जयपुर: राजस्थान ने आम लोगों की जिंदगी आसान बनाने के लिए खासे नवाचार किए गए हैं. इन नवाचारों को करीब दो सौ नवाचारों को केन्द्र सरकार ने पहचान देते हुए केन्द्रीकृत पोर्टल में जगह दी है. इस पहल ने इन नवाचारों को व्यापक स्तर पर बड़ी पहचान दी है. सभी जिला कलेक्टर्स को समय-समय पर अलग-अलग मुख्य सचिवों ने आम जनता से जुड़ी सेवाओं के आसानी से संचालन और लोगों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करने के लिए नवाचार करने के निर्देश दिए हैं. कलेक्टर्स ने स्थानीय प्रशासन की मदद से अपने नवाचारों को फील्ड में आजमाया जिनमें से बेहतरीन नवाचारों को केन्द्रीकृत पोर्टल पर जगह दी है.
इनमें से खास नवाचार ये हैं:
बिजली बिल भुगतान हुआ आसान:
पहले प्रदेश वासियों को बिजली के बिलों के भुगतान के लिए या तो ई मित्र संचालक को अतिरिक्त राशि देनी पड़ती थी या फिर इसे खुद कतार में लगकर राशि जमा करवानी पड़ती है. इस प्रक्रिया में कई बार बिल जमा कराने की आखिरी तिथि भी समाप्त हो जाती थी,लेकिन राजस्थान डिस्कॉम ने बिजली के बिलों का ई पेमेंट शुरू कर दिया. इसके जरिये लोग अलग-अलग एप के जरिये घर बैठे एक क्लिक पर बिजली के बिल की राशि का भुगतान कर सकते हैं जिसके चलते बिजली कनेक्शन कटौती की टेंशन से भी निजात मिली है.
कॉफी विथ कलेक्टर:
राजस्थान के अन्य हिस्सों की तरह झालावाड़ में भी बाल विवाह एक बड़ी समस्या थी. इसे देखते हुए झालावाड़ की तत्कालीन कलेक्टर भारती दीक्षित ने कॉफी विथ कलेक्टर कार्यक्रम शुरू किया. इसने बालिकाओं को एक खुला मंच दिया जिसमें वे सरकारी अधिकारियों के साथ खुलकर अपने मुद्दों,समस्याओं को बता सकती है. इसका मकसद महिला आबादी को कौशल विकास,सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करना है. इसमें बाल विवाह के बुनियादी कारणों का निराकरण करते हुए बालिकाओं को अवसर दिए गए और उन्हें समाज में समावेशी बनाने की कोशिश की गई. इसके चलते गरीबी,भेदभाव के चक्र को तोड़ने में मदद मिली और इसके जरिये बालिकाएं समुदायों में सक्रियता से भागीदारी करती हैं.
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान:
राजस्थान भर में 2016 में शुरू किए इस नवाचार को केन्द्रीकृत पोर्टल पर जगह दी गई है. इसमें ड्रोन की सहायता से जल ढांचे के रेस्टोरेशन,टेक्नोलॉजी एम्पलॉयमेंट जैसे उल्लेखनीय आकर्षण के चलते 7742 गांवों को 2.3 लाख जल संरक्षण ढांचे बनाए गए. इसके बाद यह आंकड़ा 4123 गांवों में 1.35 लाख जल संरक्षण ढांचे बनाए गए. इससे 88 लाख की आबादी और 93 लाख मवेशी लाभान्वित हुए. 33.50 लाख हैक्टेयर क्षेत्र के घेरे में हुए इस अभियान का परिणाम यह रहा कि वाटर टैंकरों की आपूर्ति 56 फीसदी तक कम हुई और 21 गैर मरूस्थलीय जिलों में औसतन 4.66 फीट भूजल स्तर बढ़ा. इससे कृषि योग्य 50000 हैक्टेयर भूमि को उपयोगी बनाया गया और 64 प्रतिशत हैंडपंपों को पुनर्जीवित किया गया.
ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अभियान:
यूनिसेफ, राजस्थान ने मंजरी संस्थान के साथ साझेदारी करते हुए कोविड 19 के दौरान जयपुर शहर में जागरुकता अभियान शुरू किया. इसमें ट्रांसजेंडर,सेक्स वर्कर्स सहित वंचित समुदायों को जोड़ा. इसमें ट्रांसजेंडर्स को जोड़ा गया,झिझक और मर्यादाएं तोड़ी गईं और कोविड टीकाकरण व स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा दिया गया. इससे न केवल जागरुकता बढ़ी बल्कि इससे इन समुदायों की भागीदारी भी सुनिश्चित हो सकी. केन्द्रीय पोर्टल पर राजस्थान के ऐसे करीब दो सौ नवाचार हैं जिसके जरिये प्रदेश की अलग तस्वीर नजर आती है.