जयपुर: अब निर्वाचन के काम से सीधे जुड़ा कोई भी अधिकारी अपने गृह जिले में नहीं रह सकेगा. साथ ही पिछले चार सालों में से तीन सालों तक वह अपने जिले में रहा हो तो उसका तबादला होगा. उसकी यह अवधि 31 जनवरी 2024 को कट ऑफ तिथि मानते हुए तय करते हुए राज्य सरकार को 31 जुलाई तक इस तरह के तबादले करके कार्यपालना रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं.
राजस्थान में नई विधानसभा का गठन 14 जनवरी 2024 तक पूरा किया जाना है. ऐसे में भारत निर्वाचन आयोग ने राजस्थान सहित उन राज्यों के मुख्य सचिवों को दिशानिर्देशों को बताते हुए चुनाव कार्य से जुड़े अधिकारियों को गृह जिले से हटाने के लिए कहा है.
ये हैं निर्देश:
- अगर कोई अधिकारी अपने गृह जिले में तैनात है तो उसका तबादला करना होगा.
- साथ ही अगर अधिकारी ने अपने 4 में से तीन साल उसी जिले में सेवाएं दी हों, तो उनका भी तबादला करना होगा.
- इसमें राजस्थान के लिहाज से कट ऑफ तिथि 31 जनवरी 2024 तय करते हुए उसी अनुसार अवधि निर्धारित करते हुए तबादले के लिए कहा है.
- आयोग ने यह भी कहा है कि किसी राज्य सरकार को इसकी पालना में कठिनाई हो तो वह खास कारण सहित मामला आयोग को छूट के लिए भिजवा सकता है.
इस दायरे में ये अधिकारी आएंगे:
- चुनाव ड्यूटी में लगे डीईओ या कलेक्टर, डिप्टी डीईओ, RO, ARO, ERO इस दायरे में आएंगे.
- ADM, SDM, ड़िप्टी कलेक्टर, ERO/AERO, संयुक्त कलेक्टर, तहसीलदार, बीडीओ या उसके समान रैंक वाले अधिकारी आएंगे दायरे में.
पुलिस अधिकारी:
- रेंज आईजी, डीआईजी, विशेष सशस्त्र बलों के कमांडेंट, SSP, SP, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सब डिवीजनल हैड ऑफ पुलिस, SHO, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, सार्जेंट/ मेजर और उसके समान रैंक वाले अधिकारी आएंगे दायरे में.
- इसके तहत पुलिस सब इंस्पेक्टर और उससे ऊपर के अधिकारी अपने गृह जिले में नहीं रहने चाहिए.
- साथ ही ऐसे सब इंस्पेक्टर जिन्होंने पिछले चार साल में तीन साल एक सब डिवीजन में गृह जिले में बिताए हों,उन्हें भी गृह जिले में नहीं रहना चाहिए.
- उनका ऐसे दूसरे सब डिवीजन में तबादला करना होगा जो उस विधानसभा क्षेत्र में नहीं हो.
- अगर जिला छोटा होने से यह संभव नहीं हो तो उसका दूसरे जिले में तबादला करना जरूरी.
ये अधिकारी इस दायरे से हैं बाहर:
- अगर अधिकारी किसी विभाग के मुख्यालय में पोस्टेड हो .
- ऐसे अधिकारी जो चुनाव से सीधे जुड़े नहीं हों. इसमें डॉक्टर्स, इंजीनियर्स, टीचर्स, प्रिंसिपल आते हैं.
- सेक्टर ऑफिसर/जोनल मजिस्ट्रेट के रूप में चुनाव ड्यूटी में आनेवाले अधिकारी भी इस दायरे से बाहर होंगे. हालांकि मुख्य निर्वाचन अधिकारी,डीईओ जैसे अधिकारी उन पर बारीकी से निगरानी रखेंगे.
- चुनाव कार्य में पूर्व में लापरवाही बरतने वाले वे अधिकारी जिनके खिलाफ आयोग की ओर से कार्रवाई की गई हो, उन्हें चुनाव कार्य की जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी.
- यदि किसी अधिकारी के खिलाफ आपराधिक मामले पेंडिंग है और उसे चुनाव कार्य में लगाया है तो आयोग यह बर्दाश्त नहीं करेगा.
- अगले 6 माह में रिटायर्ड होनेवाले अधिकारी को भी चुनाव कार्य की जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी.
- किसी भी ऐसे स्टेट ऑफिसर्स को जिसका एक्सटेंशन हुआ हो या पुनर्नियुक्ति पर वह सेवाएं दे रहा हो तो उसे भी चुनाव कार्य में नहीं लगाया जाएगा.
- सारे मुख्य निर्वाचन अधिकारी इस नीति को ध्यान में रखते हुए ट्रांसफर पोस्टिंग पर निगाह रखेंगे.
- सारे चुनाव से जुड़े अधिकारियों को एक फॉर्मेट में घोषणा पत्र देना होगा.
इन निर्देशों की कार्यपालना ईसीआई ने 31 जुलाई तक करने को कहा है.