राजस्थान में RLD ने मांगा हैंडपंप चुनाव चिन्ह, राज्य चुनाव आयोग से लगाई गुहार, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः राजस्थान में खुद को स्थापित करने की जद्दोजहद में राष्ट्रीय लोकदल हैंडपंप सिंबल लेना चाहता है. किसान और आम जन से जुड़ा हैंडपंप चुनाव चिन्ह पहचान रहा है चौधरी अजीत सिंह की.1999 में रालोद की स्थापना के बाद अजित सिंह को हैंडपंप चुनाव चिह्न मिला था. राजस्थान की RLD निकाय पंचायत चुनाव में उतरने से पहले हैंडपंप की मांग चुनाव आयोग से कर रही है.

चौधरी चरण सिंह, अजित सिंह और अब जयंत सिंह तीनों के लिए किसानों से जुड़ा सिंबल लकी रहा है. चौधरी चरण सिंह के समय 2 सिंबल बदले गए थे अजित सिंह ने नई पार्टी बनाने के बाद हैंडपंप सिंबल को तरजीह दी. 1999 में रालोद की स्थापना के बाद अजित सिंह को हैंडपंप चुनाव चिह्न मिला था. अजित सिंह और उनके बेटे जयंत को राजनीति चौधरी चरण सिंह से विरासत में मिली है. चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री रहे थे. यही कारण है कि राजस्थान में RLD निकाय पंचायत चुनाव में उतरने से पहले हैंडपंप चुनाव चिन्ह की मांग कर रही है और इस बारे में राज्य चुनाव आयोग से गुहार लगाई है RLD प्रदेश अध्यक्ष जोगिंदर सिंह अवाना ने कहा कि हमारे विधायक सुभाष गर्ग भी दो बार हैंडपंप सिंबल पर ही चुनाव जीते

लोकदल और हैंडपम का चुनाव इतिहास रहा है. भारतीय क्रांति दल की स्थापना और हलधर चुनाव चिह्न को लेकर 1967 में कांग्रेस तोड़कर सरकार बनाने वाले चौधरी चरण सिंह ने बाद में जाकर भारतीय क्रांति दल की स्थापना की. उनकी पार्टी को उस वक्त हलधर किसान चुनाव चिह्न मिला. किसान नेता चरण सिंह इसी सिंबल के सहारे 1969 के यूपी चुनाव में उतरे थे. 1969 के चुनाव में चौधरी चरण की पार्टी को पश्चिमी यूपी में जबरदस्त सफलता मिली. 1974 में भारतीय क्रांति दल का नाम बदलकर भारतीय लोकदल किया गया.  

1977 में चरण सिंह ने अपनी पार्टी भारतीय लोक दल का विलय जनता पार्टी में कर दिया था
जनता पार्टी का चुनाव चिह्न भी सुरक्षा चक्र में घिरा हलधर किसान था
1977 में विपक्षी एकता की वजह से इंदिरा गांधी की सरकार सत्ता से बेदखल हो गई
 मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी, लेकिन जय प्रकाश नारायण के बीमार होने के बाद जनता पार्टी में बगावत हो गई.
मोरारजी सरकार में कद्दावर मंत्री रहे चौधरी चरण सिंह और राजनारायण ने मिल कर लोकदल का गठन किया था जनता पार्टी सेक्युलर, सोशलिस्ट पार्टी और ओडिशा जनता पार्टी का भी इसमें विलय कराया गया.
1999 में तमाम उठापटक के बाद चौधरी चरण सिंह के बेटे अजित सिंह ने राष्ट्रीय लोक दल की स्थापना की
 उस वक्त रालोद को हैंडपंप चुनाव चिह्न मिला
1999 के लोकसभा चुनाव में रालोद को 2 सीटों पर जीत मिली
जिसके बाद अजित सिंह अटल बिहारी की सरकार में मंत्री बने थे