जयपुर: महात्मा गांधी के सिद्धांतों को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से शांति एवं अहिंसा विभाग द्वारा आयोजित गांधी दर्शन सम्मेलन आज राजनीतिक रंग में रंगा दिखा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुख्य आतिथ्य में हुए इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं ने कांग्रेस सरकार को रिपीट करने की बात कही, तो वहीं सभागार में 'चौथी बार गहलोत सरकार' के जमकर नारे लगे. इस सम्मेलन में ज्यादातर प्रदेश भर के कांग्रेसी कार्यकर्ता नजर आए. शांति एवं अहिंसा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय गांधी दर्शन सम्मेलन आज जयपुर के राजस्थान इंटरनेशन सेंटर में संपन्न हुआ. इस शिविर में प्रदेश के सभी जिलों से प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
सम्मेलन का लक्ष्य था जयपुर में मंथन करके गांधी के सिद्धांतों का प्रदेश भर में प्रचार प्रसार करना. लेकिन आज का समापन समारोह राजनीतिक रंग में दिखा. कार्यक्रम को गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी संबोधित किया. इनका संबोधन केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना के इर्द गिर्द रहा. साथ ही 2023 में राजस्थान सरकार रिपीट करने व 2024 में केंद्र सरकार बदलने तक की बात हुई. कुमार प्रशांत ने दावा किया कि आज कार्यक्रम में जो लोग मौजूद है, इस तरह की 50 हजार की फौज तैयार कर देंगे.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि धर्म और जाति के बजाय सत्य और अहिंसा की राह पर आगे बढ़ते हुए लोकतंत्र को अधिक मजबूत बनाना होगा. उन्होंने कहा कि आज देश में तनाव का माहौल है. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में यकीन और संविधान में आस्था रखने वाले हर राज्य और केंद्र सरकार को भी शांति एवं अहिंसा विभाग बनाने की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री गहलोत ने सम्मेलन में आए लोगों को अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताया.
कार्यक्रम को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास व शांति एवं अंहिसा निदेशालय के निदेशक मनीष शर्मा ने भी संबोधित किया. प्रताप सिंह का भाषण भी अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जोश भरने से जुड़ा था. प्रताप सिंह ने कहा कि चुनावी युद्ध शुरू हो गया है और इसमें कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को आक्रामक होना पड़ेगा. मंत्री प्रताप सिंह ने आशंका जताई कि यदि कांग्रेस यह चुनाव हार जाएगी, तो भाजपा की सरकार हमारी योजनाओं को बंद कर देगी. इस कार्यक्रम में महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड सोशल साइंसेज के निदेशक प्रो. बी.एम. शर्मा, गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी, गांधीवादी मनोज ठाकरे, सवाई सिंह, गोपाल बाहेती, शांति एवं अंहिसा विभाग के सचिव नरेश कुमार ठकराल उपस्थित रहे.