मंत्रों का जाप, लक्ष्मी माता होगी प्रसन्न

3 अक्टूबर को मनाई जाएगी पापांकुशा एकादशी, करें इन मंत्रों का जाप, लक्ष्मी माता होगी प्रसन्न

जयपुर: सनातन धर्म के लोगों के लिए पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व है. यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन व्रत रखने के अलावा भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है. व्यक्ति जाने-अनजाने में किए गए पापों से भी मुक्त हो जाता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि सूर्योदय की तिथि के अनुसार, सनातन धर्म के लोग 3 अक्टूबर 2025 को पापांकुशा एकादशी व्रत रखा जाएगा. वैदिक कैलेंडर के अनुसार भगवान विष्णु को समर्पित पापांकुशा एकादशी का त्योहार हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मनाया जाता है. सनातन धर्म के लोगों के लिए पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व है. ये दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है. साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है.

ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि पापांकुशा एकादशी को अति उत्तम माना जाता है. यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के 11वें दिन मनाई जाती है, ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है. साथ ही व्यक्ति के सभी पापों का अंत होता है.

तुलसी पूजन 
ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय पत्नी माना जाता है, इसलिए इन्हें विष्णुप्रिया भी कहा जाता है. एकादशी के दिन तुलसी पूजन करने से सभी दुख दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. शाम को तुलसी के पास गाय के घी का दीपक जलाकर सात या ग्यारह बार परिक्रमा करने से शुभ फल मिलता है.

पापांकुशा एकादशी 
एकादशी तिथि की शुरुआत- 02 अक्टूबर को शाम 07:10 मिनट पर
एकादशी तिथि का समापन- 03 अक्टूबर को शाम 06:32 मिनट पर
सूर्योदय की तिथि के अनुसार, सनातन धर्म के लोग  3 अक्टूबर 2025 को पापांकुशा एकादशी व्रत रखा जाएगा. 

पूजा विधि 
कुण्डली विश्ल़ेषक डा.अनीष व्यास ने बताया कि एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें. भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें. इसके बाद मंदिर को साफ करें. एक वेदी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. भगवान का पंचामृत से स्नान करवाएं. पीले फूलों की माला अर्पित करें. हल्दी या फिर गोपी चंदन का तिलक लगाएं. पंजीरी और पंचामृत का भोग अवश्य लगाएं. विष्णु जी का ध्यान करें. पूजा में तुलसी पत्र शामिल करना न भूलें.

करें इन मंत्रों का जाप
- ॐ नमोः नारायणाय नमः.
- ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः
- ॐ नारायणाय विद्महे. वासुदेवाय धीमहि . तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥
- ॐ विष्णवे नम:

महत्व 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा.अनीष व्यास ने बताया कि पापाकुंशा एकादशी व्रत के समान अन्य कोई व्रत नहीं है. इस एकादशी में भगवान पद्मनाभ का पूजन और अर्चना की जाती है, जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. पापाकुंशा एकादशी हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल प्रदान करने वाली होती है.पदम् पुराण के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा पूर्वक  सुवर्ण,तिल,भूमि,गौ,अन्न,जल,जूते और छाते का दान करता है,उसे यमराज के दर्शन नही होते.  इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति इस एकादशी की रात्रि में जागरण करता है वह स्वर्ग का भागी बनता है. इस एकादशी के दिन दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

इन बातों का ध्यान रखें
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा.अनीष व्यास ने बताया कि एकादशी के दिन तुलसी को छूना या उनके पत्ते तोड़ना शुभ नहीं माना जाता, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता स्वयं निर्जला व्रत करती हैं. यदि तुलसी दल भोग में अर्पित करना हो, तो उन्हें एक दिन पहले ही तोड़ लें या गिरे हुए पत्तों का प्रयोग करें.