रणथंभौर की अजब गजब दुनिया, 4 वर्ष बाद एरोहेड-रिद्धि ने की दावत, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः वन्यजीवों की अनूठी दुनिया रणथंभौर में यूं तो बाघों के जीवन से जुड़ी अनेक घटनाएं हैं जिन्होंने वन्य जीव प्रेमियों, पर्यटकों और शोध छात्रों को रोमांच से भर दिया लेकिन 13 दिसंबर को सुबह एक और ऐसा घटनाक्रम हुआ जिसने बाघों को नजदीक से जानने का दावा करने वालों को एक बार फिर से भौंचक्का कर दिया. जी हां बाघिन टी 84 एरोहेड और उसकी बेटी टी 124 रिद्धि लड़ाई भूल कर एक साथ दावत करती नज़र आई. आइए आपको भी हिंसक बाघिनों की ममतामई इस कहानी से रूबरू कराते हैं 

बाघों के जीवन चक्र की बात करें तो बाघ या बाघिन पैदा होने के बाद करीब 2 वर्ष तक अपनी मां के साथ रहते हैं. इसके बाद इलाके पर अपना प्रभुत्व बनाने के लिए उनकी पहली जंग अपनी मां, भाई और बहन से ही होती है. जिसमें ज्यादा ताकत होती है वह अपने पैदाइश वाले स्थान को कब्ज लेता है और जो कमजोर साबित होता है उसे वहां से जाना पड़ता है. आइए अब आपको 13 दिसंबर को सुबह हुए एक घटनाक्रम से पहले बाघिन टी 84 एरोहेड और उसकी बेटी टी 124 रिद्धि के खानदान और उनके बीच हुई जंग के बारे में विस्तार से बताते हैं. रणथंभौर को विश्व स्तर पर पहचान देने वाली बाघिन टी 16 मछली के बेटी थी टी 19 कृष्णा... कृष्णा जब 2 वर्ष की हुई तो उसकी पहली भिड़ंत अपनी मां से ही हुई थी. इसके बाद कृष्ण की बेटी टी 84 एरोहेड का जन्म हुआ. एरोहेड ने भी जोन नंबर 2 पर कब्जे के लिए अपनी मां कृष्णा से ही टक्कर ली. एरोहेड ने दिसंबर 2018 में बाघिन टी 124 रिद्धि और टी 125 सिद्धि को जन्म दिया. वर्ष 2020 में 7 अक्टूबर को पहली बार टी 84 एरोहेड और टी 124 रिद्धि के बीच इलाके की जंग हुई थी वहीं से रिद्धि का अपनी मां से अलग होने का सफर शुरू हो गया था. पहली जंग में रिद्धि को हर का सामना करना पड़ा और उसने जोन नंबर 3 में अपनी टेरिटरी बनाई एरोहेड जोन 2 में नाल घाटी के क्षेत्र में रहने लगी. इस बीच दोनों मां बेटी का एक दो बार और आमना सामना हुआ और दोनों के बीच जबरदस्त जंग देखने को मिली. 

एक सांभर का किया शिकारः
यही नहीं रिद्धि की अपनी बहन सिद्धि से भी दो बार फाइट हुई आखिर सिद्धि को जोन 5 में जाकर अपनी टेरिटरी बनानी पड़ी. जोन 1 से 5 की बादशाहत बाघ टी 120 गणेश के पास है. पिछले वर्ष अप्रैल से लेकर जून तक के 3 महीने में एरोहेड, रिद्धि और सिद्धि तीनों ने ही तीन-तीन शावकों को जन्म दिया और गणेश को ही इन 9 शावकों का बाप माना जाता है. बहरहाल 13 दिसंबर को सुबह की पारी में दूध बावड़ी क्षेत्र में अजब नजारा देखने को मिला जब बाघिन रिद्धि ने एक सांभर का शिकार किया और इसी बीच उसकी मां एरोहेड वहां आ गई. दोनों मां बेटियों ने दुशमनी भूल कर साझा दावत उड़ाई. कुछ देर आराम किया और फिर अपने-अपने रास्ते चली गई. रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर अनूप केआर का कहना है कि 6 साल की रिद्धि को स्वभाव से बहुत आक्रामक माना जाता है और किसी दूसरे बाघ या बाघिन के साथ वे सामान्यतः शिकार को नहीं खाते.. लेकिन कल जो हुआ वह वह रोमांचकारी तो है ही साथ ही साथ बाघों के अबूझ व्यवहार का प्रतीक भी. खास बात यह है की रिद्धि और एरोहेड के तीन-तीन शावक भी अब अपनी मां से अलग होने की प्रक्रिया शुरू करने वाले हैं. ऐसे में दोनों मां बेटी का दावत पर मिलना इस अद्भुत दुनिया में बाघों के अद्भुत व्यवहार का ही प्रतीक है.