जयपुर: राजस्थान की देश दुनिया में तेजी से 'धर्मस्थान' के तौर पर पहचान बनती जा रही है. प्रदेश के धार्मिक स्थलों के प्रति आस्था और दुख दर्दों से मुक्ति की आस में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है. वर्ष 2022 में प्रदेश में कुल 10 करोड़ 87 लाख पर्यटक आए लेकिन पर्यटन स्थलों पर पहुंचने वालों की संख्या इनमें से महज 63 लाख थी जबकि धर्म की चौखट पर सजदा करने वालों की तादाद 10 करोड़ 24 लाख से ज्यादा रही.
जिला | स्वदेशी पर्यटक | विदेशी पर्यटक | धर्म स्थल |
अजमेर | 1.32 करोड़ | 40092 | पुष्कर, दरगाह शरीफ |
सीकर | 1.16 करोड़ | 258 | खाटू श्याम जी, जीण माता |
सवाई माधोपुर | 1.11 करोड़ | 5878 | रणथंभौर, त्रिनेत्र गणेश जी |
भरतपुर | 75.68 लाख | 2749 | घना पक्षी विहार, बृज चौरासी |
जैसलमेर | 63.48 लाख | 29131 | सम के धोरे, तनोट, रामदेवरा |
चित्तौड़ | 63.39 लाख | 711 | चित्तौड़ किला, सांवलिया सेठ |
अलवर | 51.33 लाख | 8112 | पांडूपोल, भर्तहरि |
करौली | 42.06 लाख | 728 | कैला देवी, महावीर जी |
टोंक | 39.28 लाख | 617 | डिग्गी कल्याण जी |
बीकानेर | 39.28 लाख | 10501 | करणी माता |
चूरू | 35.78 लाख | 185 | सालासर बालाजी |
हनुमानगढ़ | 35.50 लाख | 42 | गोगा मेढ़ी |
जयपुर | 33.72 लाख | 159210 | गोविंद देवजी, मोती डूंगरी, शिला माता |
सिरोही | 33.35 लाख | 1079 | माउंट आबू, दिलवाड़ा |
दौसा | 31.32 लाख | 6012 | मेहंदीपुर बालाजी |
डूंगरपुर | 31.22 लाख | 119 | बेणेश्वर धाम |
वर्ष 2022 में प्रदेश के पर्यटनस्थलों पर पहुंचने वाले पर्यटक :
माह | संख्या |
जनवरी | 359000 |
फरवरी | 411161 |
मार्च | 495870 |
अप्रैल | 284873 |
मई | 343074 |
जून | 471120 |
जुलाई | 526748 |
अगस्त | 551061 |
सितंबर | 490755 |
अक्टूबर | 768397 |
नवंबर | 723100 |
दिसंबर | 941595 |
कुल | 63,66,754 |
कोरोना के बाद राजस्थान पर्यटन ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है. यहां के किले, महल, जंगल, झील, मेहमाननवाजी, पहनावा, खानपान और स्थापत्य... सभी कुछ पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है. लेकिन इस सबसे अलग और ठोस और ताकतवर है वो है श्रृद्धा की चौखट. जी हां राजस्थान में वर्ष 2022 में 10 करोड़ 87 लाख से अधिक पर्यटक आए लेकिन इनमें से 63 लाख से कुछ अधिक पर्यटक ही पर्यटनस्थलों पर पहुंचे जबकि 10 करोड़ 26 लाख से ज्यादा पर्यटक धार्मिक सथलों पर पहुंचे. इस मामले में पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह का कहना है कि आस्था का राजस्थान से गहरा नाता रहा है. यहां तीर्थराज पुष्कर भी है तो गरीब नवाज़ भी, सालासर बालाजी विराजे हैं तो खाटू के श्री श्याम भी. इसी तरह रामदेवरा है तो मेहंदीपुरा बालाजी भी. गोविंद देव जी, शिला माता, कैला देवी, करणी माता, बेणेश्वर धाम, रामदेवरा, श्री महावीर जी सहित सैकड़ों ऐसे धार्मिक सथल हैं जो देशभर के श्रृद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं.
राज्य सरकार ने जिस तरह से धर्म स्थलों पर विकास कार्य करवाए हैं उसकी बदौलत यहां श्रृद्धालुओं की संख्या बढ़ी है. पुरातत्व विभाग के निदेशक डॉ महेंद्र सिंह खड़गावत का कहना है कि समारकों और संग्रहालयों पर आधारभूत सुविधाओं का विकास सैलानियों में सुरक्षा की भावना पैदा करता है और नवाचार करने पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. पर्यटन विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ का कहना है कि नई पर्यटन नीति लागू करने के बाद प्रदेश में पर्यटन की सभी विधाओं को लेकर देश दुनिया के पर्यटकों में राजसथान को लेकर आकर्षण बढ़ा है. धार्मिक पर्यटन बढने से रोजगार तो बढ़ा ही है साथ ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सुधार भी हुआ है. दरअसल पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान ने पर्यटनस्थल, धार्मिक स्थल और ग्रामीण पर्यटन क्षेत्र में जो आधारभूत ढांचे का विकास करवाया है और कोरोना मैनेजमेंट में दमखम लगाया उसके सुखद नतीजे राजस्थान को मिल रहे हैं. प्रदेश में आने वाले श्रृद्धालु या सामान्य पर्यटक किसी भी रूप में आएं लेकिन उनके आने से मिलने वाला राजस्व और रोजगार ट्रेवल इंडस्ट्री को मजबूती दे रहा है. उम्मीद की जानी चाहिए कि विकास का यह क्रम रुकेगा नहीं और प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या में और वृद्धि होगी.