Rahu Ketu Gochar 2023: राहु-केतु के राशि परिवर्तन का देश-दुनिया पर होगा असर, 30 अक्टूबर को मीन राशि में राहु और कन्या राशि में आएंगे केतु

जयपुर: राहु-केतु का राशि परिवर्तन 30 अक्टूबर को होगा. राहु-केतु दोनों ही छाया ग्रह माने गए हैं और ये हमेशा वक्री यानी उल्टी चाल से चलते हैं. 30 अक्टूबर को राहु मीन राशि में और केतु कन्या राशि में प्रवेश करेंगे. मौजूदा समय में राहु मेष राशि में और केतु तुला राशि में मौजूद हैं.  

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि  30 अक्टूबर 2023 को राहु-केतु गोचर करने जा रहे हैं.  30 अक्टूबर 2023 की दोपहर 01:33 मिनट पर राहु मेष राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे. वहीं केतु तुला राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करेंगे. फिलहाल राहु मेष राशि में और केतु तुला राशि में विराजमान हैं. ज्योतिष गणना के अनुसार शनिदेव के बाद राहु-केतु सबसे ज्यादा दिनों तक किसी एक राशि में विराजमान रहते हैं. शनि जहां ढाई साल के बाद राशि परिवर्तन करते हैं तो वहीं राहु-केतु 18 महीनों के बाद उल्टी चाल से चलते हुए राशि बदलते हैं. राहु-केतु ऐसे मायावी ग्रह हैं. जिनका नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं. ज्योतिष में इन्हें छाया ग्रह कहा गया है.. इन्हीं दोनों ग्रहों के कारण कुंडली में कालसर्प दोष, पितृ दोष, गुरु चांडाल योग, अंगारक योग आदि बनते हैं. जिसका व्यक्ति के जीवन पर बहुत अशुभ प्रभाव पड़ता है. 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि  राहु-केतु के बारे में पौराणिक कथा काफी प्रचलित है कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हो रहा था तो राहु-केतु चुपके से मंथन के दौरान निकला अमृत पी लिया था. तब भगवान विष्णु मोहनी का रूप धारण करके सभी देवताओं को अमृतपान करा रहे थे जैसे ही उन्हें इस बात का आभास हुआ फौरन ही अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया था. हालांकि इस दौरान राहु ने अमृत पान कर लिया जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई. तभी से राहु को सिर और केतु को धड़ के रूप में है.

खत्म होगा चांडाल योग:
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि  11 अप्रैल 2022 से राहु मेष राशि में विराजमान हैं तो वहीं केतु तुला राशि में हैं. अब डेढ़ साल बाद 30 अक्टूबर 2023 को राहु-केतु राशि बदलेंगे. राहु मेष राशि से मीन राशि में जाएंगे तो वहीं केतु तुला राशि से निकलकर कन्या राशि में जाएंगे और इस राशि में दोनों डेढ़ साल तक रहेंगे. ज्योतिष के अनुसार किसी ग्रह जब भी गोचर होता है तो इसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है. लेकिन राहु-केतु के गोचर से मेष राशि वाले लोगों को विशेष राहत मिलेगी, क्योंकि इस गोचर से मेष राशि में चल रहे गुरु चांडाल योग का प्रभाव खत्म हो जाएगा. बता दें कि मेष राशि में गुरु और राहु दोनों के होने से गुरु चांडाल योग का निर्माण हुआ है.

देश दुनिया पर असर:
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि  जब भी राहु-केतु का राशि परिवर्तन होता है. तब इसका प्रभाव न सिर्फ सभी जातकों के ऊपर होता है बल्कि देश-दुनिया पर भी प्रभाव देखने को मिलता है. राहु-केतु के गोचर से कई तरह के प्राकृतिक उथल-पुथल होने की संभावना रहती है. पृथ्वी पर गर्मी का प्रकोप बढ़ जाता है और वर्षा भी कम होती है. देश-दुनिया में राजनीति अपने चरम पर होती है. एक-दूसरे देशों में तनाव काफी बढ़ जाता है. राजनीति के क्षेत्र में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. रोग बढ़ जाते हैं जिससे जनता का हाल बुरा हो जाता है.  जनता में तनाव बढ़ सकता है. झूठी बातें ज्यादा तेजी से फैलेंगी. जनता को त्वचा रोगों का सामना करना पड़ सकता है. किसानों की फसलों पर टिड्डियों और अन्य कीटों का आक्रमण हो सकता है. किसानों को अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी. खाने-पीने की वस्तुंओं की कमी तथा उनकी कीमतों में वृद्धि. पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों के बढ़ने के बाद जरूरी उपभोगता वस्तुओं के मूल्यों में भी इजाफा होने से जनता परेशान होगी. दुनियाभर में गेहूं तथा अन्य अनाजों की कीमतों में वृद्धि होगी. कुछ देशों में अन्न की कमी से कानून-व्यवस्था को लेकर भी संकट की स्थिति पैदा होगी. खडी फसलों को नुक्सान हो सकता है. स्टॉक मार्केट में उथल-पुथल मच सकती है. भारत में सत्ताधारी दल के बड़े नेताओं और अधिकारियों की सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील है. बड़े नेताओं के संदर्भ में कुछ अप्रिय घटनाएं सामने आ सकती हैं. कुछ बड़ी प्रकृति आपदा जैसे बाढ़-भूस्खलन से जन धन की हानि करवा सकते हैं.

वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह का महत्व:
कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु एक अशुभ ग्रह है. हालांकि अन्य ग्रहों की तुलना में (केतु को छोड़कर) इसका कोई वास्तविक आकार नहीं है. इसलिए राहु को छाया ग्रह कहा जाता है. स्वभाव के अनुसार, राहु को पापी ग्रह की संज्ञा दी गई है. आमतौर पर कुंडली में राहु का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय उत्पन्न हो जाता है. परंतु कोई भी ग्रह शुभ या अशुभ नहीं होता है बल्कि उसका फल शुभ-अशुभ होता है. यदि कुंडली कोई ग्रह मजबूत स्थिति में होता है तो वह शुभ फल देता है. राहु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है. वहीं जब कमजोर स्थिति में होता है तो उसके फल नकारात्मक मिलते हैं. यहां हम राहु ग्रह की बात कर रहे हैं. राहु को अशुभ फल देने वाला ग्रह माना जाता है. लेकिन यह पूर्ण रूप से सत्य बात नहीं है. राहु कुंडली में शुभ होने पर शुभ फल भी देता है. इसके शुभ फल से व्यक्ति धनवान और राजयोग का सुख भी प्राप्त करता है.

वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह का महत्व:
भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह को एक छाया ग्रह माना गया है. इसे छाया ग्रह इसलिए कहा जाता है क्योंकि केतु का अपना कोई वास्तविक रूप या आकार नहीं है. यह मोक्ष, अध्यात्म और वैराग्य का कारक है और एक रहस्यमी ग्रह है. इसलिए जब केतु किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ होता है तो वह उस व्यक्ति की कल्पना शक्ति को असीम कर देता है. जबकि अशुभ होने पर यह इंसान का सर्वनाश कर सकता है. केतु ग्रह किसी भी राशि का स्वामी नहीं होता है. लेकिन धनु राशि में यह उच्च और मिथुन राशि में नीच का होता है.

उपाय:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि जिन जातकों की कुंडली में राहु-केतु अशुभ प्रभाव रखते हैं उनको इससे बचने के लिए शनिदेव और भैरव भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. हनुमान चालीसा का पाठ करने से राहु-केतु का प्रभाव नहीं रहता. जरूरतमंद लोगों को काले कंबल और जूते-चप्पल का दान करें. किसी मंदिर में पूजन सामग्री अर्पित करें. माता दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. नाग पर नाचते हुए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए. साथ ही मंत्र (ओम नमः भगवते वासुदेवाय) का जाप करें.

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास से जानते हैं मीन में राहु और कन्या राशि में केतु के गोचर का सभी 12 राशियों पर प्रभाव...

मेष- चीज़ें थोड़ी निराशाजनक भी लग सकती हैं. आप जो भी करें, आप जल्दी कर सकते हैं. कुछ कामों में गलतियां हो सकती हैं. स्वास्थ्य के मामले में काम अधिक सावधानी से करने होंगे. 

वृषभ- समाज में सम्मानजनक स्थान मिलने का भी समय आएगा. वरिष्ठ अधिकारियों से संवाद के अवसर भी मिलेंगे. सामाजिक दायरा बढ़ने की प्रबल संभावना है. 

मिथुन- आपके कार्यक्षेत्र में कुछ बदलाव होने की संभावना है, लेकिन इस समय आप अपनी मेहनत के दम पर मजबूत स्थिति बनाने में सफल रहेंगे. आपको अपने काम के लिए प्रशंसा पाने के कुछ मौके भी मिल सकते हैं. 

कर्क- कार्यक्षेत्र में आप सफल रहेंगे. मेहनत का फल आपको देर-सवेर जल्द ही मिलेगा. इस समय भाग्य का साथ मिलने में कुछ रुकावटें आ सकती हैं लेकिन चीजें आपके पक्ष में जरूर काम करेंगी. 

सिंह- नौकरी में वरिष्ठों और गुप्त शत्रुओं के कारण चिंता हो सकती है. बेकार की बातों में समय बर्बाद कर सकते हैं. इसलिए अभी थोड़ा संयम बरतने की जरूरत होगी. वाहन आदि का प्रयोग सावधानी से करें. 

कन्या- आपको अपने बिजनेस पार्टनर से जुड़े काम में थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत होगी क्योंकि उन्हें इस समय कई चीजों के बारे में सोचना होगा लेकिन एक साथ बहुत सारे काम में शामिल होने से बचना होगा. 

तुला- जीवनसाथी के साथ किसी भी तरह की बहस से आपको बचना होगा. स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं. कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों में आपको सफलता मिलेगी.

वृश्चिक- यह समय माता-पिता के लिए बच्चों पर ध्यान देने का होगा. प्रेम संबंध इस समय बहुत अच्छे नहीं रहेंगे, लेकिन एक से अधिक उन्नति के संकेत मिलेंगे. प्रेम संबंधों में बदलाव और रोमांच का समय रहेगा .

धनु- जीवन में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं जिससे चिंता और थकान प्रभावित होगी. पारिवारिक रिश्ते बिगड़ने के कारण आप घर से दूर रह सकते हैं. शांति और धैर्य से काम लेना चाहिए है.

मकर- आपको छोटी दूरी की यात्राओं पर जाने का अवसर मिल सकता है. व्यस्तता अधिक और जल्दबाजी अधिक रहने वाली है. कार्यस्थल पर सहयोग के लिए सहकर्मियों पर भरोसा करने और उनका समर्थन करने का भी समय होगा.

कुंभ- आर्थिक मामलों में अच्छे संकेत देखने को मिलेंगे. वाणी में कठोरता आ सकती हैं. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति सचेत रहना होगा और खान-पान या खानपान की आदतों को भी संतुलित रखना होगा.

मीन- स्वभाव में गर्म मिजाज और आक्रामकता देखने को मिल सकती है. व्यक्तिगत या पारिवारिक रिश्तों में कुछ उतार-चढ़ाव आ सकते हैं. वाणी और व्यवहार में कड़वाहट के कारण रिश्ते खराब हो सकते हैं. आध्यात्मिक पक्ष मजबूत रहने वाला है.