जयपुर: DGP यूआरसाहू ने राजस्थान में बीट कॉन्स्टेबलों की परफ़ॉर्मेंस को लेकर नाराजी जताई है. DGP ने बीट कांस्टेबलों की ओर से करने वाले कामों को लेकर नये सिरे से आदेश जारी किए हैं. पुलिस में बीट कॉन्स्टेबल की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है,लेकिन बीते काफ़ी दिनों से बीट कांस्टेबल प्रणाली कमज़ोर हुई है. बीट कांस्टेबल सही तरीक़े से अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं और इसका असर पूरी पुलिस के प्रदर्शन पर हो रहा है. समय समय पर जारी निर्देशों के बाद भी पुलिस अधीक्षक बीट कॉन्स्टेबलों का प्रयोग सही तरह से नहीं कर पा रहे हैं. बीट कॉन्स्टेबलों के ज़िम्मेदार प्रदर्शन नहीं करने को लेकर DGP यूआरसाहू ने नाराज़ी जताई है. DGP ने सभी SP को चिट्ठी लिख कर कहा है कि बीट कांस्टेबल द्वारा समय पर सूचनाएँ संकलित नहीं की जा रहीं हैं.
डीजीपी ने इस बारे में नए सिरे से आदेश जारी किए हैं. DGP साहू की कोशिश है कि राजस्थान पुलिस में बीट प्रणाली व्यवस्था को और मज़बूत किया जाये जिससे पुलिस के लिए क्राइम कंट्रोल में आसानी हो सके, बीट प्रणाली मज़बूत होने से पुलिस के पूरे सिस्टम में काफ़ी सुधार आ सकते हैं.यही कारण है कि DGP ने एक बार बीट प्रणाली को मजबूत करने पर फ़ोकस किया है. PHQ के नये निर्देशों के अनुसार अब सभी ज़िलों में SP को बीट प्रणाली को मजबूत करना होगा. पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार बीट के सुपरवाईजरी अधिकारी का दायित्व होगा कि बीट कॉन्स्टेबल के कार्यों का सतत पर्यवेक्षण करें, इसके साथ ही पासपोर्ट वैरिफ़िकेशन, चरित्र प्रमाण पत्र और बाक़ी सभी सत्यापन बीट कांस्टेबल को ही करने होंगे. पुलिस मुख्यालय के स्तर पर इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जाएगी.
बीट कांस्टेबलों को लेकर PHQ के दिशा निर्देश जारी:
1. ग्रामीण क्षेत्रों के थानों में बीट की संख्या थाने/चौकी की स्वीकृत नफरी के अनुसार निर्धारित होगी. ग्रामीण क्षेत्र के थाने में 03 कानि. एवं शहरी थानों में 04 कॉन्स्टेबल को अन्य प्रशासनिक कार्य (आसूचना हेतु नियुक्त कॉन्स्टेबल सहित) हेतु स्वीकृत नफरी से घटाते हुए शेष स्वीकृत कानि./महिला कानि. के पदों की संख्या के बराबर बीटों की संख्या निर्धारित की जावे. चौकी में बीटों की संख्या स्वीकृत नफरी के समान होगी.
2. यथासंभव ग्राम पंचायत / शहरी निकाय, वार्ड को ईकाई मानते हुए बीट क्षेत्रों का निर्धारण किया जाए. एक बीट में कार्यभार के अनुसार एक से अधिक ग्राम पंचायत/वार्ड शामिल किए जा सकते हैं.
3. निर्धारित बीट के कार्यक्षेत्र में सामान्यतः परिवर्तन नहीं किया जाए.
4. बीट के सुपरवाईजरी अधिकारी का दायित्व होगा कि बीट कानि. के कार्यों का सतत पर्यवेक्षण करें.
बीट कॉन्स्टेबल के कार्य व उत्तरदायित्वः-
1. बीट कानि. अपने निर्धारित कार्य के साथ-साथ कानून व्यवस्था ड्यूटी, मेला, त्यौहार, परीक्षा ईत्यादि ड्यूटी करेंगे.
2. बीट कानि. द्वारा अपनी बीट के सभी प्रकार के नोटिस/तामील यथा सम्मन, जमानती वारंट, गिरफ्तारी वारंट, स्थाई वारंट, भगौड़े, घोषित अपराधी की तामील करवाना महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. बीट कानि. तारीख पेशीवार सम्मन/वारन्ट पंजिका का संधारण करेगा.
3. पासपोर्ट, चरित्र व अन्य किसी प्रकार के सत्यापन तथा बीट क्षेत्र के निवासी थानाधिकारी द्वारा ही पूर्ववत अंकित की जाएगी.
4. स्थानीय व विशिष्ट अधिनियमों तथा निरोधात्मक प्रावधानों के अंतर्गत आवश्यक कार्रवाई हेतु सूचना प्रस्तुत करने का दायित्व बीट कानि. का होगा. वह इस संबंध में व्यक्तिगत बीट कार्रवाई पंजिका में सूचना अंकित कर बीट प्रभारी के हस्ताक्षर करवायेगा.
5. आपराधिक मामलों में लिप्त पाये गये व्यक्तियों के पास यदि आग्नेयास्त्र (Fire Arms) का अनुज्ञा-पत्र हो तो उसे निरस्त/निलम्बन करने की कार्रवाई करवाएगा व इस संबंध में बीट बुक में नोट अंकित करेगा.
6. बीट कॉन्स्टेबल अपनी बीट में आपराधिक आसूचनाएँ एकत्रित करेगा, विशेषकर हार्डकोर अपराधी, हिस्ट्रीशीटर आदि की सूचनाएँ एकत्रित करेगा. बीट में अपराधियों का रिकार्ड संकलित करते हुए उनकी गतिविधियों-क्रियाकलापों पर निगरानी रखेगा.
9. अपने बीट क्षेत्र से सम्बन्धित दिए गए परिवाद की जाँच बीट कॉन्स्टेबल स्वयं घटनास्थल पर जाकर एवं संबधित पक्षो की मौजूदगी में करेंगे ताकि सही निष्कर्ष निकल सके.
राजस्थान पुलिस में एक बार फिर से बीट प्रणाली मजबूत करने की डीजीपी की पहल क़ाबिले तारीफ़ है. PHQ के निर्देशों के मुताबिक़ अगर बीट प्रणाली फिर से मजबूत होगी तो पुलिस को कई मायनों में फ़ायदा होगा.