VIDEO: वन्यजीवों की सुरक्षा पर सवाल, बढ़ रही शिकार की घटनाएं, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: बाघ संरक्षण पर पूरा फोकस दूसरे वन्यजीवों की के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. जैसे जैसे प्रदेश में लैपर्ड्स की आबादी बढ़ रही है उनके शिकार की घटनाएं बढ़ने लगी हैं. अचानक प्रदेश के जंगलों में फंदा लगाकर शिकार की घटनाएं बढ़ी हैं. बाघ के बाद लेपर्ड्स और नील गाय का भी फंदा लगाकर शिकार किया जा रहा है. हाल में जयपुर के जयसिंहपुरा खोर की घटना को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है. पिछले तीन वर्ष में प्रदेश में लेपर्ड्स की संख्या जहां 1313 पहुंच गई है वहीं दर्जनभर लेपर्ड्स के शिकार की घटनाओं ने वन्यजीवों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े किए हैं. 

प्रदेश में लैपर्ड्स की संख्या
क्षेत्र                          गणना का आधार                           संख्या
सरिस्का                    वर्ष 2021 सर्वे के अनुसार                273
रणथंभौर                   फेज 4 मॉनिटरिंग के आधार पर        182
मुकंदरा                     वन्यजीव गणना 2021                     83
संरक्षित क्षेत्र               वन्यजीव गणना 2020                      485
प्रादेशिक वन मंडल      वन्यजीव गणना 2020                     310
कुल                                                                            1313

गत तीन वर्ष में लैपर्ड्स को फंदे में फंसाने की घटना
वर्ष              कार्यालय                                पैंथर                    कार्रवाई
2019-20     डीसीएफ भीलवाड़ा                   1            अज्ञात के विरुद्ध प्रकरण दर्ज
                   डीसीएफ बांसवाड़ा                   1           प्रकरण दर्ज अनुसंधान जारी
                  चंबल घड़ियाल सेंचुरी                 1          अज्ञात के विरुद्ध प्रकरण दर्ज     
                  रणथंभौर                                  1          एक अभियुक्त गिरफ्तार
2020-21    डीसीएफ अजमेर                        2          1 शिकारी पकड़ा गया
                  डीसीएफ भीलवाड़ा                    2           1 शिकारी पकड़ा गया
                 डीसीएफ राजसमंद                    1            5 शिकारियों को किया गिरफ्तार
                 डीसीएफ उदयपुर उत्तर              1           प्रकरण दर्ज अनुसंधान जारी
                 डीसीएफ उदयपुर                      1           प्रकरण दर्ज अनुसंधान जारी   
2021-22    डीसीएफ भीलवाड़ा                    1           अज्ञात के विरुद्ध प्रकरण दर्ज

शिकार की कुछ घटनाएं
शहर                                 घटना
जयपुर                               कछुए छुडाए गए              अप्रेल 2019
जयपुर                               बघेरे की खाल जब्त           जून 2019
जयपुर                               पाटागोह शिकार               जून 2020
भरतपुर                             24 फंदे जब्त                    दिसंबर 2020
रणथंभौर                           बाघ टी 108 फंदे में मिला    दिसंबर 2020
जयपुर                               मोर का शिकार                 जुलाई 2022
चाकसू                              शिकारी गिरफ्तार               मार्च 2021
सरमथुरा                           शिकारियों के माले मिले       मई 2021
नाहरगढ़                           मोर शिकार                       मार्च 2022

प्रदेश तेजी से लेपर्ड स्टेट और जयपुर तेजी से लेपर्ड कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड की तरफ बढ़ रहा है. लेकिन अब तेंदुओं की बढ़ती आबादी ही उनकी जान की दुश्मन बनती जा रही है. राजधानी के जयसिंहपुरा खोर में पिछले दिनों में रेस्क्यू किए गए पैंथर के के दाएं पैर का पंजा बुरी तरह जख्मी मिला. आशंका है कि वो फंदे में फंसा था और फंदे से निकलने के संघर्ष में उसने अपने पंजे को गंवा दिया है. फर्स्ट इंडिया न्यूज ने सबसे पहले यह मुद्दा 10 नवंबर को प्रमुखता से उठाया था. लैपर्ड विशेषज्ञ धीरज कपूर ने घटना के दिन ही बघेरे के फंदे में फंस कर घायल होने की आशंका जता दी थी. इसके बाद वन विभाग ने जांच रेंज अधिकार जनेश्वर चौधरी को दी है. बडा सवाल यह है कि प्रदेश में वन्यजीव खासकर बघेरे कितने सुरक्षित हैं ? ऊपर ग्राफिक्स में दिखाए आंकडे खतरे का संकेत दे रहे हैं. दरअसल वन विभाग को लेपर्ड्स के संरक्षण और सुरक्षा को लेकर वन विभाग को विशेष प्रयास करने होंगे. लेपर्ड्स की संख्या में वृद्धि के साथ ही प्रदेश में लेपर्ड्स के शिकार की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं. पिछले तीन वर्ष में ही प्रदेश में फंदा लगाकर एक दर्जन लेपर्ड्स का शिकार किया गया है या उनकी ग्रामीणों ने जान ली है. लेपर्ड्स के शिकार की अधिकांश घटनाएं भीलवाड़ा में हुई हैं यहां तीन वर्ष में चार लेपर्ड को फंदा लगाकर मारा गया है. एक शिकारी को गिरफ्तार भी किया गया है. दो-दो मामले अजमेर और भीलवाड़ा में हुए हैं जबकि एक-एक मामला रणभंभौर और राजसमंद में देखने को मिला है. दूसरी तरफ प्रदेश में लेपर्ड्स की संख्या 1313 बताई गई है. इनमें से सर्वाधिक 272 सरिस्का इसके बाद 182 रणभंभौर और 83 मुकंदरा में पाए गए हैं. झालाना, आमागढ़ सहित अन्य संरक्षित वन क्षेत्र और प्रादेशिक वन मंडलों में 775 लेपर्ड्स पाए गए हैं. दरअसल इन घटनाओं से एक बात साबित होती है कि प्रदेश में शिकारी सक्रिय भी हैं और शिकार भी कर रहे हैं. लेपर्ड्स का शिकार अब ज्यादा होने लगा है. पहले बाघ का शिकार ज्यादा किया जाता था. शिकारी फंदा लगाकर ग्रामीणों के सहयोग से इस खतरनाक काम को अंजाम देते हैं. नील गाय के गले में भी पिछले दिनों फंदा लगा होने की घटनाएं सामने आई हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि हमें वन्यजीवों की सुरक्षा और पुख्ता करने की जरूरत है साथ ही वन क्षेत्रों  से गांवों का विस्थापन भी जरूरी है. अन्यथा वन्यजीवों की सुरक्षा शिकारियों के हाथों कत्ल होती रहेगी.