Rajasthan News: प्रदेश के मरीजों के लिए बड़ी राहत की खबर, राइट टू हेल्थ को लेकर नाराज चिकित्सकों ने स्थगित किया आंदोलन

जयपुर: राइट टू हेल्थ बिल को लेकर निजी चिकित्सकों के आंदोलनरत के चलते परेशान मरीजों के लिए बड़ी राहत की खबर है. सीएम गहलोत के आश्वासन के बाद चिकित्सकों ने निजी अस्पतालों में सरकारी योजनाओं का बहिष्कार आगामी 15 दिनों के लिए स्थगित कर दिया है. इसके साथ ही अस्पतालों में चिरंजीवी-RGHS योजना के टीआईडी जनरेट होने लगे है. 

राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल को लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों का चल रहा आंदोलन आखिरकार आज स्थगित हो गया है. हॉस्पिटल संचालकों की ओर से बनाई ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात के बाद अपना आन्दोलन स्थगित करने का फैसला किया. कमेटी के चेयरमैन डॉ. सुनील चुघ ने बताया कि बिल पर अपनी बात रखने को लेकर हमारी मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई, जहां उन्होंने हमारी बातों को सुना और उन्होंने आश्वासन दिया कि डॉक्टरों और हॉस्पिटल संचालकों के हितों का बिल में पूरा ध्यान रखा जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने मुख्य सचिव को भी बिल में डॉक्टरों के सुझाव और संशोधनों को लागू करने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री के इस आश्वासन के बाद देर रात ज्वाइंट कमेटी की बैठक में सर्वसम्मति से बिल के विरोध में शुरू किए आंदोलन को 10 मार्च तक स्थगित करने का निर्णय किया.

ज्वाइंट एक्शन कमेटी के चेयरमैन डॉ. चुघ ने बताया कि आज से सभी हॉस्पिटल में सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा और आरजीएचएस और चिरंजीवी बीमा से कवर मरीजों को इलाज की सुविधा दी जाएगी. आपको बता दें कि 11 फरवरी को इस बिल के विरोध में जयपुर समेत प्रदेश के कई शहरों में प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों और डॉक्टरों ने विरोध किया था. इसके बाद ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ प्राइवेट हॉस्पिटल में देने से मना कर दिया था. योजना से अटैच प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों का इलाज पिछले कुछ समय से बंद था, जो आज से शुरू हो जाएगा.

बिल के बिन्दुओं को लेकर जारी गतिरोध जल्द भी समाप्त करने की कोशिश होगी:
निजी चिकित्सकों ने भले ही आंदोलन स्थगित कर दिया हो, लेकिन ये भी साफ किया है कि यदि सरकार ने बिन्दुवार मांगों पर सकारात्मक रूख नहीं दिखाया... बिल के बिन्दुओं में संशोधन नहीं किया तो आंदोलन को 11 मार्च से फिर शुरू कर दिया जाएगा. ऐसे में उम्मीद है कि बिल के बिन्दुओं को लेकर जारी गतिरोध जल्द भी समाप्त करने की कोशिश होगी, ताकि सरकार की मंशा के अनुरूप इसी सत्र में इसे विधानसभा में लाया जा सके.