जयपुर: पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी ही सरकार के खिलाफ़ सवाल खड़े किए हैं. इसी को लेकर कांग्रेस आलाकमान अब किंकर्तव्यविमूड में नजर आ रहा है ! जयराम रमेश ने AICC से एक बयान जारी कर गहलोत की उपब्धियों को सराहा है. उन्होंने पायलट की प्रेस कॉन्फ्रेंस की पृष्ठभूमि में गहलोत के कामकाज की तारीफ की है. लेकिन जैसे भाजपा आलाकमान दो टूक स्टैंड लेता है ठीक वैसे ही कांग्रेस आलाकमान क्यों नहीं फैसले ले पाता ?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज अपने दमखम पर अकेले 2023 की लड़ा लड़ रहे हैं. ऐसे में केवल बयान जारी करने से आलाकमान की भूमिका JUSTIFY नहीं होगी. गहलोत-पायलट प्रकरण में आलाकमान को अब दो टूक स्टैंड लेना चाहिए. जब एक बार 2023 का चुनाव गहलोत नेतृत्व में लड़ा जाने का फैसला हो चुका तो फिर ये सब कन्फ्यूजन कैसा ? लेकिन क्या पायलट से दो टूक बात करना का साहस जुटा पाएंगे राहुल गांधी ?
इसी आधे अधूरे और कन्फ्यूज मन से मतदाता भी कन्फ्यूज्ड हो जाएंगे:
एक तरफ गहलोत की तारीफ और दूसरी तरफ पायलट और दूसरे लोगों के बयानों पर मौन धारण किया जा रहा है. इस सारे झगड़े पर कांग्रेस आलाकमान की ओर से एक अंतिम और निर्णायक बयान देने की आवश्यकता है. आलाकमान आखिर क्यों नहीं पायलट को भी साफ-साफ शब्दों में अपना स्टैंड बता देते, ताकि पायलट कैंप भी अपने भविषअय और FUTURE ROLE को लेकर कोई अंतिम फैसला कर सके. नहीं तो इसी आधे अधूरे और कन्फ्यूज मन से मतदाता भी कन्फ्यूज्ड हो जाएंगे. अगर ऐसे ही पार्टी में अंतर्द्वंद की स्थिति बनी रही तो फिर राजस्थान में कांग्रेस सरकार को रिपीट करने का सपना पूरा नहीं हो सकेगा.