जयपुर: सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के चलते अब जयपुर शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर नजर आने लगे हैं. कार्य बहिष्कार पर बैठे सफाई कर्मचारी जहां प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं तो जनता परेशान होने लगी हैं. इसी को देखते हुए ग्रेटर नगर निगम ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत संसाधनों में बढ़ोतरी की है जिसके चलते शहर की सफाई व्यवस्था को बनाए रखा जाए.
सफाई कर्मचारी भर्ती प्रक्रिया के विरोध में संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के बैनर तले सफाई कर्मचारियों की हड़ताल को दो दिन हो गए हैं. गुलाबी शहर की सडकों पर इस दौरान सफाई नहीं हो पा रही हैं. तो साथ ही डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन के लिए हूपर भी नहीं पहुंच रहे. इसके कारण जहां बाजारों में भी कचरे और गंदगी के ढेर लगने लगे तो दूसरी तरफ घरों में भी डस्टबिन भरे-के भरे रखे हुए हैं. लोगों की माने तो पहले से ही कचरा उठाने वाले कभी कबार पहुंचते या लापरवाही कर रहे थे. लेकिन अब हड़ताल की वजह से तो हूपर्स का आना ही बंद हो गया. जिससे अब सड़कों पर कचरा फैंकना उनकी मजबूरी बन गया हैं. नगर निगम पूरे शहर में स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए इस समय सफाई के कार्यक्रम चलाकार बड़े-बड़े दावे कर रहा हैं. निगम हैरिटेज और ग्रेटर के छह हजार ज्यादा सफाईकर्मियों की हड़ताल का असर अब खलने लगा हैं.
राज्य में करीब तीस हजार से अधिक और राजधानी जयपुर में तकरीबन छह हजार सफाई कर्मचारी वाल्मीकि श्रमिक संघ से जुड़े हैं. हालांकि जयपुर में गैर वाल्मीकि समाज के तीन हजार कर्मचारी शामिल नहीं हैं. लेकिन बड़ी संख्या में वाल्मीकि समाज से जुड़े कर्मचारी होने के कारण व्यवस्थाओं पर बड़ा असर पड़ रहा हैं. हडताली कर्मचारी निगम ग्रेटर के मुख्यालय पर एकजुट हुए कर्मचारियों ने आम सभा कर आंदोलन को आगे बढाने की रणनीति बनाई. कर्मचारियों का कहना है कि डीएलबी की 24 हजार 797 पदों पर की जा रही भर्ती को लॉटरी के बजाय मस्टररोल के आधार पर ही कराई जाए. पिछले साल अप्रैल में भी कर्मचारियों ने हड़ताल की थी जिसमें वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता देने का आश्वासन मिला था.
इधर, नगर निगमों के लिए इस समय सफाई की व्यवस्थाओं को दूरूस्त करने में पसीना आ रहा हैं. क्योंकि निगमों के कॉल सेंटर्स पर शिकायतों के ढेर लग रहे है तो गली-गली में कचरे के अंबार. गैराज शाखा के अतिरिक्त साधनों के जरिए फिलहाल ओपन डिपो हटाने पर फोकस किया जा रहा हैं. साथ ही निगम के संसाधनों के जरिए अतिरिक्त स्टाफ लगाकर सीवरेज और सफाई को पटरी पर लाने का प्रयास किया जा रहा हैं. शहर में निगम ग्रेटर का क्षेत्र बड़ा है इस वजह से यहां अतिरिक्त साधनों की जरूरत पड़ रही हैं. मेयर सौम्या गुर्जर की माने तो हड़ताल पर गए कर्मचारियों से एक तरफ सरकार के अधिकारी प्रयास में जुटे है तो दूसरी तरफ निगमों द्वारा अतरिक्त इंतजाम भी किए जा रहे हैं.
एक ओर, यह समय निगमों के लिए स्वच्छता सर्वेक्षण का का है. जिसे लेकर निगमों द्वारा जागरूकता अभियान से लेकर तमाम तरह की कोशिशें की जा रही हैं. तो दूसरी ओर इसी वक्त शहर में सफाई कर्मचारियों ने नगर निगमों की परेशानी भी बढ़ा दी हैं. सर्वेक्षण की रैंकिग पिछले साल भी खाई में गिर गई थी. तो वहीं, जनता द्वारा निगमों की ओर निगाहें की जा रही हैं. लेकिन जब तक हड़ताली कर्मचारियों और सरकार के बीच वार्ता में कोई निर्णय नहीं निकल जाता हैं. तब तक तो लोगों का परेशान होना तय हैं.