लालसोट(दौसा): आम तौर पर दंगल शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में किसी कुश्ती दंगल का चित्र उभर जाता है, पर दौसा जिले के लालसोट उपखण्ड मुख्यालय पर गणगौर के लोक पर्व के बीते करीब पौने तीन सौ सालों से संगीत का एक अनूठा दंगल आयोजित हो रहा है. संगीत इस अनुठी विधा के इस विशाल संगीत दंगल में दौसा, करौली, सवाई माधोपुर जिलों की गायन मंडलियों के कलाकार हेला ख्याल गायकी के माध्यम से गांव से लेकर देश विदेश में होने वाले सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक बदलाव व सम सामसयिक घटनाक्रम पर बेबाक टिप्पणियां करते हैं.
हेला ख्याल की सबसे बड़ी अहम बात यह है कि इसके गायक कलाकार कोई पेशावर गायकों की तरह प्रशिक्षित नही होते है और शिक्षित भी कम होते है. इसके बाद भी वे अपनी ख्याली गायकी में संगीत की कई कलाओं का समावेश करते हुए हजारों श्रौताओं के बीच रचनाएं पेश करते है. इसी खासयित के चलते लालसोट का हेला ख्याल संगीत दंगल अब यहां की पहचान भी बन गया है. अपनी में अनुठी ख्याल गायकी से लगातार प्रसिद्धि पाने वाला यह संगीत पर्व जो कि लगातार 72 घंटे तक चलने वाला यह आयोजन है, पहले जहां हेला ख्याल का विषय धार्मिक कथानकों व सामाजिक बुराईयों से जुड़ा होता था, वहीं आज हेला ख्याल भी बदलते परिवेश से अछुता नहीं है और पूर्व में जहां हेला ख्याल की रचनाओं में शास्त्रीय संगीत व पक्की राग का समावेश होता था, लेकिन अब फिल्मी धुनों का भी सहारा लिए जाने लगा है.
इस वर्ष 273 वें हेला ख्याल संगीत दंगल का आयोजन होने जा रहा:
इस वर्ष 273 वें हेला ख्याल संगीत दंगल का आयोजन होने जा रहा है. यह पूरा आयोजन बिना किसी पुलिस इन्तजाम के सम्पन्न होता है. एक गायन मण्डली के बाद दूसरी गायन मण्डली अपनी रचना पेश करती है, लेकिन श्रोता बिना किसी शोर व हुल्लड़ करते हुए अपने स्थान के पर जमे रहते है. बूढ़ी गणगौर की सवारी के बाद गणगौर माता की प्रतिमा को जवाहर गंज सर्किल पर स्थापित किया जाता है और उसके बाद शुरू होता है हेला ख्याल संगीत दंगल. संगीत दंगल की शुरुआत शनिवार रात्रि को होने जा रही है और सोमवार सुबह तक संगीत का यह अनूठा दंगल अनवरत जारी रहेगा. बीती रात्रि को दंगल में स्थानीय गायन मंडलियों ने अपनी रचानाओं के माध्सम से माता की आराधना करते हुए भवानी पूजन की रस्म को पूरा किया. हेला ख्याल संगीत दंगल समिति के अध्यक्ष रवि हाडा ने बताया कि इस वर्ष दंगल में स्थानीय गायन मंडलियों समेत आस पास के कई जिलों की एक दर्जन गायन मंडलियां शिरकत करेंगी, दंगल का पहला दौर धार्मिक कथानकों की रचनाओं पर आधारित होता है और दूसरा दौर राजनैतिक होता है, जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है.