जयपुर: केन्द्र की कुसुम योजना के "सी" कम्पोनेट में सोलर लगाकर बिजली कम्पनियों को दिन में सस्ती बिजली दे रहे "धरतीपुत्रों" प्रशासनिक अनदेखी के चलते इनदिनों को खुद को निराश महसूस कर रहे है. राजस्थान में योजना के तहत अब तक 1986 मेगावाट क्षमता के 771 सोलर प्लांट लग चुके है, लेकिन इसमें से किसी भी प्लांट्स संचालक को अब भी केन्द्र की निर्धारित केन्द्रीय वित्तीय सहायता यानी CFA नहीं मिला है. ऐसे में प्लांट का फाइनेंशियल मैनेजमेंट गड़बड़ा देख अब निवेशक इधर उधर भटकने को मजबूर है. आखिर क्या है योजना की राजस्थान में प्रोग्रेस और किसानों की पीड़ा.
देश के कई इलाके ऐसे है, जहां पानी की कमी के चलते किसानों की जमीनें बंजर हो गई है. इन जमीनों से किसानों को कोई आय नहीं हो रही थी,ऐसे में किसानों की पीड़ा को समझते हुए केन्द्र सरकार ने कुसुम योजना शुरू की. अब इसे योजना का प्रभावी क्रियान्वयन कहे या फिर लोगों की जागरूकता, जिसके चलते धरतीपुत्र अब ऊर्जादाता बन गए है. अकेले राजस्थान की बात की जाए तो बिजली कम्पनियों ने बेहतर काम किया, जिसके चलते अब तक 2100 में से 771 सोलर प्लांट न सिर्फ स्थापित हो चुके है, बल्कि रोजाना डे पावर के रूप में करोड़ों यूनिट सस्ती बिजली भी जनता को उपलब्घ हो रही है. लेकिन प्लांट लगाने के बावजूद किसानों को अब तक केन्द्र से निर्धारित केन्द्रीय वित्तीय सहायता यानी CFA का इंतजार है. आश्चर्य की बात ये है कि डिस्कॉम प्रशासन ने 150 से अधिक प्लांट्स को तो कमिशन मानते हुए सब्सिडी जारी करने के प्रस्ताव केन्द्र को भेज दिए है, लेकिन अभी तक एक भी किसान को वित्तीय सहायता जारी नहीं हुई है. ऐसे में निराशा निवेशकों की पीड़ा ये है कि वे बैंकों को भारी भरकम ब्याज चुकाने को मजबूर है.
-एक नजर में कुसुम योजना के कम्पोनेट "सी" का डेटा
-राजस्थान में करीब लाख कृषि पम्प को सोलर से बिजली देने की कार्ययोजना
-योजना के तहत 5334 मेगावाट क्षमता के 2119 प्लांटस के लिए टेण्डर फाइनल
-इसमें से 1960 प्लांट्स के लिए डिस्कॉम कर चुका पावर परर्चेज एग्रीमेंट
-जबकि विभिन्न कारणों से प्लांट नहीं लगाने वाले 87 प्रकरणों के एलओआई कैंसिल
-राजस्थान में अब तक 771 प्लांट लग चुके,जिसमें सर्वाधिक 639 प्लांट जोधपुर डिस्कॉम में लगे
-इसके अलावा जयपुर डिस्कॉम में 92 और अजमेर डिस्कॉम में लगे 40 सोलर प्लांट
-इसमें से 150 सोलर प्लांट ऐसे, जहां सब्सिडी के लिए जरूरी सीयूएफ समेत सभी मापदण्ड पूरे
-बावजूद इसके अभी तक एक भी प्लांट संचालक को जारी नहीं हुई केन्द्रीय वित्तीय सहायता
सोलर प्लांट लगाने वाले की पीड़ा को देखते हुए ऊर्जा विभाग अब एक्टिव मोड में है. राजस्थान डिस्कॉम प्रशासन और प्रमुख ऊर्जा सचिव के बाद अब खुद ऊर्जा राज्य मंत्री हीरालाल नागर ने मामले में दखल दी है. नागर ने हाल ही में केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को पत्र लिखा है, जिसमें राजस्थान में लग चुके सोलर प्लांट्स संचालकों को जल्द से जल्द केन्द्रीय सहायता राशि जारी करने का आग्रह किया गया है.