जयपुरः विपक्ष में रहने के बावजूद कांग्रेस के अग्रिम संगठन जनहित के मुद्दों को लेकर ग्राउंड पर कोई खास एक्टिव नजर नहीं आ रहे. यूथ कांग्रेस,एनएसयूआई,महिला कांग्रेस और सेवादल महज रस्म अदायगी के तौर पर ही फिलहाल काम करते दिख रहे हैं. वहीं सेवादल को छोड़कर बाकी तीनों संगठन तो अपनी जिला और प्रदेश कार्यकारिणी का अब तक पूरी तरह से गठन नहीं कर पाए हैं.
विपक्ष के तौर पर कांग्रेस की सदन से लेकर सड़क तक परफॉर्मेंस तभी एग्रेसिव होगी जब उसके सभी अग्रिम संगठन सक्रिय होंगे. लेकिन राजस्थान में कह सकते है कि कांग्रेस के चारों संगठन महिला कांग्रेस,यूथ कांग्रेस,एनएसयूआई और सेवादल कोई खास मेहनत करते नहीं दिख रहे. जनहित के मुद्दों पर अग्रिम संगठन ने अब तक ऐसा कोई मूवमेंट नहीं चलाया जो नोटिस करने लायक है. पिछले डेढ़ साल में विपक्ष में रहते हुए इन संगठनों ने क्या मूवमेंट चलाया औऱ कैसी कार्यशैली इनकी रही, आईए आपको बताते हैं.
यूथ कांग्रेस- यूथ कांग्रेस ने वैसे तो कईं मौकों पर सरकार के खिलाफ सड़कों पर जरूर प्रदर्शन किए. लेकिन ऐसे किसी बड़े मुद्दे पर आवाज नहीं उठाई जिससे राज्य का यूथ प्रभावित हुआ हो. जैसे एसआई भर्ती परीक्षा पर अब तक कोई फैसला नहीं करने के खिलाफ यूथ कांग्रेस ने कुछ नहीं किया. दरअसल यूथ कांग्रेस गुटबाजी का भयंकर शिकार है. क्योंकि प्रदेशाध्यक्ष और दोनों कार्यकारी अध्यक्ष में बिल्कुल पटरी नहीं बैठती. ऐसे में संगठन की गतिविधियां बेहद प्रभावित हो रही है. प्रदेश कार्यकारिणी एक औऱ सूची भी लंबे समय से पेंडिंग पड़ी है.
एनएसयूआई- छात्र संगठन एनएसयूआई ने नशे के खिलाफ एक साइकिल यात्रा अभियान जरूर शुरु किया था. लेकिन उसके अलावा इस संगठन की कोई गतिविधि नहीं देखी गई. विनोद जाखड़ को प्रदेशाध्यक्ष बने हुए डेढ साल हो गए लेकिन अभी तक जिलों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई है. जबकि यूनिवर्सिटी औऱ कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया शुरु हो चुकी है. वहीं प्रदेशाध्यक्ष जाखड़ पायलट खेमे से आते है. लिहाजा गुटबाजी का असर इस संगठन में भी साफ देखा जा रहा है.
महिला कांग्रेस- निष्क्रियता के चलते पार्टी ने पहले राखी गौतम को हटाकर सारिका सिंह को महिला कांग्रेस की कमान दी थी. लेकिन नई मुखिया कोई खास असर अब तक तो नहीं छोड़ पाई है. यहां तक की मेंबरशिप अभियान की धीमी गति के चलते अभी जिला अध्यक्ष और पूरी प्रदेश कार्यकारिणी का गठन अब तक नहीं हो पाया है. हालांकि महिला कांग्रेस ने न्याय सम्मेलन अभियान शुरु किया है पर अभी तक 4 जगह ही यह सम्मेलन हो पाए हैं. वहीं महिलाओं से जुड़े अपराध और महंगाई के खिलाफ भी संगठन ने कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन अब तक नहीं किया है.
सेवादल-कांग्रेस के सेवादल की भूमिका पूरी तरह से पार्टी बैठकों और आयोजन में व्यवस्था संभालने तक सीमित होकर रह गई है. हालांकि सेवादल के ट्रेनिंग कैंप प्रोग्राम सतत जारी रहते हैं. लेकिन सियासी तौर पर इन प्रशिक्षण शिविरों का कोई मतलब नहीं है.
जाहिर सी बात है कि अग्रिम संगठनों में धार नहीं होने,कार्यकारिणी का गठन नहीं होने और गुटबाजी के शिकार के चलते सियासी मैसेज अच्छा नहीं जा रहा. यहां तक की मैन कांग्रेस संगठन से कॉर्डिनेशन नहीं होने की शिकायतें भी कईं बार आ जाती है. अगर संगठन दमखम दिखाकर फील्ड में काम करें तो यकीनन यूथ,छात्र और महिलाओं जैसे मजबूत वोट बैंक को सीधे प्रभावित कर सकते हैं. आज विपक्ष में रहते हुए इन संगठनों और उनके मुखियाओं के पास खुद का साबित करने का सुनहरा मौका भी है. लेकिन उसके बावजूद यह संगठन कह सकते है फॉर्मेलिटी वाले स्टेप को ही फिलहाल फोलो करते दिख रहे हैं.
राजस्थान कांग्रेस के अग्रिम संगठनों के हाल
ग्राउंड पर कोई खास सक्रियता नहीं दिखा रहे अग्रिम संगठन
यूथ कांग्रेस,एनएसयूआई,महिला कांग्रेस और सेवादल नहीं सक्रिय
सेवादल को छोड़कर शेष तीनों संगठन नहीं बना पाए पूरी कार्यकारिणी
गुटबाजी के भी चलते भी गतिविधियां हो रही है प्रभावित
यूथ,स्टूडेंट्स औऱ महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर इन संगठनों ने नहीं चलाया कोई खास मूवमेंट