नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल नवंबर में वाराणसी में आयोजित काशी तमिल संगमम के अपने अनुभवों को साझा करते हुए तमिलनाडु के लोगों से कहा है कि इस आयोजन ने उन्हें राष्ट्र की एकता को और मजबूत करने के प्रयासों को तेज करने के लिए प्रेरित किया है. प्रधानमंत्री ने पिछले साल नवंबर में वाराणसी में एक महीने तक आयोजित किए गए कार्यक्रम ‘काशी तमिल संगमम’ का उद्घाटन किया था. यह आयोजन भारत के उत्तर और दक्षिण के बीच ऐतिहासिक एवं सभ्यतागत संबंधों के कई पहलुओं का जश्न है. इसका व्यापक उद्देश्य ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं (उत्तर एवं दक्षिण की) को करीब लाना, हमारी साझा विरासत की समझ विकसित करने के साथ इन क्षेत्रों के लोगों के बीच संबंध को और मजबूत करना है.
तमिलनाडु के लोगों द्वारा वाराणसी में संगमम में अपने अनुभव साझा करने के लिए लिखे गए सैकड़ों पत्रों से उत्साहित मोदी ने उन्हें पत्र लिखा है और उन्हें ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का ध्वजवाहक बताया है.मोदी ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए लिखा है कि लोगों को इस कार्यक्रम के माध्यम से काशी की संस्कृति और उसके लोगों के बारे में करीब से जानने का अवसर मिला.प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह से काशी में तमिल भाषा की सुंदरता और तमिलनाडु की समृद्ध संस्कृति का जश्न मनाया गया, वह अद्भुत था. वाराणसी और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने संबंधों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने पत्र में कहा कि काशी का तमिलनाडु के लोगों के साथ एक लंबा और स्थायी संबंध रहा है, जिन्होंने यहां की संस्कृति और सभ्यता की समृद्ध टेपेस्ट्री को जोड़ा है. काशी तमिल संगमम ने उन ऐतिहासिक यादों को फिर से जगा दिया है और दोहराया है कि हमारे देश के विभिन्न क्षेत्र कितने गहराई से जुड़े हुए हैं.
टेपेस्ट्री कपड़े पर कसीदाकारी की कला का एक रूप है, जिसे पारंपरिक रूप से करघे पर हाथ से बुना जाता है .उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब पूरा देश अगले 25 वर्षों के अमृत काल के दौरान एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के तरीकों पर चर्चा कर रहा है, हमारे देश की एकता को गहरा करने का हर प्रयास महत्वपूर्ण है. एक शानदार स्मारक के निर्माण के लिए एक मजबूत नींव महत्वपूर्ण है. तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि संगमम ने उन्हें राष्ट्र की एकता को और मजबूत करने के प्रयासों को तेज करने के लिए प्रेरित किया है. सोर्स भाषा