कोटा: कोटा जिले के इटावा उपखंड क्षेत्र के नोनेरा के समीप कालीसिंध नदी पर तैयार हो रहे राजस्थान के सबसे बड़े नोनेरा एबरा बांध का निर्माण कार्य तेजी से प्रगति पर है और जल्द यह बांध धरातल पर नजर आएगा. ईआरसीपी योजना के तहत शुरू हुए केंद्र सरकार के सपने के साकार होने का समय नजदीक आता जा रहा है और 601करोड़ की लागत से बांध का स्ट्रक्चर बनकर तैयार होगा उसके बाद राजस्थान के 13 जिलों की प्यास बुझाने में यह बांध अपनी भूमिका निभाएगा.
जिसके चलते इस बांध निर्माण के बाद इस कार्ययोजना में कुल 3750 करोड़ रुपए का खर्च होगा और राजस्थान के 13जिलों में पीने के साथ सिंचाई हेतु पानी पहुंचेगा वसुंधरा राजे के राज में शुरू हुए बांध का निर्माण अब भजन लाल सरकार में पूर्ण होता नजर आ रहा है और जल्द ही यह बांध पूर्ण होकर केंद्र सरकार के सपने को साकार करता दिखाई देगा इस बांध में कुल 27गेट होंगे और इस बांध में जब पानी का भराव होगा तो पीपल्दा विधानसभा क्षेत्र के साथ कोटा जिले के कई गांवों में पानी का जलस्तर ऊपर उठता नजर आयेगा जिससे भविष्य में पानी की किल्लत से भी राहत मिलती दिखाई देगी
राजस्थान के 13 जिलों की प्यास बुझाने वाला एबरा नोनेरा बैराज लेने लगा अन्तिम रूप
बडौद क्षेत्र के कोटड़ा दीप सिंह ग्राम पंचायत के एबरा के निकट नोनेरा- ऐबरा बांध निर्माण कार्य अब अपना आकार का रुवरूप लगातार बढ़ा रहा है जो कि कब कुछ महा बाद पूर्ण भी हो जायेगा. वैसे बात करे का बांध की तो बांध का शिलान्यास 15 नवम्बर 2019 को पूर्व पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा द्वारा किया गया था. ओर प्रथम चरण का कार्य प्रारंभ किया गया था. इसमें जानकारी के अनुसार अधिक्षण अभियंता आरके जेमनी ने बताया कि राजस्थान में यह बहुत बड़ी योजना है जिससे सिंचाई सहित पीने के पानी की जो समस्या है वह दूर हो जाएगी. और बाद में उन्होंने जल संसाधन विभाग व सिंचाई विभाग के अलावा बांध का निर्माण कर रही दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड कंपनी द्वारा करवा जा रहा है.
इसमे अब तक 27 कोलम पूर्ण हो चुके है जिमसें से 25 कॉलम के साथ गेट भी लग चुके है बाकी बचे हुये कार्य को भी वर्षा से पूर्व समय रहते हुये पूर्ण कर लिया जायेगा साथ ही डेम प्रॉजेक्ट मैनेजर रामजी वर्मा ने बताया डेम का कार्य नवम्बर 2019 से लगातार जारी है ओर अब तक इस डेम का अब तक 88 से 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो गया है . इसमे बिच में कोरोनो व अधिक बारिस व पानी आने के कारण बिच में कार्य रुक गया था जिसके कारण थोड़ा लेट हो रहे है. किन्तु प्रॉजेक्ट है जून 2024 तक यह कार्य कम्पनी द्वारा पूर्ण कर करने का प्रयास किये जा रहे है .
डेम बनाने में इनकी है महत्वपूर्ण भूमिका
डेम बनाने का कार्य तो लगातार जारी है किन्तु इसमे से कुछ लोगों का मत्वपूर्ण योगदान रहता है बात करे पूरे कर्मचारियों सहित अन्य लोग लगभग 500 से अधिक लोग कार्य करते है जिसमें से 10 कनिष्ठ अभियंता 3 सहायक अभियंता 1 अधिशाषी अभियंता 1 अधीक्षण अभियंता का महत्वपूर्ण योगदान है .
डूबत क्षेत्र में आई ज़मीनों के मिला मुआवजा
डैम बनाने में जो जमीन डूब क्षेत्र में आ रही है उनके मुआवजा प्रकिया लगभग पूर्ण कर ली गई है जिसमें लोगों के खाते में मुआवजे की राशि भी डाल दी गई है जो अन्य लोग हैं उनकी कुछ फॉर्मेलिटी है वह भी पूरी होने के बाद उनके खाते में उनकी मुआवजे की राशि डाल दी जाएगी जिसमें इटावा में 22 करोड़ और सुल्तानपुर क्षेत्र में 37 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जा रहा है जो कि 90 प्रतिशत खातेदारो के खाते में मिल चुके है. केंद्र सरकार द्वारा ईआरसीपी योजना के तहत वसुंधरा राजे के कार्यकाल में मंजूर हुई थी. जिसका कार्य प्रथम चरण में कालीसिंध नदी पर एबरा नोनेरा के पास 1595.06 करोड़ की कार्य योजना तैयार की गई है जिसमें बांध का स्ट्रक्चर करीबन 601 करोड़ की लागत से निर्मित होगा बांध की सतह से ऊंचाई 26 मीटर होगी इसमें कुल 27 गेट होंगे. जिसमें जल संग्रहण की क्षमता 226.65 मिलियन घन मीटर होंगी.
बड़ोद कालीसिंध पुलिया पर रहेगा 8 मीटर पानी
बांध तैयार होने पर जल संग्रहित होने की स्थिति में श्योपुर इटावा मार्ग पर बड़ोद कस्बे के पास कालीसिंध नदी की पुलिया पर 8 मीटर पानी रहेगा पुलिया के डूबने से यहां पर लगभग 92करोड़ की राशि से पुल का निर्माण जारी है जो 2024 में बन कर त्यार हो जायेगा.
पेयजल व सिंचाई के लिए मिलेगा पानी
जानकारी के अनुसार सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता दुल्ली चंद ने बताया कि इस बांध के निर्माण से 13 जिलों को पेयजल उपलब्ध कराने की योजना है इन जिलों में अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर दौसा, जयपुर अजमेर, टोंक, कोटा, बूंदी, बारा, झालावाड़ आदि शामिल है बांध से सिंचाई सुविधा भी मिलेगी.