लोकसभा में PM मोदी का संबोधन, कहा- दिल्ली से 1 रुपए निकलता और गांव में 15 पैसा पहुंचता... ये बहुत गजब की हाथ सफाई थी

लोकसभा में PM मोदी का संबोधन, कहा- दिल्ली से 1 रुपए निकलता और गांव में 15 पैसा पहुंचता... ये बहुत गजब की हाथ सफाई थी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दे रहे है. उन्होंने कहा कि मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि देश के लोगों ने मुझे 14वीं बार राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देने का अवसर दिया. इसलिए मैं लोगों का आदरपूर्वक आभार व्यक्त करता हूं. हम 2025 में हैं, एक प्रकार से 21वीं सदी का 25 फीसदी हिस्सा बीत चुका है. 

20वीं सदी में आजादी के बाद और 21वीं सदी के पहले 25 वर्षों में क्या हुआ, ये तो आने वाला समय ही तय करेगा. लेकिन अगर हम राष्ट्रपति जी के संबोधन का बारीकी से अध्ययन करें तो साफ है कि उन्होंने आने वाले 25 वर्षों और विकसित भारत के बारे में लोगों में विश्वास पैदा करने की बात कही है. उनका संबोधन विकसित भारत के संकल्प को लेकर जन सामान्य को प्रेरित करने वाला है. 

पांच-पांच दशक तक झूठे नारे दिए गए:
पीएम मोदी ने कहा कि हमने दशक तक सिर्फ गरीबी हटाओ के नारे सुने. लेकिन अब जमीन पर बदलाव होकर रहेगा. हमारी सरकार ने नारे नहीं दिए, बल्कि गरीबों की सच्ची सेवा की. पांच-पांच दशक तक झूठे नारे दिए गए. इसे समझने के लिए जज्बा चाहिए. मोदी को बहुत दुख के साथ कहना है कि कुछ लोगों के पास ये है ही नहीं. 

अब तक गरीबों को 4 करोड़ घर दिए जा चुके हैं:
अब तक गरीबों को 4 करोड़ घर दिए जा चुके हैं. जिनका जीवन कठिनाइयों से भरा रहा है, वही समझ सकते हैं कि घर मिलने का क्या महत्व है. पहले शौचालय की व्यवस्था न होने के कारण महिलाओं को बहुत कष्ट सहना पड़ता था. जिनके पास ये सुविधाएं हैं, वे "पीड़ितों की समस्याओं को नहीं समझ सकते. हमने 12 करोड़ से ज्यादा शौचालय दिए हैं. जिससे बहनों-बेटियों की मुश्किलें दूर हुई हैं. 

कुछ लोग झोंपड़ी में फोटो सेशन करवाते हैं:
हमारा फोकस हर घर नल से जल पहुंचाने पर है. 5 साल में 12 करोड़ लोगों तक नल से जल पहुंचा है. 12 करोड़ परिवारों को नल से जल दिया गया है. जो लोग अपने मनोरंजन के लिए गरीबों की झोपड़ियों में फोटो सेशन कराते हैं, उन्हें संसद में गरीबों का जिक्र बोरिंग लगेगा. मैं ऐसे लोगों का गुस्सा समझ सकता हूं. दिल्ली से 1 रुपए निकलता है तो गांव में 15 पैसा पहुंचता है. ये बहुत गजब की हाथ सफाई थी. जब ज्यादा बुखार चढ़ जाता है तब लोग कुछ भी बोलते हैं. 

लेकिन इसके साथ साथ ज्यादा हताशा निराशा फैल जाती है. तब भी लोग कुछ भी बोलते हैं, जिनका जन्म नहीं हुआ था. जो भारत की धरती पर अवतरित नहीं हुए थे. ऐसे 10 करोड़ फर्जी लोग सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे. सही के साथ अन्याय न हो. इसलिए राजनीतिक फायदे की परवाह किए बिना हमने 10 करोड़ लोगों के नामों को हटाया है. असली लाभार्थियों को खोज खोज कर उनतक लाभ पहुंचाया है.