VIDEO: ERCP पर ठनी रार ! सुप्रीम कोर्ट पहुंची मध्यप्रदेश सरकार, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ई आर सी पी को लेकर प्रदेश में चल रही सियासी जंग के बाद अब कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है. मध्यप्रदेश सरकार ने ईआरसीपी का काम रोकने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. मध्यप्रदेश सरकार का तर्क है कि राजस्थान सरकार ने बिना मध्यप्रदेश सरकार की स्वीकृति लिए अपने स्तर पर ईआरसीपी का काम शुरू कर दिया है. ऐसा करने से मध्यप्रदेश को उसके हक का पानी नहीं मिल सकेगा. राजस्थान सरकार द्वारा करवाए जा रहे काम को रोकने की मांग करते हुए मध्यप्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. इस कानूनी जंग के साथ ही सियासी बयानबाजी भी बढ गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा शासित मध्यप्रदेश सरकार राजस्थान के 13 जिलों के हक का पानी रुकवाने की कोशिश कर रही है.

ई आर सी पी मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है. कोटा जिले में कालीसिंध नदी पर बड़ोद के पास बन रहे नौनेरा बांध पर आपत्ति जताते हुए मध्यमप्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ई.आर.सी.पी के चल रहे काम पर रोक लगवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका राजस्थान को अपने हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास है. मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का काम रुकवाकर पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों झालावाड़ ,बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर और अजमेर के हक का पानी रुकवाने की कोशिश की जा रही है. गहलोत ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार के सुप्रीम कोर्ट में जाने से पीएम नरेन्द्र मोदी के फार्मुले की पोल खुल गई है. पिछले दिनों पीएम मोदी जब दौसा दौरे पर आए थे तब उन्होंने ईआरसीपी और पुरानी पार्वती कालीसिंध चंबल लिंक को साथ जोड़ कर राजस्थान को पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने का वादा किया था. इसे कोट करते हुए गहलोत ने कहा कि पीएम मोदी के फार्मुले की अब पोल खुल गई है. साथ ही गहलोत ने यह भी कहा कि केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री के बातों की भी पोल खुल गई है.

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच हुए समझौते के तहत ही पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने सोच समझ कर इस प्रोजेक्ट को तैयार किया था. वर्ष 2010 की केन्द्रीय जल आयोग की गाइड लाइन के आधार पर ये परियोजना बनी थी. इसके बावजूद भी राजस्थान में जो काम चल रहा है उसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा दी गई है. गहलोत ने पूछा कि इस पर रोड़े अकटाने का काम क्यों किए जा रहे हैं. मध्यप्रदेश सरकार किसके इशारे पर सुप्रीम कोर्ट गई है. पीएम मोदी को इस मामले पर हस्तक्षेप करना चाहिए. एक राज्य के हितों की बलि देने के लिए बीजेपी शासित राज्य ने आगे आकर काम रोकने की मांग करना ठीक नहीं है है. गहलोत ने कहा राजस्थान सरकार अपना पक्ष मजबूती से रखेगी लेकिन प्रदेश की जनता में बड़ा आक्रोश है. इसके नतीजे बीजेपी को भुगतने पड़ेंगे. 

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय स्टेट कंट्रोल बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार बनाई गई है. इसी निर्णय को आधार बनाकर मध्य प्रदेश ने अपने यहां कुण्डलिया और मोहनपुरा बांध निर्मित किए हैं. धौलपुर में केन्द्रीय जल आयोग के रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष चंबल में औसतन 19,000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी व्यर्थ बहकर समुद्र में जाता है. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के लिए केवल 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता है. राज्य सरकार ईआरसीपी के माध्यम से इस व्यर्थ बहकर जा रहे पानी को राजस्थान की जनता की पेयजल और सिंचाई जल की आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास कर रही है.