हैदराबाद: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को कहा कि भारतीय वायुसेना नेटवर्क-केंद्रित भावी युद्ध क्षेत्र में एक उच्च-प्रौद्योगिकी आधारित युद्ध लड़ने की चुनौतियों समेत समग्र सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए भविष्य में हमेशा तैयार रहने के वास्ते कदम उठा रही है. मुर्मू ने यहां वायुसेना अकादमी में संयुक्त स्नातक परेड (सीजीपी) को संबोधित करते हुए कहा कि थल, जल और वायु क्षेत्र में रक्षा संबंधी तैयारियों के लिए प्रौद्योगिकी को तीव्र गति से आत्मसात करने की क्षमता आवश्यक होगी.
उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि हमारी वायुसेना नेटवर्क-केंद्रित भावी युद्ध क्षेत्र में एक उच्च-प्रौद्योगिकी आधारित युद्ध लड़ने की चुनौतियों समेत समग्र सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए, खासकर भविष्य में हमेशा तैयार रहने के लिए कदम उठा रही है.राष्ट्रपति ने कहा कि देश के रक्षा बल भू-सीमाओं, बड़े समुद्र तट और क्षेत्रीय जल एवं विशाल हवाई क्षेत्र की साथ मिलकर रक्षा करते हैं. उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के प्रत्येक अधिकारी को रक्षा तैयारियों के एक एकीकृत परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखना होगा.
मुर्मू ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान और चिनूक हैवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर को शामिल करके भारतीय वायुसेना का आधुनिकीकरण उसकी परिचालन क्षमताओं को मजबूत करता है.
उन्होंने संकट के दौरान भारतीय वायुसेना द्वारा की गई मानवीय सहायता और आपदा के दौरान राहत के लिए उठाए गए उसके कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि काबुल में फंसे 600 से अधिक भारतीयों और अन्य नागरिकों को निकालने के लिए सफल अभियान सेना की उच्च क्षमताओं का प्रमाण है, जिसमें शत्रुतापूर्ण वातावरण में उड़ान भरना और उतरना शामिल है.
मुर्मू ने कहा कि 1948, 1965 और 1971 में शत्रु पड़ोसी के साथ युद्धों में देश की रक्षा करते समय भारतीय वायुसेना के वीर योद्धाओं द्वारा निभाई गई महान भूमिका सुनहरे अक्षरों में लिखी गई है और बल ने करगिल संघर्ष और बाद में बालाकोट में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने में उसी प्रतिबद्धता तथा कौशल का प्रदर्शन किया.राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय वायुसेना अब सभी भूमिकाओं और शाखाओं में महिला अधिकारियों को शामिल कर रही है और महिला लड़ाकू पायलट की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होना तय है.
मुर्मू ने अपने व्यक्तिगत अनुभव को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अप्रैल 2023 में असम के तेजपुर वायुसेना स्टेशन से सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमान में लगभग 30 मिनट तक उड़ान भरी थी. उन्होंने कहा कि वायुसेना स्टेशन पर लौटने से पहले मैंने हिमालय के शानदार दृश्य देखे और ब्रह्मपुत्र एवं तेजपुर घाटियों से गुजरते हुए लगभग 30 मिनट तक उड़ान भरी. समुद्र तल से लगभग दो किलोमीटर की ऊंचाई पर 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरना वास्तव में एक शानदार अनुभव था.इस अवसर पर राष्ट्रपति मुख्य अतिथि थीं और सीजीपी की निरीक्षण अधिकारी थीं. कार्यक्रम में तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन और केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी भी शामिल हुए. सोर्स भाषा