जयपुर: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजस्थान के कईं दिग्गज नेताओं को दूसरे राज्यों की बागडोर सौंपी थी. अशोक गहलोत,सचिन पायलट,भंवर जितेन्द्र सिंह,टीकाराम जूली, सीपी जोशी और हरीश चौधरी जैसे नेताओं को दूसरे राज्यों में पर्यवेक्षक बनाकर भेजा था. वहीं बतौर प्रभारी पायलट के छत्तीसगढ़ और भंवर जितेन्द्र सिंह के असम-मध्यप्रदेश राज्य में क्या परिणाम रहे.
लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद अब कांग्रेस के उन दिग्गज नेताओं की भी परफॉर्मेंस रिपोर्ट सामने आ गई है. जिन्हें पार्टी ने राजस्थान से बाहर दूसरे राज्यों की सीटों की जिम्मेदारी थी और बतौर प्रभारी वहां टिकट वितरण से लेकर सारा काम देखा. बाहरी सीटों की जिम्मेदारी के टास्क के मामले में अशोक गहलोत, हरीश चौधऱी औऱ टीकाराम जूली की परफोर्मेंस अच्छी रही.
अशोक गहलोत-
पूर्व सीएम अशोक गहलोत को पार्टी ने यूपी की अहम सीट अमेठी का पर्यवेक्षक बनाया था. गहलोत ने कईं दिनों तक अपनी टीम के साथ वहां कैंप किया. नतीजा यह रहा कि गहलोत के दांव-पेंच में बीजेपी फंस गई और स्मृति ईरानी चुनाव हार गई. हालांकि गांधी परिवार की मेहनत का यहां रोल ज्यादा था पर गहलोत का तजुर्बा भी काम आया.
सचिन पायलट-
सचिन पायलट को चुनाव से कईं माह पहले छत्तीसगढ़ राज्य का प्रभारी बनाया गया था. लेकिन बतौर प्रभारी पायलट की उड़ान सफल नहीं हो पाई. छत्तीसगढ़ में 11 में से महज एक सीट कांग्रेस को मिली. जबकि पिछले चुनाव में कांग्रेस को दो सीटें मिली थी. हालांकि पायलट ने यहां खूब सभाएं और दौरे करते हुए पसीना बहाया था. वहीं पायलट को दिल्ली की उत्तरी पूर्वी सीट से भी निराशा हाथ लगी. कांग्रेस ने कन्हैया कुमार की जीत के लिए पायलट को इस सीट की पर्यवेक्षक की अहम जिम्मेदारी दी थी. पर पायलट यहां से कांग्रेस को जीत दर्ज नहीं करवा पाए.
भंवर जितेन्द्र सिंह-
भंवर जितेन्द्र सिंह को असम प्रभारी के साथ चुनाव से पहले मध्यप्रदेश राज्य की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई. लेकिन मध्यप्रदेश के रिजल्ट जितेन्द्र सिंह और कांग्रेस के लिए अच्छे नहीं रहे. कांग्रेस यहां खाता भी नहीं खोल पाई औऱ पिछली बार जीती छिंदवाड़ा सीट भी हाथ से निकल गई. उधर असम में भी कांग्रेस को 14 में से केवल तीन सीट मिली.
हरीश चौधऱी-
बाहरी राज्यों की जिम्मेदारी देने के टास्क में हरीश चौधरी सबसे टॉप पर रहे. चौधरी को पंजाब का स्पेशल पर्यवेक्षक बनाया गया था. पंजाब में कांग्रेस का पिछला स्कोर लगभग बराबर रहा. कांग्रेस ने यहां 13 में से 7 लोकसभा सीट हासिल की पिछली बार कांग्रेस ने पंजाब में 8 सीटे जीती थी. लेकिन उस वक्त सूबे में कांग्रेस की सरकार थी.
टीकाराम जूली-
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली को पार्टी ने गुरदासपुर लोकसभा सीट का पर्यवेक्षक बनाया था. यहां से राजस्थान के प्रभारी और कांग्रेस उम्मीदवार सुखजिंदर सिंह रंधावा ने करीब 83 हजार से जीत दर्ज की है. टीकाराम जूली ने करीब एक हफ्ते गुरदासपुर में डेरा डाला था और कईं सभाएं और रैलियों में हिस्सा लिया था. जूली को हरियाणा का स्टार प्रचारक भी बनाया गया था जहां कांग्रेस ने 10 में से 5 सीटें हासिल करते हुए अच्छा प्रदर्शन किया. क्योंकि पिछली बार हरियाणा में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था.
सीपी जोशी-
सीपी जोशी इस मामले में अनलकी रहे. सीपी जोशी खुद तो चुनाव हारे साथ ही दिल्ली की चांदनी चौक सीट पर भी कांग्रेस को नहीं जीता पाए. जोशी को पार्टी ने इस सीट की पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी थी. हालांकि कांग्रेस का यहां हार का अंतर बड़ा नहीं रहा.
तो कुल मिलाकर राजस्थान के तीन नेताओं की बाहरी राज्यों की जिम्मेदारी की परफोर्मेंस रिपोर्ट बेस्ट रही. गहलोत, जूली और चौधरी पार्टी के टास्क पर खरें उतरे जाहिर सी बात है इस कामयाबी के चलते पार्टी में उसका सियासी कद भी बढा है. ऐसे में आने वाले चुनावी राज्यों औऱ पार्टी के अंदर इन्हें औऱ अहम जिम्मेदारी भी मिल सकती है.