अयोध्याः वर्षो के लंबे इंतजार के बाद आज वो ऐतिहासिक दिन है जब रामलला अपने आसन पर विराज गए है. राम जी अयोध्या में विराजे है. पीएम मोदी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा कर भगवान राम को गृभ गृह में स्थान ग्रहण कराया गया. जिसका आज सिर्फ ना पूरा देश बल्कि विश्व साक्षी बना है.
पीएम मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर संतों,प्रतिष्ठित हस्तियों को संबोधित करते हुए कहा कि आपको सबको प्रणाम, सबको राम-राम. आज हमारे राम आ गए हैं. सदियों की प्रतिक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं. सदियों का अभूतपूर्व धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद हमारे प्रभु राम आ गए हैं. इस शुभ घड़ी की आप सभी को, समस्त देशवासियों को बधाई देता हूं.
मोदी ने कहा कि राष्ट्र गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हुआ है. ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है. आज से हजार साल बाद भी आज की इस तारीख और पल की चर्चा करेंगे. यह कितनी बड़ी रामकृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं. इसे साक्षात घटित हो रहे हैं. आज दिन-दिशाएं, दिग-दिगंत, सब दिव्यता से परिपूर्ण हैं. ये समय सामान्य नहीं है. यह काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रही अमिट स्मृति रेखाएं हैं. हम सब जानते हैं कि जहां राम का काम होता है. वहां पवन पुत्र हनुमान अवश्य विराजमान होते हैं. इसलिए मैं रामभक्त हनुमान और हनुमान गढ़ी, माता जानकी, अयोध्या पुरी और सरयू को भी प्रणाम करता हूं.
22 जनवरी 2024 का यह सूर्य अद्भुत आभा लेकर आया है. यह कैलेंडर पर लिखी तारीख नहीं, यह एक नए कालचक्र का उद्गम है. राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद से प्रतिदिन पूरे देश में उमंग और उत्साह बढ़ता ही जा रहा है. निर्माण कार्य देख देशवासियों में हर दिन नया विश्वास पैदा हो रहा है. आज हमें सदियों के उस धैर्य की धरोहर मिली है. आज हमें श्रीराम का मंदिर मिला है. मैं गर्भ गृह में ईश्वरीय चेतना का साक्षी बनकर आपके सामने उपस्थित हुआ हूं. आज कहनो को बहुत कुछ है. लेकिन कंठ अवरूद्ध है. शरीर स्पंदित है, चित्त अभी भी उस पल में लीन है. हमारे रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे. हमारे रामलला अब दिव्य मंदिर में रहेंगे. मेरा पक्का विश्वास है, अपार श्रद्धा है, जो घटित हुआ है. इसकी अनुभूति देश और विश्व के कोने-कोने में राम भक्तों को हो रही होगी. यह क्षण आलौकिक है, यह पल पवित्रतम है. यह माहौल, वातावरण, यह घड़ी, प्रभु श्रीराम का हम सब पर आशीर्वाद है.
मोदी ने कहा कि दैवीय आशीर्वाद और दिव्य आत्माओं की वजह से यह कार्य पूरा हुआ है. मैं इन सभी दिव्य चेतनाओं को भी नमन करता हूं. मैं आज प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं. हमारे पुरुषार्थ, हमारे त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी. कि हम इतनी सदियों तक ये कार्य कर नहीं पाए,आज वो कमी पूरी हुई है. मुझे विश्वास है कि प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे. लंबे वियोग से आई आपत्ति का अंत हो गया है. त्रेता युग में तो वह वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था. इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है. हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है. भारत के तो संविधान की पहली प्रति में भगवान राम विराजमान है. संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली. ऐसे में मैं भारत की न्यायपालिका का आभार व्यक्त करूंगा,जिसने न्याय की लाज रख ली. न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना.
आज शाम घर-घर राम ज्योति प्रज्वलित करने की तैयारी है. कल मैं श्रीराम के आशीर्वाद से राम सेतु के आरंभ बिंदु पर था. जिस घड़ी प्रभु श्रीराम समुद्र पार करने निकले थे. वह पल था, जिसने कालचक्र बदला था. उसे महसूस करने का विनम्र प्रयास था. अब कालचक्र फिर बदलेगा और शुभ दिशा में बढ़ेगा. 11 दिन के व्रत अनुष्ठान के दौरान मैंने उन स्थानों का चरण स्पर्श करने का प्रयास किया. जहां प्रभु श्रीराम के चरण पड़े थे. चाहे नासिक हो, केरल हो, रामेश्वरम हो या फिर धनुषकोडी. मेरा सौभाग्य है कि सागर से सरयू तक की यात्रा का अवसर मिला. सागर से सरयू तक रामनाम का वही उत्सव छाया हुआ है. प्रभु राम तो भारत की आत्मा के कण-कण से जुड़े हुए हैं. हम भारत में कहीं भी किसी की अंतरआत्मा को छुएंगे तो इसी एकत्व की अनुभूति होगी. देश को समायोजित करने वाला इससे उत्कृष्ट सूत्र और क्या हो सकता है. देश के कोने-कोने में रामायण सुनने का अवसर मिला है. पिछले 11 दिनों में रामायण अलग-अलग भाषाओं में सुनने का मौका मिला है. राम को परिभाषित करते हुए ऋषिओं ने कहा है कि रमंते इति रामः
पीएम ने कहा कि आदिवासी मां शबरी कब से कहती थी राम आएंगे. प्रत्येक भारतीय में जन्मा यही विश्वास समर्थ, सक्षम, भव्य भारत का आधार बनेगा. हम सब जानते हैं कि निषाद राज की मित्रता सभी बंधनों से परे है. उनका अपनापन कितना मौलिक है,सब अपने हैं, सभी समान हैं. सभी भारतीयों में अपनत्व की भावना नए भारत का आधार बनेगी. यही देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार है. आज देश में निराशावाद की जगह नहीं है. अगर कोई यह सोचे कि मैं सामान्य और छोटा हूं तो उसे गिलहरी को याद करना चाहिए. यह सिखाएगा कि छोटे-बड़े हर प्रयास की ताकत होती है, योगदान होता है. यही भावना समर्थ, सक्षम, भव्य, दिव्य भारत का आधार बनेगी. लंकापति ज्ञानी रावण ज्ञानी थे, लेकिन जटायु कि मूल्य निष्ठा देखिए. वे महाबली रावण से भिड़ गए. उन्हें पता था कि वे परास्त नहीं कर पाएंगे, फिर भी उन्होंने रावण को चुनौती दी. कर्तव्य की यही परकाष्ठा समर्थ, सक्षम, भव्य, दिव्य भारत का आधार है. आइए हम संकल्प लें कि राम काज से राष्ट्र काज करेंगे. समय का पल-पल, शरीर का कण-कण इसमें लगा देंगे.
राम आग नहीं, राम ऊर्जा है. राम विवाद नहीं राम समाधान है. राम वर्तमान नहीं है, राम अनंतकाल है. राम भारत की आस्था है, राम भारत का आधार है. राम भारत का विचार है राम भारत का प्रताप है, राम प्रवाह है, राम प्रभाव है. राम नित्यता है, राम निरंतरता है, राम विश्वात्मा है. राम भारत की चेतना है, राम चिंतन है. हजार वर्ष बाद की पीढ़ी हमारे कार्यों को याद करेगी. समर्थ, सक्षम, दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं. हमारा समर्पण राम से राष्ट्र तक होना चाहिए. भव्य भारत का आधार श्रीराम होंगे. देव से देश, राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार हो. मोदी ने आगे कहा कि कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बनाया तो आग लग जाएगी. निर्माण आग को नहीं, ऊर्जा को जन्म दे रहा है. राम आग नहीं, राम ऊर्जा है. राम विवाद नहीं राम समाधान है. राम वर्तमान नहीं है, राम अनंतकाल है.
वहीं प्राण प्रतिष्ठा के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने के संकल्प लिया था. रामलला 500 साल बाद अपने मंदिर विराजे हैं. ऐसा लग रहा है मानों हम त्रेता युग में आ गए हैं. उन्होंने इसके लिए बहुसंख्यक समाज ने संघर्ष किया और लड़ाई लड़ी. आज हर घर में राम का नाम लिया जा रहा है.
योगी ने कहा कि राम का जीवन हमें संयम सिखाता है और भारतीय समाज ने भी संयम का परिचय दिया. एक जमाने में यह सपना था कि अयोध्या में हवाईअड्डा हो, जो आज साकार हो रहा है. और हर कोई अयोध्या के विकास को देख रहा है. आज इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत का हर नगर, हर ग्राम अयोध्या धाम है. हर मन में राम नाम है. सभी राम नाम का जाप कर रहे है.
योगी ने कहा कि इसके लिए बहुसंख्यक समाज ने संघर्ष किया और लड़ाई लड़ी है. विश्व में पहला ऐसा अनूठा प्रकरण होगा जिसमें किसी राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज ने अपने ही राष्ट्र में अपने आराध्य की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए इतने वर्षों और इतने स्तरों पर लड़ाई लड़ी हो. और आज वो घड़ आ गई है जब ये सपना भी साकार हो गया है.