जयपुरः भारतीय वॉलीबॉल फैडरेशन में एक नए युग की शुरुआत हो गई है. पिछले एक दशक से वॉलीबॉल फैडरेशन गंभीर प्रशासनिक विवादों और आंतरिक गुटबाजी का शिकार रहा है, लेकिन अब न्यायालय के आदेश के बाद संघ में चुनाव संपन्न हो गए हैं. हिमाचल प्रदेश के पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह फैडरेशन के नए अध्यक्ष बने हैं, जबकि राजस्थान के आर एस एस से जुड़े रामानंद चौधरी वॉलीबॉल महासचिव चुने गए हैं. उतार चढाव भरे इन चुनाव में हालांकि पूर्व महासचिव रामावतार जाखड़ का ग्रुप ही हावी रहा है, लेकिन अब नए चेहरे भारतीय वॉलीबॉल का जिम्मा संभालेंगे.
लंबे विवाद के बाद अब भारतीय वॉलीबॉल फैडरेशन पटरी पर आ रही है. कोर्ट के निर्देश के बाद फैडरेशन में अंतरिम कार्यकारिणी का चुनाव हो गया है, जो कोर्ट के निर्देश के अनुसार खेल कोड को लागू करेगी और उसके बाद फिर से चुनाव कराए जाएंगे. हाल ही हुए चुनाव में वीरेंद्र कंवर नए अध्यक्ष बन गए. हिमाचल के पूर्व मंत्री व भाजपा नेता वीरेंद्र ने राजस्थान के भाजपाई नेता प्रेम सिंह बाजोर को दो वोट से हरा दिया. कंवर को कुल 33 वोट मिले. वहीं, बिहार के आनंद शंकर तीसरे उम्मीदवार थे जिनके पक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा. राजस्थान के रामानंद चौधरी 33 वोट पाकर नए महासचिव बने, उन्होंने महाराष्ट्र के नीलेश जगताप को चार वोटों से हराया. तेलंगाना के एन वी हनमनाथ और असम के सुशांत विश्वा 36-36 मतों के साथ उपाध्यक्ष चुने गये जबकि हरि सिंह चौहान (मध्य प्रदेश) ने कोषाध्यक्ष पद का चुनाव जीता. आनंद शंकर और कुलदीप वत्स ने दो संयुक्त सचिव पदों पर जीत हासिल की. बिनॉय जोश, मिथलेश कुमार, उत्तम राज, एस रामदास और पार्थ दास को कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में चुना गया. इन चुनावों से पहले रोहित राजपाल की अगुवाई वाली तदर्थ समिति महासंघ का कामकाज देख रही थी.
फैडरेशन का महासचिव चुना गयाः
राजस्थान के रामानंद चौधरी को फैडरेशन का महासचिव चुना गया है, जो संगठन की रीढ की हड्डी माना जाता है. रामानंद चौधरी आर एस एस से जुड़े हुए हैं और राजस्थान वॉलीबॉल संघ के अध्यक्ष भी है. फैडरेशन के चुनाव में पूरी तरह पूर्व महासचिव रामावतार जाखड़ की ही चली है और पर्दे के पीछे रहकर पूरा चुनाव उन्होंने ही संभाला. रामानंद चौधरी की वॉलीबॉल में एंट्री भी जाखड़ ने ही कराई. महासचिव बनकर जयपुर पहुंचने पर रामानंद चौधरी का एसएमएस स्टेडियम में स्वागत किया गया. इस मौके पर रामानंद ने कहा कि समय पर टूर्नामेंट कराना उनकी प्राथमिकता रहेगी. वहीं जाखड़ ने कहा कि जब भी संकट से घिरेंगे तो मैं चाणक्य बनकर खड़ा रहूंगा.
विवादों और आंतरिक गुटबाजी का शिकार रहाः
दरअसल वॉलीबॉल फैडरेशन पिछले एक दशक से गंभीर प्रशासनिक विवादों और आंतरिक गुटबाजी का शिकार रहा है. यह विवाद विशेष रूप से 2016 में सामने आया, जब संघ के भीतर दो अलग-अलग गुटों ने समानांतर चुनाव आयोजित किए, जिससे भ्रम और नेतृत्व का संकट उत्पन्न हो गया. इसके परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय संस्था FIVB ने VFI को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया. 2019 में एक और बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब प्रो वॉलीबॉल लीग के अनुबंध को लेकर मतभेद उत्पन्न हुए. इन विवादों का असर खिलाड़ियों के करियर और भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन क्षमता पर पड़ा है. खेल मंत्रालय और IOA ने कई बार हस्तक्षेप करते हुए VFI को अस्थायी समितियों के अधीन चलाने की कोशिश की है.