जयपुरः भाई-बहन के अटूट बंधन का पर्व रक्षाबंधन आज मनाया जा रहा है. बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए पूजा की थाली सजाती है. इस दिन बहनें भाई को राखी बांधकर उनके उज्जवल भविष्य के लिए कामना करती है और भाई बहन को रक्षा का वचन देते हैं. इस साल रक्षाबंधन पर कई शुभ संयोग बन रहे है. भद्रवास योग के साथ शिववास योग का संयोग बन रहा है.
रक्षाबंधन पर भद्रा का साया सुबह 5:53 से शुरू होगा, जो कि दोपहर 1:32 तक रहेगा. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस बार का रक्षाबंधन सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग, रवि योग और सौभाग्य योग के बीच में मनाया जाएगा. इसके साथ ही इस दिन श्रवण नक्षत्र का भी अद्भुत संयोग बन रहा है. हालांकि इस दिन भद्रा का साया भी रहेगा. पंचांग के अनुसार, इस साल सावन के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त सोमवार को रात 3:04 से शुरू हो रही है. यह 19 अगस्त को ही रात 11:55 पर समाप्त हो रही है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार 19 अगस्त को मनाया जाएगा. रक्षाबंधन पर भद्रा का साया सुबह 5:53 से शुरू होगा, जो कि दोपहर 1:32 तक रहेगा. भद्रा का वास पाताल लोक में है.
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस साल 19 अगस्त 2024 का दिन सभी के लिए बेहद शुभ है. इस दिन सावन का पांचवा सोमवार, पूर्णिमा और रक्षाबंधन का महासंयोग बन रहा है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार साल 2024 में रक्षाबंधन और सावन के अंतिम सोमवार पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. साथ ही रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महासंयोग बनेगा. इस बार श्रावणी पूर्णिमा 19 अगस्त को सोमवार के दिन श्रवण उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र तथा शोभन योग की साक्षी में आ रही है. सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र के होने से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. इस साल भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा. रक्षाबंधन पर भद्रा का साया सुबह 5:53 से शुरू होगा, जो कि दोपहर 1:32 तक रहेगा. भद्रा का वास पाताल लोक में है.
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के मुताबिक रक्षाबंधन सावन महीने की पूर्णिमा का हर साल मनाया जाता है. भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का यह त्योहार पूरे भारत वर्ष में उत्साह के साथ मनाया जाता है और बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती है, वहीं भाई भी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक रक्षाबंधन का पर्व भद्रा काल में नहीं मनाना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि भद्रा काल के दौरान राखी बांधना शुभ नहीं होता है. पौराणिक कथा के अनुसार लंकापति रावण को उसकी बहन ने भद्रा काल में राखी बांधी थी और उसी साल प्रभु राम के हाथों रावण का वध हुआ था. इस कारण से भद्रा काल में कभी भी राखी नहीं बांधी जाती है.
पूर्णिमा तिथि
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सावन के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त सोमवार को रात 3:04 से शुरू हो रही है. यह 19 अगस्त को ही रात 11:55 पर समाप्त हो रही है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार 19 अगस्त को मनाया जाएगा.
भद्रा का साया
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस साल भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा. वैदिक पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया सुबह 5:53 से शुरू होगा, जो कि दोपहर 1:32 तक रहेगा. भद्रा का वास पाताल लोक में है. भद्रा काल में रक्षा सूत्र बांधने शुभ नहीं माना जाता है. ऐसे में 19 अगस्त को दोपहर में 1:32 मिनट के बाद रक्षा सूत्र बांधा जाएगा.
शोभन योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ रवियोग और शोभन योग का निर्माण हो रहा है. इतना ही नहीं इस दिन सावन महीने का आखिरी सोमवार भी है. शोभन योग पूरे दिन रहेगा. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:53 से 8:10 तक रहेगा और रवि योग भी सुबह 5:53 से 8:10 तक रहेगा. सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र की साक्षी भी इस शुभ दिन को खास बना रही है.
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि रक्षाबन्धन पर्व श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को भद्रा रहित तीन मुहूर्त या उससे अधिक व्यापिनी पूर्णिमा को अपराह्न काल व प्रदोष काल में मनाया जाता है.
यथा पूर्णिमायां भद्रारहितायां त्रिमुहूत्र्ताधिकोदय व्यापिन्यामपराले प्रदोषे वा कार्यम्
( धर्मसिन्धु )
श्रावण शुक्लं पूर्णिमा दिनांक 19 अगस्त 2024 को रक्षाबन्धन है. इस दिन पूर्णिमा तिथि मध्यरात्रि 11:55 तक है. इस दिन भद्रा दोपहर 01:32 तक रहेगी, अतः भद्रा प्रारम्भ के समाप्ति के पश्चात् रक्षासूत्र (राखी) बाँधने हेतु चर-लाभ-अमृत-चर दोपहर 02:07 से रात्रि 08:20 तक रहेगा. इसके अतिरिक्त दोपहर 01:48 से अपराह्न 04:22 तक विशेष मुहूर्त रहेगा. प्रदोष काल सायं 06:57 से रात्रि 09:10 तक तक रहेगा.
पूजा विधि
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन अपने भाई को इस तरह राखी बांधें. सबसे पहले राखी की थाली सजाएं. इस थाली में रोली कुमकुम अक्षत पीली सरसों के बीज दीपक और राखी रखें. इसके बाद भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी कि राखी बांधें. राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें. फिर भाई को मिठाई खिलाएं. अगर भाई आपसे बड़ा है तो चरण स्पर्श कर उसका आशीर्वाद लें. अगर बहन बड़ी हो तो भाई को चरण स्पर्श करना चाहिए. राखी बांधने के बाद भाइयों को इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार बहनों को भेंट देनी चाहिए. ब्राह्मण या पंडित जी भी अपने यजमान की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं.
ऐसा करते वक्त इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः.
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल..